Singham 3

एक महिला मिसाल बनकर सामने आई है। जिसने शादी के 40 दिन बाद अपने हाथों की चूड़ियां तोड़कर बंदूक थाम ली। दुल्हन, प्रोफेसर और अब वो इंडियन आर्मी में ऑफिसर बनने जा रही है। जिसके लेफ्टिनेंट पति के शहीद होने के बाद ऐसा लगा कि अब सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन देश सेवा का जज्बा ऐसा कि अब वो खुद थल सेना का हिस्सा बनकर दिवंगत पति को सबसे प्यारा और अनूठा गिफ्ट देने जा रही हैं। वीरांगना करुणा सिंह चौहान की, जिसकी शादी नेवी में लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान से पिछले साल 12 अप्रैल 2019 को हुई थी। पति के हाथ में मेहंदी लगाकर वह बहुत खुश थी, नए-नए सपने देखने लगी, जब शादी हुई तो ऐसा लगा कि उसे जिंदगी में सब कुछ मिल गया। लेकिन दुल्हन बने एक महीने ही हुए थे कि 26 अप्रैल को एक मनहूस खबर आई है कि  पति INS विक्रमादित्य पर आग बुझाते हुए शहीद हो गए हैं। यह सुनते ही वह बेसुध हो गई और लगा कि अब इस जिंदगी में कुछ नहीं रखा है। लेकिन अपने जज्बे से उसने खुद अपनी एक अनोखी कहानी लिखी।

करुणा चौहान ने जिंदगी में वह सब हासिल कर लिया था जो एक महिला को चाहिए। पढ़ाई में मैकेनिकल में एमटेक किया। इसके बाद उनकी सरकारी नौकरी लग गई और वो आगरा के दयालबाग यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गईं। जब इतने बड़े अफसर से शादी हुई तो वह शादी के बाद बहुत खुश थी। लेकिन जब उसको हादसे की खबर मिली तो उसे यकीन नहीं हुआ कि शादी के सिर्फ 40 दिनों के बाद धर्मेंद्र को खो दिया था। जिस दौरान लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह शहीद हुए थे उस दौरान करुणा अपने ससुराल रतलाम में थी। पति के शहीद होने के बाद करुणा टूटी नहीं और उसने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ इंडियन आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया। अब  चेन्नई में 11 महीनों की ट्रेनिंग के बाद करुणा जनवरी माह में बतौर लेफ्टिनेंट भारतीय थल सेना का हिस्सा बन जाएंगी। उन्होंने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि सेना की वर्दी पहनना मेरी जिंदगी का सबसे खास पल है। सेना में जाकर देश सेवा करके मुझे लगेगा कि यह धर्मेंद्र को शादी का सबसे अच्छा तोहफा होगा। इसके अलावा वह दुश्मनों को मार गिराएगी, जिससे देश की शहीद पत्नियों का बदला पूरा हो सके।

एक महिला मिसाल बनकर सामने आई है। जिसने शादी के 40 दिन बाद अपने हाथों की चूड़ियां तोड़कर बंदूक थाम ली। दुल्हन, प्रोफेसर और अब वो इंडियन आर्मी में ऑफिसर बनने जा रही है। जिसके लेफ्टिनेंट पति के शहीद होने के बाद ऐसा लगा कि अब सबकुछ खत्म हो गया, लेकिन देश सेवा का जज्बा ऐसा कि अब वो खुद थल सेना का हिस्सा बनकर दिवंगत पति को सबसे प्यारा और अनूठा गिफ्ट देने जा रही हैं। वीरांगना करुणा सिंह चौहान की, जिसकी शादी नेवी में लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह चौहान से पिछले साल 12 अप्रैल 2019 को हुई थी। पति के हाथ में मेहंदी लगाकर वह बहुत खुश थी, नए-नए सपने देखने लगी, जब शादी हुई तो ऐसा लगा कि उसे जिंदगी में सब कुछ मिल गया। लेकिन दुल्हन बने एक महीने ही हुए थे कि 26 अप्रैल को एक मनहूस खबर आई है कि  पति INS विक्रमादित्य पर आग बुझाते हुए शहीद हो गए हैं। यह सुनते ही वह बेसुध हो गई और लगा कि अब इस जिंदगी में कुछ नहीं रखा है। लेकिन अपने जज्बे से उसने खुद अपनी एक अनोखी कहानी लिखी।

