Bahubali 3

अठारवीं सदी का वक्त हमारे हिंदुस्तान के लिए काफी कठिन था, जहाँ एक तरफ अंग्रेजों का कहर था, तो वहीं दूसरी तरफ मुघल empire भी अपने पैर पसार रहा था, और हमारे क्रांतिकारी वीर अपनी जान की परवाह किये अपने देश को आज़ाद कराने में लगे थे, ऐसा ही कुछ किया था Mai Bhago ने। 

 

Mai Bhago जिन्हें Mata Bhag Kaur के नाम से भी जाना जाता है, वो एक सीखनी थी, जिन्होंने साल 1705 में सिख सिपाहियों को मुघलों के सामने लड़ने के लिये तैयार किया था। वो खुद जंग के मैदान में एक skilled warrior की तरह लड़ रही थी और वह उन 40 सिखों जिन्हें चली मुक्ते भी कहा जाता है, उन्हें एकजुट करने के लिए जानी जाती थीं, जिन्होंने आनंदपुर साहिब की घेराबंदी में गुरु गोबिंद सिंह को छोड़ दिया था और वो उन्हें लड़ाई के लिए वापस लाई थी और उन्होंने उन चालीस सिखों के साथ मिलकर 10 हज़ार से भी बड़ी मुघलों की ताकतवर सेना का मुकाबला किया था, और इस युद्ध को Battle of Muktsar भी कहा जाता है। 

 

अगर इस बेटल के बारे में और बात की जाए तो गुरु को पकड़ने के प्रयास में सम्राट औरंगजेब के आदेश के पर सरहिंद के  वजीर खान की leadership में एक बड़ी मुगल सेना लाहौर और कश्मीर की मुगल सेनाओं के साथ मिलकर आनंदपुर साहिब पर हमला करने की ओर बढ़ी।

माई भागो ने जब सुना कि कुछ सिख, जो गुरु गोबिंद सिंह के लिए लड़ने के लिए आनंदपुर गए थे, लेकिन कुछ परिस्थितियों के चलते गुरु ने उन सिखों को छोड़ दिया तब उन्हें काफी दुःख हुआ और वो उनसे मिली और उन्हें गुरु से वापिस मिलने के लिए तैयार किया और उन्हें मनाया। 

 

गुरु खिदराना गाँव पहुँच चुके थे, तभी माई भागो और सिख भी खिदराना पहुँचे।  वह खिदराना के ढाब, या पूल के पास रुकी, क्योंकि वहीं से पानी मिल सकता था, और इस जगह को गुरु का पीछा कर रही मुगल सेना ने अपने कब्जे में ले लिया था। माई भागो और सिखों ने गुरु का पीछा करने वाले मुगलों पर हमला किया और आखिरकार उस ताकतवर सेना को इन चालीस सिखों और उन्हें lead कर रहे सरदारनी से पीछे हटना पड़ा, और तभी गुरु की सेना भी वहां आ पहोंची और उन पर तीर बरसाए। उसके बाद जब गुरु गोबिंद सिंह ने युद्ध के मैदान का दौरा किया, तो उन्होंने माई भागो और leader of the deserters कहे जाने वाले Mahan Singh को छोड़कर सभी को मरा हुआ पाया। महान सिंह, जो गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जैसे ही गुरु ने उन्हें अपनी गोद में लिया, उनकी मृत्यु हो गई और उनके साथ ही उन चालीस सिखों के साथ-साथ माई भागो के भाइयों और पति और उनके बच्चें की भी मृत्यु हो गई और वो इस घमासान युद्ध में शहीद हो गए।  

 

गुरु गोबिंद सिंह ने उन चालीस सिखों को को चली मुक्ते यानी चालीस मुक्त लोगों के रूप में आशीर्वाद दिया और उन्होंने माई भागो की देखभाल की, जिन्हें युद्ध में काफी गंभीर चोट लगी थी और उसके बाद गुरु की रक्षा करने वाले 10 warriors में से एक बनी और मरते दम तक गुरु की और सिखों की रक्षा की और हिंदुस्तान की female warriors में से एक बनी। 

 

और ऐसी ही एक female warrior की कहानी हमें बाहुबली 3 में भी देखने को कील सकती है, तो आपको क्या लगता है कैसी होगी यह फ़िल्म?

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Robot 3.0,Rajinikanth ,Bollygrad Studioz bollygradstudioz.com

Robot 3.0

Aaj jis daur mein hum sab jis phone ko Hanth mein rakh kar use kar rahe hai wo sirf aur sirf scientist ki hi den

Read More »
pushpa 2

Pushpa 2

पुष्पा मूवी के डायरेक्टर सुकुमार ने सोचा लिया था कि मूवी को इस तारिके से बनाएंगे जो लोगो को बरसो तक याद रहे, और सुकुमार

Read More »
BAHUBALI 3

Bahubali 3

बाहुबली मूवी को अगर बढ़िया से देखा जाए तो पता चलता है कि, पूरा मूवी वीएफएक्स पर ही बना है। लेकिन कुछ सीन ऐसे भी

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​