Indian Soldiers जो पाकिस्तान के साथ पिछले wars के कोहरे में गायब हो गए, और जो दुश्मन पड़ोसियों की troubled history की दरारों में से फिसल गए- वो है The Missing 54.
भारत और पाकिस्तान दो बार कश्मीर के disputed area में युद्ध के लिए गए हैं – 1947-48 और 1965 में। फिर, 1971 में, पाकिस्तान भारत से 13 दिनों का युद्ध हार गया, जिसके बाद इसका eastern आधा हिस्सा, भारत के 1,600 किमी (990 मील) से ज्यादा बाकी हिस्सों से अलग हो गया और बांग्लादेश Nation के रूप में उभर कर सामने आया।
नवंबर 1971 के end में, east के front पर बोयरा के आसमान में एक लड़ाई हुई।
जिसमें, दो पाकिस्तानी को indian pilots ने मार गिराया। पाकिस्तानी पायलटों को भारत ने बंदी बना लिया था। Wsetern front पर, second लेफ्टिनेंट जो स्विटेंस (Joe Swittens) भारत-पाकिस्तान border के करीब, अपनी यूनिट की तैनाती से लगभग 400 मीटर आगे एक indian army के observation post पर खडे थे।
जब Joe swittens अपनी post पर थे, तब पाकिस्तानी Air force के jet विमानों ने Indian rear positions यानी पिछे तैनात soldiers पर धावा बोल दिया। Indian ब्रिगेड के साथ उनकी कंपनी हमले से destroy होने से बचने के लिए वहां से पिछे हट गई थी, लेकिन Joe Swittens एक yound soldier को इस बारे में नही पता चला। Joe और उसके दो साथियों को Main Unit से अलग कर दिया गया था। एक पाकिस्तानी ने Joe को ढुंढ लिया और उसे पकड़ लिया। भारत-पाकिस्तान के इस war के पाकिस्तान की हार हुई। हालांकि, एक साल से भी ज्यादा समय तक पाकिस्तान अपने साथ Joe की मौजूदगी से इनकार करता रहा।
एक दिन, एक Red cross team ने living condtions की जांच करने के लिए पाकिस्तानी जेलों को visit किया। जेल में एक कैदी Joe swittens ने टीम की एक lady member को approach करने का बहाना बनाया। और उसने उसके हाथ में एक कागज थमा दिया: जिसमें officer का नाम, पहचान और पिता का पता था।
Red cross team ने indian Governemnt को inform किया। Internationally exposed पाकिस्तानी सरकार दबाव में आ गई थी। Joe Swittens, गायब हो गया और लापता declare कर दिया गया। फिर सितंबर 1973 में वो भारत लौट आया। युद्ध का पहला कैदी, स्विटेंस रिहा होने वाला आखिरी बन गया था।
भारत का मानना है कि 54 soldiers लडाई के action time में लापता हुए है और पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं। लेकिन उनके लापता होने के चार decades से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी total कितने soldiers कैदी बने इसकी कोई clarity नहीं दी गई है।
नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार ने parliament को बताया कि पाकिस्तान की हिरासत में “लापता 54” को जोड़कर कुल 83 indian soldiers थे। बाकी बचे वो soldiers हैं, जो border के पार भटक गए या जासूसी के आरोप में पकड़े गए थे। लेकिन पाकिस्तान ने किसी भी Indian prisoner of war को रखने से लगातार इनकार किया है।
भारत के एक senior journalist चंदर सुता डोगरा (Chander Suta Dogra) ने लापता 54 की कहानी पर कई सालो तक reseach किया है। उसने retired army officer, और soldiers के रिश्तेदारों से बात की है और भारत के foreogn ministry के letters, अखबारों में उनसे related खबर, Dairy Entries, photographs और वो records जो classify नही है, उनको भी देखा है।
Missing in Action: कैदी जो कभी वापस नहीं आए, उनके बारे में reserach की गई नई किताब, सबके key question का जवाब देने की कोशिश करती है।
वास्तव में इन soldiers के साथ कुछ भी हो सकता है, जैसा कि Ms. chandra के research से पता चलता है।
क्या ये लोग वास्तव में Action में मारे गए थे? क्या भारत के पास ये साबित करने के लिए सबूत हैं कि वो पाकिस्तान में पकड कर रखे जा रहे थे? क्या उन्हें पाकिस्तान में Indefinite वक्त को लिए बंदी के लिए चुना गया था, ताकि future में सौदेबाजी के रूप में इस्तेमाल किया जा सके?
क्या उनमें से कुछ – जैसा कि पाकिस्तान के कई officers का मानना है – भारतीय खुफिया एजेंट जासूसी के लिए पकड़े गए थे? क्या जिनेवा कन्वेंशन ( (Geneva Convention), War को control करने वाले international law के उल्लंघन में पाकिस्तान में पकड़े जाने के बाद उन्हें brutally torture किया गया था? क्या लापता सैनिकों में से कुछ पकड़े जाने के तुरंत बाद मारे गए थे?
और भारत सरकार ने लापता सैनिकों पर एक petition के जवाब में 1990s की शुरुआत में एक local अदालत में पेश किए गए दो affidavits में 54 soldiers में से 15 soldiers के मारे जाने की confirmation को आसनी से स्वीकार क्यों किया? और अगर ऐसा है, तो सरकार आज क्यों जोर दे रही है कि सभी 54 soldiers अब भी लापता हैं?