करुणा चौहान ने जिंदगी में वह सब हासिल कर लिया था जो एक महिला को चाहिए। पढ़ाई में मैकेनिकल में एमटेक किया। इसके बाद उनकी सरकारी नौकरी लग गई और वो आगरा के दयालबाग यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर बन गईं। जब इतने बड़े अफसर से शादी हुई तो वह शादी के बाद बहुत खुश थी। लेकिन जब उसको हादसे की खबर मिली तो उसे यकीन नहीं हुआ कि शादी के सिर्फ 40 दिनों के बाद धर्मेंद्र को खो दिया था। जिस दौरान लेफ्टिनेंट धर्मेंद्र सिंह शहीद हुए थे उस दौरान करुणा अपने ससुराल रतलाम में थी। पति के शहीद होने के बाद करुणा टूटी नहीं और उसने प्रोफेसर की नौकरी छोड़ इंडियन आर्मी ज्वाइन करने का फैसला किया। अब  चेन्नई में 11 महीनों की ट्रेनिंग के बाद करुणा जनवरी माह में बतौर लेफ्टिनेंट भारतीय थल सेना का हिस्सा बन जाएंगी। उन्होंने एक मीडिया चैनल से बात करते हुए कहा कि सेना की वर्दी पहनना मेरी जिंदगी का सबसे खास पल है। सेना में जाकर देश सेवा करके मुझे लगेगा कि यह धर्मेंद्र को शादी का सबसे अच्छा तोहफा होगा। इसके अलावा वह दुश्मनों को मार गिराएगी, जिससे देश की शहीद पत्नियों का बदला पूरा हो सके।

पिछले कुछ वर्षों में भारतीय पुलिस बल में महिलाओं की दोगुनी से अधिक वृद्धि के बावजूद, जैसा कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आखिरी ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में उजागर किया था, महिलाओं का प्रतिनिधित्व अभी भी 10.3 प्रतिशत के निचले स्तर पर आंका गया है। यह 2009 में राज्यों को केंद्र की सलाह के बावजूद – 2013 और 2015 में दोहराया गया – लक्ष्य के रूप में 33 प्रतिशत निर्धारित किया गया। हालांकि अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं के लिए अलग-अलग प्रतिशत आरक्षण पेश किया है, लेकिन यह अभी तक नहीं है

सबसे सरल तर्क यह कहता है कि महिला पुलिसकर्मी महिलाओं और बच्चों की पुलिसिंग आवश्यकताओं से निपटने के लिए अधिक अनुकूल हैं, जो कुल आबादी के आधे से अधिक हैं। वे संपन्न हैं – पुरुषों की तुलना में – धैर्य, सहानुभूति, चिंता, सहिष्णुता, बलिदान आदि जैसे गुणों के साथ, लोकतांत्रिक पुलिसिंग के लिए सभी बहुत मूल्यवान हैं। महिलाओं द्वारा अत्यधिक बल का प्रयोग करने की संभावना भी कम होती है, जिसका अर्थ है थर्ड डिग्री और हिरासत में हिंसा जैसी कुप्रथाओं पर अंकुश लगाना। उनकी बड़ी संख्या सुधार की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगी

अधिक महिलाओं की आवश्यकता इसलिए भी है क्योंकि हाल के कई विधानों में विशेष रूप से महिला पुलिस कर्मियों द्वारा कुछ पुलिस कार्यों के प्रदर्शन को अनिवार्य किया गया है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी 2013 की एक एडवाइजरी में भी प्रत्येक पुलिस स्टेशन में तीन महिला उप-निरीक्षकों और स्टाफ महिला हेल्पडेस्क के लिए दस कांस्टेबल होने की आवश्यकता है।पुलिसिंग को मर्दाना पेशा, मर्दों का गढ़ माना जाता रहा है. भारत में, उनकी पथ-प्रदर्शक प्रविष्टि का श्रेय तत्कालीन त्रावणकोर रॉयल पुलिस को जाता है, जिसने 1933 में कुछ महिलाओं को ‘विशेष पुलिस अधिकारी’ के रूप में भर्ती किया था। इसके बाद 1939 में कानपुर पुलिस में कुछ महिलाओं की भर्ती की गई थी। औद्योगिक हड़तालों में महिला आंदोलनकारियों से निपटने के साथ-साथ बंबई, कलकत्ता और मद्रास बंदरगाहों में कुछ पुलिस कार्यों के लिए भी। आजादी के बाद कई राज्यों ने अपनी पुलिस में महिलाओं को शामिल करना शुरू किया सेवाएं। हालांकि, सेवा में शामिल होने वाली महिलाओं की सेवा और कामकाजी परिस्थितियों से संबंधित प्रतिकूल नीतियों को अपनाना एक बड़ी बाधा साबित हुई है।

