उत्तर प्रदेश के चमकरी गांव की इस हवेली में अचानक एक चीख़ गूंजती है। आवाज़ किसी लड़की की है, जो कहती है,”मुझे हवेली से मत निकालो…ये मेरा घर है…वरना मैं तुम सबको बर्बाद कर दूंगी।” कोई कुछ समझे इससे पहले एक और चीख़ गूंजती है। मगर इस बार चीख़ में मौत की तकलीफ़ भी घुली हुई है। पानी..पानी… कराहने की आवाज़ के साथ कोई लड़की पानी मांगती है। पर ये सब कोई और सुनता, तो शायद कोई न कोई तो मदद के लिए आ भी जाता। मगर इस गांव में हर कोई डर से सहम सा जाता है, क्योंकि पिछले कई दशकों से ऐसी चीख़ें इस हवेली से निकलती रही हैं और लोग कांपते हुए बस सुबह का इंतज़ार करते है।
लेकिन सवाल ये था कि, आखिर कौन है ये लड़की, जिसने पूरे गाँव को डरा कर रखा है? और इसका इस घर से क्या रिश्ता है? क्यों दिन ढलते ही इस हवेली के पास से गुज़रने वाले रास्तों पर क़ब्रिस्तान जैसा सन्नाटा छा जाता है?
और एक अजीब अनमनी से लड़की इस हवेली में भटकती दिखाई देती है। कभी झरोख़े से झांकती, तो कभी हवेली की छत से टकटकी लगाए दूर किसी मुसाफ़िर का इंतज़ार करती। जिसने उसे ग़ौर से देखा है, वो बताते हैं कि उसकी नज़रें तीर की तरह सीना चीरने वाली नजरें है। मगर कभी इन्हीं नज़रों के दीवाने थे लोग। वो जहां खड़ी होती थी, उसी के आसपास खड़े होकर लोग उसका दीदार करना चाहते थे। ऐसा जलवा था रमिया का, जिसकी शुरूआत करीबन 200 साल पहले हुई थी।
रमिया बाई, जिसकी पायल जब छनकती थी, तो लोग दीवाने हो जाया करते थे। हर हवेली का मालिक ये सपना पाला करता था, कि एक दिन ये घुंघरु उनके सिर्फ़ उनके लिए खनकेंगे। रमिया के दीवानों की list में इसी इलाक़े के दो सगे भाइयों का नाम भी आया करता था। मगर रमिया उस बला का नाम था, जिसकी ख़ूबसूरती और हुनर के आगे क्या रिश्ते और क्या नाते। औऱ यही हुआ उन दोनों भाइयों के साथ भी, जब दोनों रमिया को लेकर इस क़दर ज़ज़्बाती हुए कि एक दूसरे की ही जान के दुश्मन बन गए। और जब रमिया ने बेक़ाबू हालात क़ाबू में करने की कोशिश कि, तो ग़ुस्से से लहराता एक ख़ंजर रमिया के ही शरीर में उतर गया और रमिया जो इस हवेली की शान बनी थी, अचानक उसके खून में इस हवेली की दीवार लथपथ हो गई थी। फिर रमिया के साथ नाचना, गाना, उसकी मौत के साथ ही सब कुछ खत्म हो गया और ये मौत इस हवेली पर बहुत भारी पड़ी।
समय बीतता गया, लेकिन उसकी यादें कभी धुंधली नहीं हुई। ऐसा कैसे हो सकता था, क्योंकि रमिया ने इस हवेली को छोड़ा ही नहीं था। वो आज भी लोगों को दिखाई देती है। लेकिन अब फर्क ये हो गया है कि वो न तो गाती है और न ही गुनगुनाती है, बस पागलों की तरह घूमती है और उन सुनहरे दिनों को याद करती है और अगर कोई हवेली में चला जाता है तो, 200 साल पहले इस हॉल से निकला हर कदम खुशी से झूमता था, लेकिन आज यहां से लाशें निकलती हैं।
आगरा रोड पर बसा चमकरी गांव, वक़्त के पलों को बुनते-बुनते आज तक़रीबन 200 साल गुज़ार चुका है, लेकिन उस हादसे के बाद यहां कुछ नया नहीं हुआ। सिवाय रमिया की दास्तान के, जो यहां के ताने बाने में बुन सी गई है।
इस बारे में हवेली के मालिक सतेंद्र तोमर बताते हैं कि, एक दिन उनकी मां को परछाई दिखी, जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी। इस तरह रमिया के प्रकोप की छाया हमारी हवेली पर पड़ी है। एक-एक करके उसके तीन बच्चे और फिर पत्नी की भी जान चली गई। तोमर परिवार से पहले इस हवेली में Gupta परिवार रहा करता था। लगातार हो रही मौतों ने गुप्ता परिवार को इतना तोड़ दिया कि, उन्होंने इस हवेली को कम दाम में बेच दिया था और तब तोमर परिवार ने खरीद लिया और जैसे ही उन्होंने इसे खरीदा, बच्चे, बूढ़े और जवान, एक-एक करके आठ लोगों की मौत हो गई।
रमिया का सच क्या है..हम नहीं कह सकते…हां इतना ज़रूर कह सकते हैं कि, यहां रहने वाले दोनो परिवारों की बेहिसाब बेवजह मौतें हुईं हैं और अगर ये सब कुछ इत्तिफ़ाक है, तो यक़ीनन बहुत ख़ौफ़नाक इत्तिफ़ाक है। शायद रमिया के ख़ौफ़ से भी कहीं ज़्यादा ख़ौफ़नाक।
तो क्या आप bhool bhulaiyaa 3 में देखना चाहेंगे Ramiya bai की कहानी?
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