चंदन की smuggling में शामिल औरत!
पलापेट्टी फायरिंग को बीनू कुमार के plan होने का doubt था, जिसने अपने illegal activities से ‘मिनी वीरप्पन’ का nickname रखवा लिया था। उस पर forest department में 11 मामले दर्ज हैं। उसके पिता कुप्पन भी कई मामलों में आरोपी हैं। दोनों पर, Shekhar, एक साथी जो बाद में forest watcher निकला, उसपर हमला करने का आरोप भी है। क्योकी उन्हे लगा कि shekhar forest department को
उनकी information दे रहा है।
Shekhar ने कहा कि उसके लिए अपने परिवार का पेट भरने के लिए इकलौता साधन खेती थी। और ज्यादा से ज्यादा smuggling होने की वजह से जंगल अब कुछ भी वैसा नहीं था जैसा पहले हुआ करता था। जिस जगह पर अब वन्ननथुरा forest station बना है, वहाँ कभी घना जंगल हुआ करता था। Marayur कॉलोनी के लोग और तमिलनाडु के लोग अपनी मर्जी से चंदन के पेड़ काटते हैं।
शेखर ने Smuggling में शामिल होना बंद कर दिया, जब उसे Smuggling के मामलों में फंसाए जाने की possibilities बढी, भले ही उसका उसमें कोई हिस्सा नही था। तो शेखर ने Forest officers से contact किया और एक temporary forest watcher के रूप में नौकरी करनी शुरू की। उन्होंने खुद को official harassment से तो protect कर लिया था, लेकिन अपने ही कई लोगों के गुस्से का कारण बने। चंदन के पेड़ों की बढती हुई चोरी को देखकर forest officers ने शेखर की मदद लेने का plan बनाया। शेखर ने कुप्पन पर उंगली उठाई। Kuppan, Binu Kumar के पिता कुछ महीने बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया।
बिनु कुमार ने कुप्पन को बताया कि उनकी गिरफ्तारी शेखर के दिए धोखे की वजह से हुई है। तो गुस्से में आकर उसने शेखर को रोका और लोहे के पाइप से उसके सिर पर वार किया। जिसकी वजह से शेखर ने 13 दिन अस्पताल में बिताए। उस हमले के गहरे निशान अभी भी मिटे नही है। वो धूप में नहीं निकल सकता और न ही ठंडा पानी पी सकता है। और आज भी अपनी ही कॉलोनी में safe महसूस नहीं करता हैं। उसी colony में रहने के लिए Shekhar ने, forest department के support की मांग भी की है।
बीनू कुमार उर्फ मिनी वीरप्पन कॉलोनी में heroic image बनाने के लिए अपनी बंदूक की शान दिखाता है। वो वहां के youth को अपने crime syndicate में recruit करता है। और कलियप्पन, जिसने अपनी चाची Chandrika को बिना दया के गोली मारी थी, वो binu kumar के लिए ही काम करता था। Binu kumar, youngsters को पैसे, मोबाइल फोन और officers से protection के झूठे वादे का लालच देता है, और तब उन्हे अपने illegal धंधे में उन्हे फसा लेता है।
Smuggling के नेटवर्क का एक और आदमी, सोमण (Soman), जिसने कलियप्पन को gun दी थी, जिसका इस्तेमाल kaliyappan ने अपनी ही चाची पर किया।
55 साल के Soman को एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिस दिन उसे टेलीविजन, मोबाइल फोन और इंटरनेट कनेक्शन की कमी के कारण उसके बच्चों की education में आ रही रूकावटों के बारे में मीडिया से शिकायत करते देखा गया था। Investigation में पुलिस को उसके घर से बंदूकों के कुछ parts, और जानवरों के दांत मिले थे।
कुछ दिन पहले ही Soman ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, कि उनकी property पर लगा चंदन का पेड़ गायब हो गया है। बाद में पता चला कि उसने खुद ही उस पेड़ को Sandalwood mafia को बेच दिया था। उसने अपने कम से कम पांच पेड़ों को “चोरी” होने की report की थी। जबकी अब उसकी property पर केवल पांच पेड़ बचे थे।
Marayur Town ने चंदन की Smuggling से जुड़ी कई हत्याएं देखी थीं। 2001 के बाद से अब तक छह से ज्यादा लोग मारे जा चुके थे। जनवरी 2002 में उदुमलाई (Udumalai) के पास एक रेलवे ट्रैक पर George और Azhagan (अज़गन) की dead bodies पाई गई थी। Smuggling के लिए vehicles का इस्तेमाल करने वाले smugglers ने jeep drivers, George और अज़गन को मार डाला था।
2016 में, चंद्र बोस की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी और उनके शरीर को उदुमलाई के पास रेलवे ट्रैक पर छोड़ दिया गया था। कंथल्लूर में रहने वाले एक आदमी पर smuggling के कई मामलों के आरोप लगे थे। ऐर कुछ ही दिनो बाद उसकी dead body मिली, उसका सर कटा हुआ था और उसका चेहरा बिल्कुल पहचानने लायक नही छोडा था। पुलिस को doubt है कि उसके साथियों ने उसे इस डर से मार डाला कि वो उनके धोखा दे सकता है।
2018 में, चंदन Smuggling के एक अौर आरोपी की dead body खाई में मिली थी, उसका सिर एक बड़े पत्थर से कुचला गया था।
