यह कहानी है साल 2010 में हुए घोटाले की और यह कहानी “Commonwealth games घोटाला” के नाम से देशभर में पॉपुलर भी है। देश में इस फ्रॉड को टॉप लिस्ट में डाला गया। अब आप सोचेंगे कि, घोटाले की भी रैंकिंग होती है? जी हां, होती हैं क्योंकि यह कोई छोटा मोटा मामला नहीं है। मनमोहन सिंह सरकार ने इस घोटाले के investigation के orders दिए थे। तो सोचिए कि, यह कितना बड़ा fraud होगा।
दरसल साल 2010 में हुए Commonwealth games में India ने काफी अच्छा गेम खेला था। हर एक देशवासी को India का हिस्सा बनने पर काफी गर्व हो रहा था। उस वक्त 38 gold medals, 27 silver medals, 36 bronze medals,और भी बहुत सी categories में India को जीत हासिल हुई, मतलब हमे total 101 medals मिले और India की history में पहली बार हमें 100 से ज्यादा medals मिले थे और यह Commonwealth games हुए India की राजधानी दिल्ली में, कितनी खुशी की बात है ना?। वैसे इंडिया ने दूसरी पोजीशन हासिल की, तो पहली पोजीशन पर अपना हक जमाया ऑस्ट्रेलिया ने, वह भी 180 मेडल्स के साथ। वैसे देखा जाए तो इस कॉमनवेल्थ गेम में 21 खेल शामिल थे। मतलब देखो जैसे Boxing, Athletics, Weightlifting, Archery, Badminton और बहुत सारे। इतना ही नहीं बल्कि इसी साल गीता फोगाट ने भी इतिहास रचा था। वह इन खेलों में wrestling में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं। इतना ही नहीं बल्कि उनकी बहन बबीता फोगाट और बाकी महिला खिलाड़ियों ने इसमें बाजी मारी थी। वैसे दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में यह event organise किया गया था। पर इतना सब कुछ होने के बाद इंडिया की इज्जत तो चली गई। अब आप कहेंगे कि, ऐसा भी क्या हुआ जिसकी वजह से सब का सिर शर्म से झुक गया? तो इसकी वजह है, fraud, fraud और fraud..। मतलब हमारे खिलाड़ी मैदान में जंग लड़े और उनके पीठ पीछे लोग घोटाले बाजी में मजे ले।
वैसे खेल और साल 2010 की बात हो ही रही है, तो यह वही साल है जहां पर ललित मोदी को आईपीएल में धोखाधड़ी करने की इंजाम में suspend किया गया था और investigation के दौरान ललित मोदी इंडिया छोड़ कर चले गए।
वैसे दिल्ली में हुए इस घोटाले में 70,000 करोड़ का fraud किया गया। अब यह कोई छोटी मोटी रकम तो नहीं है। इतना ही नहीं बल्कि इसमें एक पॉलिटिशन भी शामिल है जिनका नाम है सुरेश कलमाडी, जो उस organizing committee के chairman भी थे। दरअसल वह साल 1996 से 2010 तक यह काम संभाल रहे थे। पर इसी का फायदा उठाते हुए उन्होंने कम पैसों की चीजे 100 से 200 गुना कीमत पर खरीदी।
हुआ यह कि, Commonwealth games के लिए 4 stadiums बनाए जाने थे, जिसका बजट 1000 करोड़ रुपये तय किया गया था, लेकिन इन्होंने दोगुने से भी ज्यादा पैसे खर्च किए यानी कि 2400 करोड़ रुपये खर्च किये। मतलब यह डबल पैसा अपने नाम ही कर लिया ना। फिर 28 जुलाई 2010 को Central Vigilance Commission की एक report आई जिसके मुताबिक organizers ने बोगस companies को पैसा दिया। मतलब वो companies असल में थी ही नहीं और इसके बावजूद उन्हें काम के पैसे दिये गए। यही नहीं, games का सामान भी कई गुना कीमतों पर खरीदा गया जैसे 80 रुपये का टॉयलेट पेपर 6400 रुपये में खरीदा, बाथरुम का शीशा 17600 रुपये में खरीदा गया, जब कि उसकी असल कीमत उस वक्त 3486 रुपये थी, 300 रुपये का साबुन का डिस्पेंसर तकरीबन 10 हजार रुपये में खरीदा गया, एल्टीट्यूब ट्रेनिंग मशीन जिसकी कीमत 9 लाख रुपये होती है, उसे दो करोड़ की कीमत पर खरीदा गया। लाखों-करोड़ों लाइटिंग पर खर्च किए जाने वाले थे। मतलब अपनी position का misuse किया जा रहा था।
