Krrish 4

15 अगस्त, 1977 को ओहायो (Ohio) में Big Ear Radio Telescope को अब तक का सबसे powerful signal मिला था, एेसा कोई Signal पहले कभी receive नही हुआ था। 

ये Signal सिर्फ 72 सेकंड तक चला, लेकिन जब कुछ दिनों बाद एक astronomer ने इसे एक कंप्यूटर प्रिंटआउट पर देखा, तो वो उसे इतना impressive लगा कि उसने जल्दी से “WOW!”  पूरे page पर लाल पेन से लिख दिया।  

SETI (Search For Extraterrestrial Intelligence) के Astronomers के लिए ये Data यानी Message ठीक वैसा दिख रहा था, जैसे कि उन्हें एक Alien Intelligence के Message से उम्मीद की थी।  हालाँकि, कई बार दोबारा search करने के बावजूद भी वो WOW Signal फिर कभी देखने को नही मिला। 

 

और जैसे ही ये बात बाहर निकली, कुछ ही पलों में जनता की imagination top level पर पहुचँ गई थी।   कुछ लोगों के लिए, WOW signal अब तक का Alien life के बारे में पता लगाने वाला सबसे powerful और promising Signal था।  लेकिन कुछ लोग इसे Science से Publicity की जीत के रूप में देख रहे थे।

SETI के senior Astronomer ने कहा कि, ये Signal Aliens का था, या नही, ये कोई नहीं जानता। इस Signal के पिछे क्या meaning हो सकता था, उसके लिए किसी को भी कोई दुसरी Explanation नहीं मिली थी। ये ऐसा है जैसे आप अपनी एक झोपडी में से जंजीरों की गड़गड़ाहट सुनते हैं और आपको तभी Realise होती है कि भूत असली होते है। लेकिन फिर वो आवाज दोबारा फिर कभी नहीं सुनते हैं, तो आप क्या सोचेंगे?  

सबसे important बात, उन्होने बताई कि है कि अगर सिग्नल का नाम WOW नहीं होता, तो किसी ने इसके बारे में कभी नहीं सुना होता।  SETI के शुरुआती दिनों में इस तरह के one-time signals बहुत आम थे।

जब कंप्यूटर बिल्कुल exact time पर Astronomers को नई discoveries के बारे में inform कर देते थे, और Research का बहुत ही तेजी से follow up करते थे।

 

1977 की गर्मियों के End में, जेरी एहमन (Jerry Ehman), Big Ear Radio Observatory द्वारा collect किए गए Data के कंप्यूटर प्रिंटआउट के latest batch को review करने के लिए बैठ गया, जहां वो एक astronomer के रूप में अपनी मर्ज़ी से काम रहा था। 

Big Ear Radio Observatory, कई दिनो चक लगातार data collect कर सकती है ऐर तब तक करती है जब तक computer की storage खत्म ना हो जाए।

जब Storage full हो जाती तो, उस समय, एक technician उसकी जांच करता था, चीजों को reset करता था और आकाश के एक नए सिरे पर focus करते हुए, Research शुरू की जाती खी।

 

Big Ear Radio Observatory अपने समय के astronomers के बीच famous था। इस टेलीस्कोप को Ohio State University के एक Radio astronomer ने design किया था।

और ये 1960s में University Staff, Volunteers  और part time मजदूरों द्वारा बनाया गया था।   इसे अब तक का सबसे accurate Radio Map Sky  बनाने के काम को पूरा करने के लिए National Science Foundation Funds के पैसो से बनाया गया था।

लेकिन Big Ear, बाकी Radio Telescope की तरह नहीं दिखता था।  ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने फुटबॉल के मैदान को सफेद पेंट से ढक दिया हो और गोलपोस्ट के पीछे दोनों छोर पर benches लगा दिए हों।  ये benches वास्तव में टेलीस्कोप के बड़े reflector से इसके receiver तक रेडियो signals को पहुचाने में मदद करते थे।

 हालाँकि, 1972 में जब Big Ear ने Sky की mapping पूरी कर ली तो टेलीस्कोप को एक नए काम की जरूरत थी।

 

1973 की शुरुआत में, NASA ने technologically advanced Aliens से signals के लिए आसमान की खोज के लिए, Volunteered staff यानी जो बिना salary के मर्जी से इस project में शामिल होना चाहते थे, उन्हे इकट्ठा किया और उनके इस effort को support किया।

इस project में professional astronomers के अलावा, डॉक्टरों, वकीलों, स्कूल के teachers, college professors और पूरी तरह से unrelated profession के लोगो के एक group ने मिलकर काम किया था।

Senior Astronomer ने कहा कि उस वक्त वो बहुत कम बजट पर काम कर रहे थे। और इसलिए किसी को भी वो Pay नही कर सकते थे।

उसके लिए, हर कुछ दिनों में Data के बड़े printouts को review करना, उसके काम का एक regular हिस्सा था। और 17 अगस्त, 1977 को, जैसे ही उसने papers के नए ढेर को देखा, उनमें उसे Numbers और letters का एक set दिखाई दिया: 6EQUJ5।

 

