Bhola
आजादी से भी पहले Maharashtra में पैदा हुआ shivrao अपने आसपास केवल गरीबी देखता हुआ बड़ा हुआ था । उसने ज्यादातर जीवन में यही देखा था कि किस तरह हर साल उसका और उसके जैसे कई परिवार केवल basic needs के लिए इतनी मेहनत करते थे । जब shivrao बड़ा हुआ तो उसे कलकत्ता जाने ka सुझाव मिला। कलकत्ता में उसी समय Britishers ने कई Industries और rail बिछाने चालू करी थी, जिसके चलते वहां employment के अवसर ज्यादा थे । एक बेहतर जिंदगी कि चाहत में shivrao कोलकाता चला गया। वह जाकर उसने दो अलग-अलग नई दुनिया को डिस्कवर किया ।पहली वह जहां वह रहाता और उन्ही लोगों के साथ में काम करता था, जो काफी हद तक उसी तरह थी जहां से वह आया था। लोग दिन से रात तक मेहनत करते और सिर्फ इतना ही कमा पाते ही पेट भर पर पाए । और दूसरी तरफ थी पूरी तरह अलग दुनिया जिनके यहां वो काम करता था।
रईसी और चमक धमक से भरी यह एक नई दुनिया थी जो उसने पहली बार देखी थी लोग दिन से रात तक आराम फर्राटे हुए पैसा कमाते हैं और उस पैसे को खर्च थे समय दो टूक भी नहिं सोचते, क्यूंकि पैसा ही इतना भरपूर था ।घरों में एक पूरा-पूरा कमरा केवल अनाज के लिए रखा गया था ।यह सब देखकर shivrao का दिमाग काफी बेसबर हो गया क्यूंकि यहां खाने खाने को रखने के लिए भी एक अलग कमरा था और वहां दूसरी तरफ पूरे पूरे परिवार केवल एक कमरे में अपना गुजारा कर रहे थे। पर shivrao उन लोगों में से नहिं था जो दूसरों की कामयाबी देखकर जलते हो। वह केवल इस बात से हिल गया था कि दुनिया में कुछ लोगों को उम्मीद से बहुत ज्यादा मिला है और कुछ केवल अपना गुजर अतः बसर ही कर पाते हैं ।
यह देखकर shivrao ने कुछ ठाना। जिस सेठ के यहां वह काम किया करता था, उसके यहां से वह गेहूं चुराने लगा। वह रात में गेहूं वाले कमरे में जता और बोरा भर के गेहूं निकल लेता। पर गेहूं को वह खुद खाता या बेचता नहिं था, वह इसे गरीबों में बांट देता। जहां पहले महीने किसी को भी इस बात की ख़बर नहिं लगी वहीं कुछ समय बाद shivrao कि चोरी पकडी गई। चोरी पकडी जाने के बाद सेठ ने shivrao को पुलिस के हवाले तो नहिं किया पर दंड और कौड़ियों से सेठ ने मार मार कर उसे गाँव से बाहर निकल दिया ।यह देखने के बात वह कुछ लोग जो जिनकी मदद shivrao ने की थी वह गाँव के बाहर तक उसको देखने आये । उन्हीं लोगों ने shivrao को एक झोपड़ी में औषधियों की मदद से ठीक किया।
जब shivrao को होश आया और पूरी तरह से ठीक हो गया तब उसने कुछ ठानी ।जिस rail लाइन पर shivrao काम करता था उसने अपने साथियों के साथ मिलकर वहां से आने जाने वाली कोयला लेने जाने वाली trains का समय निकाला ।इसके बाद अपने साथियों के साथ चलती ट्रेनों पर चढ़कर वह बोरियों में कोयला भरता और उसे नीचे फेंक देते। उसके बाद इस कोयले को बेचकर कई गरीबों परिवार अपना पेट भरते थे ।देखते ही देखते shivrao का यह गुट बढ़ाने लगा पर एक समय बाद shivrao ने नोटिस किया कि कैसे उसके गुट में कुछ लोग उसी को डबल क्रॉस कर रहें थे।चुराया हुआ कोयला अलग निकल कर उसे बेचकर अपना फायदा कर रहे थे जब यह बात shivrao ने यह बात सबके सामने उठाई तो कई लोगों ने अपने लालच को अपना हक जताने की कोशिश करी ।जब shivrao की बहुत समझाने पर भी यह लोग नहिं माने तो shivrao ने एक बड़ा कदम उठाया। शिव राव ने पास के ब्रिटिश पुलिस थाने मे इने खुद ही surrender कर दिया ।पर अपने साथ-साथ अपने सभी साथियों को पकड़वा दिया। इसके बाद से shivrao में अपनी पूरी कहानी कोर्ट में पेश की उसने बताया कि कैसे उसका मकसद केवल गरीबों का पेट भरना था ना कि कोई लालच पूरा करना ,पर उसके बहुत समझाने के बाद भी कैसे लोग नही माने तो उसे कदम उठाना पड़ा।यह सब सुनाने के बाद judges ने खुद भी यह मानना Shiv Rao का इंटेंशन गलत नहिं था पर क्यूंकि कानून सब के लिए सेम होता है इसीलिए shivrao को उसकी चोरी की सजा सुनाई गई ।उसके साथ साथ shivrao के सारे साथियों को भी जेल हुई। जेल में भी सारे ही कैदी शिवराय की इज्ज़त करते थे क्यूंकि जब भी कोई बीमार होता या किसी कोशिश चोट आती तो shivrao ही सबसे ज्यादा उसे इंसान की केयर करता।
महाराष्ट्र के shivrao की यह कहानी चाहें पुरानी क्यों नहिं हो पर आज के समय की नई मूवीज के थीम से काफी मैच खाती है ,जैसे कि Ajay Devgan की आने वाली movie भोला Ajay देवगन को कैदी के रूप में दिखाया गया गया है। toh hoskta hai makers issbar isi kahani par nhola lekar aaye
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- Apoorva