चंदन के पेड़ों का legal business!
Kerala के Idukki district में Marayur Town, शायद देश का इकलौता forest division है जहां forest watchers और security Officers पेड़ों की एक special species को protect करने के लिए जंगल में हर वक्त अपनी निगरानी रखते हैं।
बारिश हो या धूप या यहां तक कि कोविड-19, Officers हर शाम 6 बजे forest trail पर निकल जाते है और 15 किलोमीटर area पर सुबह 7 बजे तक तैनात रहते है।
इस tight security का reason खुद marayur का top grade चंदन है। मरयूर, केरल में natural चंदन के जंगल वाला अकेला डिवीजन है, जिसमें लगभग 58,000 ये चंदन के royal और खुशबुदार पेड है।
बाजार में एक किलोग्राम चंदन की कीमत 16,000 रुपये है, और मरयूर में सबसे बड़े चंदन के पेड़ की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये है। चंदन के पेड़ के पत्तों को छोड़कर पेड़ के सभी हिस्सों का इस्तेमाल किया जा सकता था और इसकी छाल से ही 250 रुपये per किलोग्राम की कमाई हो सकती थी।
Assigned deeded land, यानी वो जमीन जिनके rights, owner ने legally transfer कर रखे है, उन पर पेड़ों की कटाई होने के बावजूद एक controversy छिड़ गई। मरयूर डिवीजन, जिसमें राज्य का इकलौता चंदन डिपो है, हमेशा की तरह हाई अलर्ट पर है। फिर भी, Marayur division ने 2004 में 2,660 चंदन के पेड़ और 2005 में 2,490 पेड़ खो दिए थे। और 2020 में, 13 पेड़ चोरी हो गए थे।
चंदन के Godowns के चारो ओर 12 फुट की एक दिवार बनाई गई है, ताकी protection के बढाया जा सके। Godown चारो ओर से सीसीटीवी और गार्ड की 24×7 निगरानी में रहता है। तीनों गोदामों में 200 टन चंदन की लकड़ी रखी जा सकती है।
लेकिन लोगो के बीच एक आम गलतफहमी ये है कि चंदन के पेड़ सरकार के होते हैं और उन्हें लोग अपनी private और residential property में लगा या उगा नहीं सकते है।
Marayur Sandal division के divisional forest officer (डीएफओ) बी रंजीथ ने गलतफहमी को दूर करते हुए कहा कि चंदन के पेड़ individually या private property पर plantation के रूप में लगाए जा सकते हैं। हालांकि, इन्हें काटने के लिए सरकार की मंजूरी लेनी जरूरी होती है।
डीएफओ ने समझाते हुए कहा कि present law चंदन के पेड़ों की कटाई की permission भी देता है, अगर वो life या property के लिए खतरा पैदा करते हैं। या फिर जिस जमीन या घर में चंदन का पेड लगा था, उसका reconstruction हो रहा है, तो भी उस पेड को काटने की permission government देती है।
इसके लिए पेड को काटने के लिए एक document, Divisional forest officer को submit करना होगा, जिसमें permission देने की request की जाएगी।
जैसा कि हम जानते है कि पेड कट कर Marayur depot में store होगा, लेकिन मरयूर में शिफ्ट करने से पहले forest department जड़ों से लेकर पूरे पेड़ का महाजर तैयार करेगा। Mahazar यानी एक proof की सारे procedures ठीक तरह से follow किए गए है।
केरल में कहीं भी गिरे हुए चंदन के पेड़ों को मरयूर के चंदन डिपो ले जाया जाएगा, जहां पहले उनका वजन देखा जाएगा। बाकी पेड़ों से अलग, चंदन किलोग्राम में मापा जाता है।
चन्दन की लकड़ी की किमत उस landowner को मिलेगी जिसकी जमीन पर वो पेड उगाया गया था, लेकिन इसमें भी एक condition ये है कि गिरे हुए पेड या उस जमीन, पर कोई liability यानी कोई loan या उधारी नही होनी चाहिए। और अगर पेड किसी assigned deeded land, यानी जिसके rights किसी और को assign किए हुए है, पर है तो owner को pay नहीं किया जायेगा।
तहसीलदार या उससे ऊपर के पद के एक officer को ये certify करना चाहिए कि जमीन का owner Government नहीं है और पेड़ पर कोई liability नही है। उस Certificate के basis पर ही Landowner को pay किया जायेगा।
चंदन को 15 types में classify किया गया है, और हर type की की कीमत अलग अलग होती है।
First grade के चंदन की कीमत 16,000 रुपये किलोग्राम है, जबकि second grade के चंदन की कीमत 14,000 रुपये है। कुल कीमत में से 23% टैक्स काटा जाएगा। 100 किलोग्राम वजन वाले पेड़ का लगभग 20% first grade का होगा, और बाकी बचे हुए अलग अलग types के होंगे।
Owner को payment करने से पहले, DFO और landlord ये ensure करेंगे की सारे records सही order में है और ये करने के बाद वो एक deal sign करेंगे। 2012 तक, owner को पेड़ की कीमत का सिर्फ 70% ही pay किया जाता था, और बाकी सरकार के पास जाता था।