Ms. Chandra Dogra का कहना है कि ये clear है कि सरकार को पता था कि लापता लोगों में से कुछ वास्तव में मर चुके थे। फिर उन्होंने list में उनके नाम क्यों रखे? Clearly, जानबूझकर वहम पैदा किया गया है और सरकार को इस मामले पर clarity देनी चाहिए, सिर्फ soldiers के रिश्तेदारों के लिए ही नहीं, बल्कि सभी Indians इस बात की सच्चाई जानना चाहते है।
Missing soldiers में से एक के भाई ने उनको बताया कि सरकार अपने काम में नाकाम रही है।
युद्ध की जीत की excitement में, सब उन soldiers को भूल गए।
और इसके दोषी सरकार और defence establishments को माना जाता है।
Missing soldiers के family member तो यहां तक चाहते थे कि कोई third party बीच मे आए और इन soldiers के बारे में सच्चाई को सबके सामने लाए, लेकिन भारत इसके लिए Agree नहीं हुआ।
फिर भी, ये कहानी का केवल एक हिस्सा है।
Journalist Chandra ने कुछ कहानियों का पता लगाया है, जो बताती हैं कि war खत्म होने के बाद भी Missing 54 में से कुछ soldiers पाकिस्तानी जेलों में जिंदा थे।
जैसे, 1965 के war में लापता हुए एक वायरलेस ऑपरेटर के परिवार को अगस्त 1966 में indian army ने बताया था कि वो मर चुका है। लेकिन, 1974 और 1980s की शुरुआत के बीच, पाकिस्तान द्वारा लौटाए गए तीन भारतीय कैदियों ने officers और missing soldier के परिवार को बताया कि वो अभी भी जिंदा है। लेकिन फिर भी कोई कार्यवाही नही की गई।
हालाकी, ऐसा भी नहीं है कि कैदियों को trace कर घर लाने की कोशिश नही की गई। दोनों सरकारों ने उनकी रिहाई के लिए बातचीत की है। एक के बाद एक आने वाले indian prime minister ने इसका समाधान निकालने की कोशिश की है।
ऐसा भी नहीं है कि दोनों sides के बीच कैदियों की अदला-बदली नहीं हुई: भारत ने 1971 के युद्ध के बाद क़रीब 93,000 पाकिस्तानी soldiers को वापस लौटा दिया, और पाकिस्तान ने 600 से ज्यादा soldiers को वापस भेज दिया था।
रिश्तेदारों के दो Groups – 1983 में छह लोग और 2007 में 14 – लापता males की तस्वीरें और उनकी other details लेकर पाकिस्तान गए और jails को भी visit किया लेकिन कोई फायदा नही हुआ। उनमें से कुछ ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने कैदियों से मिलने के उनकी कोशिशो में बाधा डाली थी, जिसे पाकिस्तान ने Accept करने से मना कर दिया था। दूसरी visit के दौरान, relatives ने कहा कि उन soldiers के जिंदा होने और पाकिस्तान में होने के पुख्ता सबूत थे। लेकिन पाकिस्तानी interior ministry ने इससे भी इनकार कर दिया था।
और बार-बार यही कहा गया है कि पाकिस्तान में कोई indian prisoners of war नहीं है और Pakistan उसी position पर कायम हैं।
लेकिन Journalist डोगरा कहती हैं कि सच्चाई gret ज़ोन में है, जहाँ कोई चलना नहीं चाहता।
और एक बात तो साफ है कि इन जवानों के परिवारों के को अभी तक कोई closure नही मिला था।
HS Gill, एक dare devil air force pilot जिसे उसके साथी प्यार से “हाई स्पीड” गिल कहते थे। 1971 के युद्ध के दौरान उनके plane को सिंध में मार गिराया गया था। वो 38 साल का था, जब वो लापता हो गया था। भारत द्वारा तैयार की गई missing soldiers की list में उनका नाम आता रहा – और उनके परिवार को विश्वास था कि वो वापस आ जाएंगे। लेकिन वो वापस नहीं आए।
तीन साल पहले, उनकी पत्नी, एक स्कूल प्रिंसिपल, की कैंसर से मृत्यु हो गई; और उनके बेटे ने late twenties में अपनी जान ले ली; और परिवार के एक सदस्य के अनुसार, उनकी बेटी का ठिकाना unknown है।
Soldier के भाई गुरबीर सिंह गिल ने बताया कि, “सच कहूं तो मैंने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। मुझे पता है कि वो जिंदा नहीं हो सकता है। लेकिन फिर हमें सच बताना चाहिए। सच्चाई के सामने ना आने का वजह से हम लोग wait करते है, उम्मीद करते हैं कि वो वापस आ जाएगा, है ना?”
और उम्मीदे आसानी से खत्म नही होती।
Missing soldiers की stories और उनकी families की story से inspired कोई कहानी या plot हमें soldier 2 में भी देखने को मिल सकता है।
जिसमें Main lead या तो खुद missing soldier हो सकता है या फिर उसका mission missing soldiers तो ढुंढने का है।
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