अब जो खिलाड़ी वहां पर रहने के लिए आएंगे, उनके लिए भी तो अच्छी खासी रहने की जगह चाहिए। पर रहने के लिए क्वाटर भी आधे अधूरे थे। बाथरूम में थुके हुए पान की गंदगी थी, बिस्तर पर कुत्तों की गंदगी थी। अब जरा सोचिए कि, बाहर से आने वाले खिलाड़ियों अगर ऐसी जगह दे दी, तो यह तो हमारे लिए शर्म की बात होगी ना? मतलब अतिथि देवो भव का meaning क्या होता है, शायद इन्हें पता ही नहीं होगा।
वैसे list यहां खत्म नहीं होती बल्कि सुरेश कलमाड़ी ने fraud करने की हद ही कर दी।Time scoring result machine घोटाले में भी Commonwealth games के सुरेश कलमाड़ी फंसे। उन्होंने companies के applications देने से पहले ही एक स्विस कंपनी को मनमाने ढंग से contracts दे दिए। Time scoring result machine के लिए 4 नवंबर 2009 को टेंडर खोला गया जब कि, स्विस कंपनी को ये contract 12 अक्टूबर 2009 को ही दे दिया गया था। स्विस कंपनी को organizers ने 157 करोड़ रुपये दिए जब कि MSL स्पेन ये काम 62 करोड़ रुपये में कर सकती थी। कलमाड़ी की वजह से 95 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
इतना ही नहीं ट्रांसपोर्ट वीडियोग्राफी बैरेकेडिंग के लिए जिस firm को पैसा गया था, उसका नाम था AM फिल्म्स। करीब 4 करोड़ के आस पास यह रकम थी। इस transaction पर नजर पड़ी ब्रिटिश हाई कमीशन की। फिर इसे लेकर investigation किया गया और उसमें पता चला कि, कंपनी के साथ ऐसा कोई कॉन्ट्रैक्ट हुआ ही नहीं है। फिर सबकी नजर पड़ी सुरेश कलमाड़ी पर, जो chairman थे। कलमाड़ी ने एक ईमेल दिखाते हुए कहा कि, उन्हें AM फिल्म्स का advice London based इंडियन हाई कमीशन से मिला है। पर उनका यह झूठ ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया। हाई कमीशन ने भांडा फोड़ते हुए कहा कि उन्होंने तो ऐसा कोई advice दिया ही नहीं है। मतलब इन लोगों ने झूठ बोलने की तो हद ही कर दी।
अब इतना सब कुछ होने के बाद उन्हें 193 दिनों के बाद सीबीआई ने अरेस्ट किया और वह 9 महीनों तक तिहाड़ जेल में बंद रहे। इसके बाद उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत दे दी। पर इतना सब कुछ होने के बाद भी उन्हें आखिरी बार साल 2022 में देखा गया वह भी पुणे में।
अब इस कॉमनवेल्थ घोटाले का साल का आते-आते नया drama release हो गया था। लाखों करोड़ों के 2G घोटाले के आगे कॉमन वेल्थ गेम्स घोटाला (CWG Scam) का drama।
तो यह था Commonwealth games के पीछे का गेम प्लान। तो ऐसी धोखाधड़ी हमें आने वाली फिल्म रेस 4 में भी देखने को मिल सकती है क्योंकि कॉमनवेल्थ गेम हमारे देश की शान है, तो ऐसी high profile कहानी एक दमदार फिल्म में देखने को मिल भी सकती है।
देखते हैं क्या होता है। पर तब तक आप हमें कमेंट सेक्शन में बताएं कि, आपको कैसी लगी यह कहानी।