Balwan 2

हमारे देश की तरफ से अगर कोई strike होती है या कोई हमला होता है तो उससे लोगो को बचाने के लिए जो negotiations PM Narendra Modi जी करते है, उसमें उनका हर कदम पर साथ देने के लिए और भी कई लोग मजबूती से खडा होते है।

और उनमें से एक है Ajit Kumar Doval.

Ajit Kumar Doval भारत के प्रधान मंत्री के 5th और current National Security Advisor (NSA) हैं। ये Kerala Cadre के एक Indian Police Services (IPS), retired officer और एक former Indian Intelligence and Law Enforcement Officer हैं।  

1945 में उत्तराखंड में जन्मे, Ajit Doval Kirti Chakra Meritorious Service, Military personnel से एक वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले, भारत के सबसे कम उम्र के पहले पुलिस अधिकारी थे।

Ajit Doval को उनके risk उठाने की capability और Bravery के लिए जाना जाता है। जो बहुत कम senior officers उठाते है।  खुद की जिंदगी और career को आग में डालकर चलना भी एक बहुत कठिन बात है, लेकिन हमारे देश के कई आईपीएस अधिकारियों ने ऐसा किया है और कुछ की ड्यूटी के दौरान मृत्यु भी हो गई है।

हालाँकि, Ajit Doval एक जासूस के रूप में पाकिस्तान भी गए। लेकिन सबसे important बात ये है कि वो diplomatic immunity से covered नही  थे। Diplomatic immunity का मतलब होता है कि जैसे अगर कोई spy जो diplomatic immunity के protection के अंदर है, तो वो पकडा गया या उसका plan का पर्दाफाश हुआ , तो भी उन्हें गिरफ्तार नही किया सकता और  मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।

 

 हालांकि, जिन जासूसों के पास ये protection नहीं है, उनके पास ऐसी कोई सुरक्षा नहीं है।  यदि पकड़े जाते हैं, तो वो सबसे worst possible treatment के भागीदार भी बन सकते है।  और पाकिस्तान जैसे देश में इसका मतलब मौत के घाट उतारना भी हो सकता है।  जो एक गोली से मारने या बम से उड़ाने से कही 100 गुना ज्यादा खतरनाक हो सकता है।

 और Ajit Doval ने ना केवल पाकिस्तान में जासूसी की, बल्कि एक ISI officer होने का नाटक करते हुए खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों में information भी ली।  सोचिए अगर किसी को खतरनाक खालिस्तानी आतंकवादी, जासूस के तौर पर पकड़ ले तो उसका क्या हश्र होगा।  

और दुसने देश के लिए हमेशा अपनी जान पर खेलकर काम किया है उसे  देश के लिए उनकी सेवाओं के लिए उन्हें कीर्ति चक्र मिलना तो बनता है।  

भारत की सितंबर 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और फरवरी 2019 में पाकिस्तान में सीमा पार Balakot airstrike भी Ajit doval की  देखरेख में किए गए थे।  उन्होंने डोकलाम गतिरोध को समाप्त करने में भी मदद की और Northest उग्रवाद से निपटने के लिए कदम उठाए।

 डोभाल ने 1968 में एक IPS officer के रूप में अपना पुलिस करियर शुरू किया और मिजोरम और पंजाब में उग्रवाद विरोधी अभियानों में पूरी तरह से शामिल रहे। इसके साथ साथ Ajith, 1999 में कंधार में Hijacked IC-814 से यात्रियों की रिहाई में लगे तीन negotiators में से एक थे और उनकी रुहाई में भी उन्हेने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने 1971 और 1999 के बीच इंडियन एयरलाइंस के विमान के कम से कम 15 hijacks को सफलतापूर्वक खत्म कर दिया।

 डोभाल के बारे में कहा जाता है कि उन्होने गुप्त एजेंट के रूप में एक साल के कार्यकाल के बाद, उन्होंने छह साल तक इस्लामाबाद में Indian High Commission में काम किया।

डोभाल ने 1984 में खालिस्तानी उग्रवाद को रोकने के लिए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ के लिए खुफिया जानकारी जुटाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डोभाल 1990 में कश्मीर गए और कट्टर उग्रवादियों और सैनिकों को आतंकवाद विरोधी बनने के लिए राजी किया, जिससे जम्मू-कश्मीर चुनाव का रास्ता साफ हो गया। 

अजीत डोभाल ने अपने करियर का एक बड़ा हिस्सा इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के साथ एक Active field intelligence officer के रूप में बिताया।  ढेर सारे प्रसिद्ध पुरस्कारों, सम्मानों और रिकॉर्डों के साथ, डोभाल ने उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की reputation बनाई.

2009 में उनकी retirement के बाद, डोभाल विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के founder director बने।

 2014 में, अजीत डोभाल ने 46 भारतीय नर्सों की रिहाई सुनिश्चित की, जो इराक के tikrit के एक अस्पताल में फंसी हुई थीं।  वो एक top secret mission पर गए और 25 जून 2014 को इराक के लिए उड़ान भरी ताकी इराक सरकार के साथ high level connection बन सके। 5 जुलाई 2014 को नर्सों को भारत वापस लाया गया।  

 

2019 में, डोभाल को पांच और वर्षों के लिए National Security Advisor के रूप में फिर से नियुक्त किया गया और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व National Democratic Alliance (NDA) सरकार के दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट रैंक दिया गया।

एक IPS पुलिस officer से शुरूआत, फिर spy और अब NSA, Ajit Doval की journey को हमारा सलाम है। और ये journey देश की बच्चा बच्चा जाने, इसके लिए indian cinema को कदम उठाना चाहिए।

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