आरोपियो के साथ साथ forest department भी violence के शिकार बने है। चंदन smugglers, यहां तक कि महिलाओं के हमले किए जाने के कई मामले सामने आए हैं, जो चंदन की लकडी को उठाकर ले जाने का काम करने लगी थी।
Indra, ऐसी ही एक महिला जिसने अपने परेशान करने वाले past के बारे में ज्यादा कुछ reveal नही किया। Chinnar Wildlife Sanctuary के अंदर पलापेट्टी की बस्ती में रहने वाली 39 साल की महिला दो मौकों पर चंदन की Smuggling में शामिल रही थी।
Indra ने अपने उस past को पीछे छोड़ दिया है, लेकिन वो उन लोगों के नाम कभी नहीं बताएगी, जिनके लिए उसने काम किया था। मरयूर के Sandalwood mafia में विश्वास तोडने का अंजाम मौत होती है, क्योकी ऐसे ही Marayur ki sandalwood mafia एक classic mafia बनी है।
नाम के अलावा इंद्रा ने बताया कि वो smugglers के लिए carrier का काम करती थी। वो 200 रुपये के मामूली इनाम के लिए आधी रात में जंगल के रास्तों से अपने सिर पर उठा कर लट्ठे ले जाती थी। वो जो भार उठाती थी, उससे उसके employers को लाखों रुपये मिलते थे।
Indra ने कहा कि वो गरीबी की वजह से इस खतरनाक illegal business कि ओर गई थी। जंगल के अंदर बसी बस्ती में कमाने का कोई साधन नहीं था। काम का इकलौता source middlemen का दिया गया काम होता था, जिसकी नजर बस्ती को घेरने वाले चंदन के पेड़ों पर गड़ी हुई थी।
Indra ने कहा कि जब वो इस illegal trade में शामिल थी, तो उसकी community कि कई और ladies भी smuggling में शामिल थी। और एक वक्त ऐसा भी था, जब smuggling रोकने की कोशिश कर रहे forest guards को कॉलोनी की कुछ महिलाओं ने पेड से बांध दिया था। यहां तक कि चाकू की नोक पर उन्हें धमकाया भी था।
लेकिन Indra ने end में खुद को snuggling business से दूर कर लिया। हालांकि, उनका बड़ा बेटा कार्तिक रैकेट का शिकार बन गया। और smuggling के मामले में हिरासत में लिए जाने के बाद उसने आत्महत्या कर ली।
बस्ती में रहने वाले youth को नौकरी देकर smuggling से दूर करने के एक programme के तहत, कार्तिक को forest department ने एक temporary forest watcher के रूप में काम पर रखा गया था। Kartik ने department की guidelines के हिलाब से काफी अच्छा काम किया। और एक loyal worker के रूप में अपनी reputation भी बनाई। हालांकि, कुछ साल बाद, वो smuggling की दुनिया में की तरफ चला गया।
कार्तिक को भी चंदन smuggling के local kingpin बिनु कुमार उर्फ ’मिनी वीरप्पन’ ने भर्ती किया था। मरयूर से 400 किलोग्राम चंदन की लकड़ी चुराने का plan था। कार्तिक 3,000 रुपये में बिनु कुमार की मदद करने के लिए तैयार हो गया। Gang ने पेड़ों को काट दिया और उन्हे एक खेत में store कर दिया।
आखिरकार forest department को भनक पड गई। और कार्तिक smugglers के साथी के रूप में सामने आया था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और नौकरी से निकाल दिया गया। छह महीने बाद, उसने आत्महत्या कर ली।
Kartik की मौत के बाद, Indra ने अपने छोटे बेटे को मरयूर से दूर भेज दिया। वो उसे जहाँ तक हो सके पढाना चाहती थी। और अब वे किसी और को इस व्यापार में जाते हुए नहीं देखना चाहती थी।
Indra आजकल Government employment guarantee scheme के माध्यम से अपना गुजारा करती है। Indra जैसे और बस्ती के लोग education और रोजगार की चाह में smuggling की ओर रुख करना पसंद करते हैं। और लगातार middlemen की चाल का शिकार बन रहे है।
Ruthless smugglers के हाथो, बस्ती के लोगो की जिंदगी खराब होते देख, forest department को smugglers का मुकाबला करने के लिए अपनी strategies को change करना होगा।
2005 में Forest department ने Marayur Sandal Division की establishment, एक Game changer बनी थी। Sandal Division को हिस्सो में divide किया गया- मरयूर और कंथल्लूर। चार forest stations – नचिवेल, मरयूर, कंथल्लूर और वन्ननथुरा – को वहाँ आस पास की range में ही बनाया गया था। Forest officers की बड़ी पल्टन की मौजूदगी ने लकड़हारों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं।
Forest department ने बस्ती में रहने वाले लोगो को employment opportunities भी दी, ताकि वो पैसो और रोजगार के लालच में smugglers का साथ ना दें।
जिस तरह से Marayur की महिलाओ का हाथ smuggling में रहा है, हो सकता है इस बारे में हमें Pushpa 2 में देखने को मिल जाए।
Marayur के sandalwood mafia के बारे में और जानने के लिए हमारी next blog का इंतजार करें।