लेकिन अभी present में, owner को पूरी amount pay की जाती है, बस transportation और नीलामी में इसे खरीदने वाले व्यक्ति को सौंपे जाने तक के खर्चे को छोडकर, बाकी पूरी amount owner को दे दी जाती है। Owner को पेड़ के price का 95% तक मिलेगा।
मरयूर डिपो में private parties से भी चंदन के पेड़ आते हैं। डेढ़ साल पहले एक private property का चंदन का पेड़, 34 लाख रुपये में नीलाम हुआ था।
केरल में देखी जाने वाली चंदन की 30 अलग अलग types में ‘सैंटलम एल्बम’ (Santlam Album) सबसे अच्छा माना जाता है। और इसलिए ऑस्ट्रेलिया ने केरल से खरीदे गए पौधों का use करके, इस type की plantation वहां शुरू कर दी है।
मैसूर और तमिलनाडु में कई तरह की बिमारियों से चंदन के पेड destroyed होने के बाद अब मरयूर में सबसे ज्यादा चंदन के पेड़ हैं।
मरयूर में पिछले दो साल से चंदन के पौधे लगाने का काम भी चल रहा है। चंदन, एक Partial root paradise होने के कारण, अपने आप survive नहीं कर सकती है और इसके पोषण के लिए एक host की जरूरत होती है। इसलिए, चंदन के पौधे को छुईमुई के या कैसुरिना के पेड के साथ लगाया जाना चाहिए। पिछले साल मरयूर में 4,800 पौधे लगाए गए थे।
सुपीरियर चंदन के पेड़, या कहे ‘Plus Tree’ में लगभग, उपर से नीचे एक समान मोटाई के अलावा, centre part भी अच्छा होता है और इसमें तेल भी काफी ज्यादा होता है। ऐसे पेड़ों का एक मीटर चौड़े, एक टुकड़े में कम से कम पांच किलोग्राम वजन का होना चाहिए और एक बार कटने के बाद अच्छा दिखना चाहिए।
बिना खुशबु वाली सैपवुड ( Sapwood) यानी कच्ची लकडी से 2013 तक कोई पैसा नहीं मिला। लेकिन बाद में बिना खुशबु वाले चंदन के पेड की छाल और कच्ची लकडी को classification में शामिल किया गया, और फिर वो भी माल का हिस्सा बन गए।
चंदन की लकड़ी को साल के किसी भी समय काटा जा सकता है। जानवरों द्वारा गिराए गए पेड़ या तेज हवाओं में टूटी शाखाओं को Set Process को follow करके डिपो में shift किया जा सकता है। Range Officer और DFO को उस location को रिकॉर्ड करना होता है, जहां से पेड़ को shift किया गया है। पेड़ को कैसे और कब काटना है, कौन-कौन से हिस्से इस्तेमाल किए जा सकते हैं, आदि भी record किए जाते हैं।
मरयूर में चंदन के पेड़ हर तीन साल में गिने जाते हैं। चंदन के बीज मरयूर में Forest department से ही खरीदे जा सकते हैं।
DFO रंजीथ ने कहा कि कर्नाटक साबुन और डिटर्जेंट Mysore Sandal soap के manufacturer, एक Major client हैं, जो मरयूर से लगभग 98% चंदन की लकड़ी खरीदते हैं। केरल और बाहर के मंदिर भी मरयूर से चंदन की लकड़ी खरीदते हैं।
मरयूर में Forest development corporation का चंदन का तेल निकालने की Factory थी। 10 मिलीलीटर तेल 5,000 रुपये में बिकता है, लेकिन कीमत ज्यादा होने की वजह से खरीदार कम हैं। और इसलिए वो फैक्ट्री अब बंद हो चुकी है।
विशाखापत्तनम और कोलकाता के मंदिर भी मरयूर से चंदन की लकड़ी खरीदते हैं। सरकार ने गुरुवायूर के श्री कृष्ण मंदिर को हर साल ऊंची कीमत पर चंदन उपलब्ध कराने का Standing order issue किया है। क्योकि मंदिर के पास चंदन का enough stock है, इसलिए वो 2017 के बाद से चंदन की लकड़ी नहीं खरीद रहे है।
चंदन की Auction में कासरगोड, कन्नूर, त्रिशूर और कोट्टायम के मंदिर भाग लेते हैं। Auction की जानकारी ईमेल के जरिए दी जाती है।
मरयूर चंदन में तेल की मात्रा ज्यादा होती है। कर्नाटक में उगाए जाने वाले 100 किलोग्राम चंदन से तीन किलोग्राम तेल निकाला जा सकता है, जबकि मरयूर चंदन के 100 KG में पांच से आठ किलोग्राम चंदन का तेल मिलता है। और एक किलोग्राम चंदन के तेल की कीमत 3 लाख रुपये है।
Marayur का climate और मिट्टी मरयूर चंदन को superior बनाती है। इस area में कम बारिश हुई और जमीन ढाल पर है। South India की सबसे ऊँची चोटी अनामुडी के नीचे located, मरयूर समुद्र तल से 580 मीटर की ऊँचाई पर है।
जहाँ एक तरफ valuable चंदन की smuggling की जा रही है, वही कुछ लोग ऐसे भी है जो legally ये business करना चाहते है।
Pushpa में जिस तरह से sandalwood smuggling दिखाई गई थी, हो सकता है इस बार pushpa 2 मे हमें Sandalwood की positive side यानी legal side देखने को मिल सकती है।
जिसमें अगर Sandalwood की वजह से crime दिखाया जा रहा है, तो कानून ने इसे रोकने के लिए और legal business बनाने के लिए क्या क्या किया, ये सब देखने को मिल सकता है।