भारत की पहली महिला पुलिस अधिकारी सी. कमलम्मा का मामला ऐसी अप्रिय नीतियों का उदाहरण है। अपने करियर की शुरुआत में, उसे एक सहकर्मी से प्यार हो गया और उसने उससे चुपके से शादी कर ली। उस समय के नियमों ने महिला पुलिसकर्मी को शादी करने की अनुमति नहीं दी थी, इसलिए गर्भावस्था के बाद उसकी शादी का पर्दाफाश होने के बाद उसकी नौकरी चली गई। भारत की आजादी के बाद ही एक परोपकारी सरकार ने उन्हें सेवा में बहाल किया। हालांकि तब से स्थिति में सुधार हुआ है, फिर भी सभी नीतियां वास्तव में हमारी तरह पास नहीं होंगी

सामाजिक रूढ़िवादिता एक और बाधा है। भारत जैसे पारंपरिक समाजों में पुलिसिंग को अभी भी महिलाओं के लिए नहीं पेशे के रूप में माना जाता है। पुलिस में शामिल होना अक्सर लड़कियों के विवाह की संभावनाओं में बाधा बन जाता है – इसलिए सामाजिक निराशा की एक अंतर्धारा होती है। इसके अलावा, असामान्य रूप से लंबी और अराजक कर्तव्य दिनचर्या महिलाओं के लिए एक गंभीर बाधा के रूप में कार्य करती है, जिनके लिए पेशेवर कर्तव्यों और घरेलू जिम्मेदारियों को निभाना एक दिन-प्रतिदिन की चुनौती बन जाती है। से समस्या और बढ़ गई है पुलिस थानों में शौचालय, शौचालय, क्रेच आदि जैसी मूलभूत सुविधाओं का अभाव। अत्यधिक उपकरण और उपकरण उनकी परेशानी को और बढ़ा देते हैं। यहां तक ​​कि वर्दी, हेलमेट, बुलेट-प्रूफ जैकेट आदि सभी अनिवार्य रूप से पुरुषों के लिए डिजाइन किए गए हैं।

सेना में महिलाओं (Women Army Officers) को स्थायी कमीशन मिलना एक बड़ा मील का पत्थर माना गया है. ऐसी ही उपलब्धि हासिल करने वाली छह महिला अफसरों से हमने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Women’s Day) के मौके पर बात की. उनसे सेना में एक महिला अफसर होने के नाते उनके अनुभवों को लेकर जब सवाल किए गए तो यही आम राय निकल कर आई कि नेतृत्व संभालने में महिला या पुरुष होना मायने नहीं रखता. सिर्फ महिला होने के नाते खुद को साबित करना होता है, इस बात से भी वो सहमत नहीं थीं. उनका कहना था, हमें तो कभी भेदभाव फील नहीं होता . आर्मी इज एबाउट यू आर ए सोल्जर यू आर नॉट ए मैन एंड नॉट ए वूमेन लीडरशिप इज नॉट अबाउट जेंडर.

करुणा सिंह ने एक इंटरव्यू में ऐसा कहा सेना की वर्दी बहुत अच्छा लगता है और जिम्मेदारी का एहसास भी है . वर्दी पहनते हैं तो खुद में  जैसे अपने आप स्पाइन सीधा हो जाता है और गर्व की अनुभूति होती है. हमें जो काम दिया जाता है वह काम हम करते हैं. तुलना करना मेरे हिसाब से जरूरी नहीं है, क्या आपने यह काम किया तो हमने अपनी पूरी काबिलियत से यह काम किया है, पर यह देखना कि उसने तो ऐसा किया और मैंने ऐसा किया मेरे हिसाब से लाना जरूरी नहीं है. आपने मेरी काबिलियत के हिसाब से भरोसा करके काम दिया है. मैंने उसी हिसाब से काम किया है मेरे लिए यह संतुष्टि है .