जो इसका मतलब नही समझ सकता, उनके लिए ये बकवास जैसा लगता होगा।  लेकिन Astronomer के लिए, इस Data का मतलब था, कि बिग ईयर ने एक बहुत मजबूत सिग्नल उठाया था जो शुरू में कम था, फिर Strength बढी और फिर अचानक से Signal गिर गया था।  इसका मतलब था कि सिग्नल को उठाया गया था, क्योंकि वो आसमान के एक special area detector के ऊपर से होकर गुजरा था। और ये Signal 50 channels में से सिर्फ एक channel में दिखाई दिया था।

 

यह एक ऐसा सिग्नल था, जिसकी तलाश में Astronomers थे। क्योंकी फिर उन्हें ये पहचानने में देर नहीं लगी, कि ये बेहद दिलचस्प था।  और एक ही शब्द ‘WOW!’ उनके दिमाग में आया, जिसे उन्होंने उस page पर लिख दिया था।

लेकिन जैसे ही उन्होंने अगले दिनों के Data printouts check किए, उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि सिग्नल फिर से दिखाई नहीं दे रहा था।  Big Ear Observatory के director और staff से मिलने के बाद ही उनका interest और गहरा हो गया।  साथ में, उन्होंने आसमान के उस Area में किसी भी possible object की खोज की जो WOW signal को explain कर सके। Astronomer ने comets और planets से लेकर satellites सब को check किया। लेकिन WOW signal की कोई interpretation नही मिली।

Team ने Big Ear Telescope से एक महीने तक आसमान की उसी location को observe किया, फिर भी उन्हें कुछ नहीं मिला।  और एक साल बाद जब उन्होंने दोबारा कोशिश की, तब भी WOW signal का कोई clue नही मिला।

लेकिन फिर भी Big Ear का ये project 24 सालों तक लगातार चला, जिससे ये history में सबसे लंबे समय तक चलने वाली research बन गई।  लेकिन उस समय के दौरान, investigators को WOW signal जैसा कुछ और Signal नहीं मिला।  

और कोई भी Solid conclusion ना निकलने की वजह से एक ही बात को माना जा सकता था कि ये सिर्फ Aliens ही ऐसा impressive signal देने के लिए capable हो सकते थे।

1998 तक, Ohio state university ने टेलीस्कोप को demolish कर दिया था।

 इन सालों में, कई और Astronomers ने WOW Signal पर reseach की थी।

और बताया कि सिग्नल, या तो कुछ समझाने की कोशिश कर रहा था या इसे relocate कर रहा था।  

Senior astronomer करते है कि उन दिनों, इस तरह के signals का केवल एक बार show होना, एक बहुत आम बात थी। कंप्यूटर में Real time Follow up करने की शक्ति नहीं थी।  

लेकिन अगर आज ये Signal मिलता है तो computer कहेगा WoW और सारे Astronomers Wow Signal की direction में telescope को हिलाना शुरू कर देंगे! और ये पता लगाने की कोशिश करेंगे कि WOW Signal असल में क्या था। 

 एक बार जब observatory computers Real time follow up के लिए तैयार हो गए, तो ऐसे mysterious signals मिलने कम हो गए।

और ये timming भी बिल्कुल ऐसी, जैसे Aliens को अब पता है कि ऐसे signals को detect करने के लिए हमारे पास better equipments है।

 

सालों बाद भी Senior astronomer को महीने में कम से कम एक बार ऐसे लोगों से ईमेल आते हैं, जो उस प्रिंटआउट को देखते हैं और उस Data की हर तरह से interpretation करते हैं।

लोग अक्सर इसे एक एलियन कोड के रूप में देखते हैं, जिसे इंसानों के लिए एक direct message के रूप में भेजा जा गया हो।  लेकिन वो ये नहीं समझते हैं कि प्रिंटआउट पर numbers और letters का combination, observatory में काम कर रहे Astronomer ने किया था, जो की खुद एक इंसान था। तो एक तरह से जरूरी नबी है कि जो interpret हुआ, वो असल में वही हो, जो Aliens ने हमारे लिए भेजा हो। 

लोगों को सिर्फ उस printout को देखकर लगता है कि उन्हें पता चल गया है कि message क्या है, या एलियंस कितने बड़े हैं। 

 लेकिन भले ही ये एलियंस कि तरफ से Humans के लिए पहला message था, astronomers को अभी भी इसका अंदाजा नहीं है, कि WOW signal का क्या मतलब हो सकता था।

 

1977 में हुई Aliens के WOW message की Mystery, जिसका सही कारण या कहे sender आज तक नही पता चला है। ऐसी Mystery का use krrish 4 में किया जा सकता है।

हालाकी फिल्म में इस कहानी को थोडा change करके ये WOW signal सच में जादू और उसके साथी Aliens की तरफ से इंसानो के लिए भेजा सकता है।

असलियत में तो कोई clear explanation नही है, लेकिन krrish 4 में हम WOW Signal पर film को End होते एक goodbye के रूप में या कहानी के Main plot के रूप में भी देख सकते है।

और इगर आपको याद हो तो Krrish series की पहली फिल्म Koi Mil Gaya में भी जादू की Entry उनकी Spaceship से मिले Signal की वजह से ही हुई थी।

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