हमने तो फिर भी सोचा हुआ था कि हमें सेना में भर्ती होना है. ऐसा कुछ नहीं है कि महिलाओं को कम ट्रेनिंग दिया जाता है. मैं लकी हूं कि मेरे साथ मेरे ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर खड़े हैं, जो एवरेस्ट सम्मिट की है. मुझे नहीं लगता कि महिलाओं की ट्रेनिंग कम होती है हर चैलेंज को महिलाएं पूरा करती है. मुझे लगता है कि आने वाले सालों में महिलाओं को और दूसरे स्ट्रीम में भी काम करने का मौका मिलेगा. हमें जो काम दिया जा रहा है, हम उस पर फोकस करना चाहिए और जो पॉलिसी बनाने के लिए हैं, उनको पॉलिसी बनाना चाहिए, जो हमें काम मिलता है हम उसे अच्छे से करें इसका जवाब उन्होंने तब दिया जब सवाल पूछा गया कि क्या भविष्य में महिलाओं को सेना में कॉम्बैट रोल मिलेगा.

हर मुकाम पर हमने अपना सर्वोत्तम भी दिया है सेना ने हमें यहां तक पहुंचने के लिए मौका दिया है. मुझे लगता है कि अगर काबिलियत होगी तो यह दिन भी जरूर आएगा. सेना में ऐसा कोई कंपटीशन नहीं है कि इतने मेल होते हैं और इतने फीमेल होने चाहिए . इसमें एक सोल्जर होता है और अगर आप रिक्वायरमेंट फुल फिल करते हैं तुम मेल हो या फीमेल कोई फर्क नहीं पड़ता है.  सेना में आने वाली महिलाओं को मैं यही कहना चाहूंगी कि जो मेरे सेना के अफसर ने कहा मैं वही कहूंगी कि जब मैंने मैरून कैप हासिल किया वन्स ए पैराट्रूपर इज नॉट ए ऑलवेज ए पैराट्रूपर यू हैव टू पैराट्रूपर एवरी डे सेम गोज तो एवरी वन . आप गुड सोल्जर हैं तो आपको हमेशा परफॉर्म करना होगा तो फौज आप ही के लिए है.

मुझे लगता है मुश्किल सिर्फ महिलाओं के लिए नहीं आती है, बल्कि पुरुषों के लिए भी आती है क्योंकि यह एक ऐसी आर्गेनाइजेशन है जहां आपको अपना जुनून अपना पसीना अपना मेंटल बैलेंस करते हुए कमीशन होना होता है. यह महिला और पुरुष दोनों के लिए ही चुनौती भरा होता है लेकिन आप लेकिन आप अगर मजबूत हैं तो आप इसका मुकाबला कर सकते हैं .कर्नल शिखा ने कहा, सेना में महिलाओं की शुरुआत काफी पहले से हो गई है 1992 से हो गई है जब सेना में महिलाओं की भर्ती शुरू हुई थी हां नंबर जरूर कम है लेकिन चुकी अब अपॉर्चुनिटी इतनी ज्यादा है कि यह नंबर बैलेंस होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. मैं तो यही कहना चाहूंगी कि अपने अंदर झांके और आपने यह काबिलियत है आप में मजबूती है तो आगे बढ़े . इंडियन नेवी एयरफोर्स आईएस रेलवे हर जगह मौका है मौका केवल महिलाओं के लिए नहीं सबके लिए है.

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Mr. India

Mr India 2

मिस्टर इंडिया फिल्म का हर सीन यादगार था यहां तक ​​इसके गाने भी। मिस्टर इंडिया फिल्म के सारे के सारे गाने हिट सबित हुए थे

Read More »
dunki

DUNKI

इन दिनों सोशल मीडिया पर Shahrukh Khan की कुछ फोटोज़ वायरल हो रही हैं. बताया जा रहा है कि ये तस्वीरें उनकी आगामी फिल्म Dunki

Read More »

Ramayan

वैसे तो Ramayan के director Nitesh Tiwari, film को लेकर ज्यादा बातें नहीं कर रहे है. लेकिन ऐसा लगता है जैसे, film की shooting के

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​