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Mumbai खतरे में!
20 सितंबर 2013 शाम के 4:00 बजे ATS के Head राकेश मारिया अपने ऑफिस में बैठे थे तब उन्हें एक फोन आता है वह अपना फोन उठाते हैं तो दूसरी तरफ से उनका एक खबरी हाफते हुए आवाज में यह कहता है उस्मानी भाग गया, कौन भाग गया? सर इंडियन मुजाहिद्दीन अब्दुल उस्मानी भाग गया। यह सुनते ही मारिया के हाथों से उनका फोन छूट जाता है, 2 साल पहले मारिया क्राइम ब्रांच में थे और बस वही जानते थे की उस्मानी को जेल में डालने के लिए उनको और उनकी टीम को कितने पापड़ बेलने पड़े थे। अरे वह तो कस्टडी में था ना? तो वह कैसे भाग गया? उनका खबरी उत्तर देता है साहब उसे कोट लेकर गए थे वहीं से भाग गया। अपनी पत्नी और अपने बच्चे को जल्दी घर आने का वादा करके ऑफिस आए मारिया जानते थे कि अब उन्हें अपना वादा तोड़ना पड़ेगा। खबरी से बात करने के बाद वह तुरंत अपने लोगों को फोन कर पूरी जानकारी लेते हैं। हुआ कुछ यूं था कि दोपहर को नवी मुंबई की पुलिस की एक टीम 18 कैदियों के साथ सेशन कोर्ट में पहुंची थी, बाहर बारिश हो रही थी और अंदर कोर्ट के बरामदे में काम करने वाले कर्मचारी, वकीलों, पुलिस वालों, और अपने अपने काम से आए सिविलयंस की खूब आवाजाही हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार अब किसी भी आरोपी या अपराधी को हथकड़ी नहीं लगाई जा सकती थी चाहे वह देश की कोई भी जेल या कोर्ट हो या फिर जेल और कोर्ट के बीच का रास्ता, यही कारण था जेल से आए ये 18 कैदी खुले हाथ लिए police के सात कोर्ट के बरांडे में बैठे हुए थे। लगभग 15 मिनट के बाद इस पुलिस पार्टी का एक कॉन्स्टेबल कैदियों की गिनती शुरू करता है, लेकिन गिनती पूरी होने से पहले ही उसके पैरों तले से जमीन खिसक जाती है। जेल से आए इन कैदियों की संख्या 17 हो गई थी मतलब यह कि इनमें से एक कैदी गायब हो चुका था। एक बार और गिनती करने के बाद यह कॉन्स्टेबल जोर-जोर से शोर मचाना शुरू कर देता है और इसकी तरह इसके साथी का भी कलेजा उनके मुंह को आ जाता है। पुलिस की ऐसी हालत का कारण सिर्फ एक कैदी का भागना नहीं था, बल्कि गायब हुए उस कैदी का नाम था। “Afzal Usmani” कभी अंडरवर्ल्ड में सक्रिय अफजल उस्मानी, वर्तमान में इंडियन मुजाहिदीन का एक उच्च-स्तरीय कार्यकर्ता था और 5 साल पहले 26 जुलाई 2008 को अहमदाबाद, गुजरात में हुए सीरियल धमाकों का मुख्य आरोपी भी था। कुल 56 लोग मारे गए थे 26 जुलाई 2008 को हुए इन 70 धमाकों में 200 से ज्यादा घायल हुए थे, वहीं इन धमाकों के बाद राकेश मारिया, जो उस वक्त क्राइम ब्रांच में थे, महाराष्ट्र में सक्रिय I’M मॉड्यूल के पीछे हाथ धोकर पड़ गए थे और लगभग 1 साल की मेहनत के बाद कई सारे बड़े आतंकी संगठनों के बड़े-बड़े नामों को उन्होंने सलाखों के पीछे डाला था और अफजल उस्मानी भी ऐसा ही एक नाम था। उस्मानी नाम का यह अत्यंत खूंखार आतंकी ही कारण था कि धमाके करने के लिए I’M टिफिन बॉक्स का नहीं, बल्कि चोरी की गाड़ियों का इस्तेमाल करने लगी थी। मारिया जानते थे उस्मानी जैसा आतंकवादी अगर ज्यादा दिनों तक बाहर आजाद घूमता रहा तो पाकिस्तान की फंडिंग से चलने वाले आतंकी संगठन में एक नई जान आ जाएगी, एक बार फिर भारत देश में धमाके होने लग जाएंगे और वह किसी भी कीमत पर ऐसा नहीं होने दे सकते थे। उन्हें कुछ भी करके एक बार फिर उस्मानी को सलाखों के पीछे डालना ही डालना था। उनके पास कोई दूसरी चॉइस नहीं थी। इसी दिन शाम को ठीक 4:30 बजे कोलाबा पुलिस स्टेशन में उस्मानी के खिलाफ कस्टडी से भागने की FIR दर्ज हुई, उधर राकेश मारिया मुंबई और थाने के सभी Ats चीफ के साथ एक इमरजेंसी मीटिंग करते हैं, उस्मानी के कितने रिश्तेदार हैं? कितने दोस्त हैं? जेल में उससे मिलने कौन-कौन आता था? और कोर्ट पेशी के दौरान कौन-कौन उसे मिलने जाया करता था? पूरे महाराष्ट्र में ऐसा कौन है जो कस्टडी से भागने में उसकी मदद कर सकता है? उसे छुपने की जगह दे सकता है, उसे पैसे और दूसरे सपोर्ट मुहैया करा सकता है? यह कुछ ऐसे सवाल थे जिनके उत्तर राकेश मारिया और उनकी टीम को ढूंढने ही ढूंढने थे और वह भी जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी। ATS KALACHOWKT को इस वक्त मारिया के खास इंस्पेक्टर दिनेश कदम head कर रहे थे। कदम को इंटेलिजेंस मिलती है की कोर्ट से भागने के 40 मिनट बाद उस्मानी अपने चचेरे भाई अकमल उस्मानी के पास गया था, जो सयूरी में रहता है। मारिया के आदेश पर तुरंत ATS टीम सयूरी के लिए निकल जाती है लेकिन उस्मानी उनके हाथ नहीं लगता। अपने भाई से कुछ पैसे लेने के बाद I’M का यह खूंखार आतंकवादी वहां से भी गायब हो गया था। महाराष्ट्र ATS ने अपने विशाल नेटवर्क को उस्मानी का पता लगाने के लिए एक्टिवेट कर दिया था और कुछ ही दिन बाद धारावी में रहने वाले एक खबरी को उसमानी के बारे में जानकारी हाथ लग जाती है। इस खबरी के अनुसार जिस दिन उस्मानी कोर्ट से भागा था ठीक उसी दिन से धारावी मैं रहने वाला उसका 19 वर्षीय भांजा भी गायब था। इस लड़के का नाम जावेद हुसैन खान था और यह उस्मानी कि सगी बहन का बेटा था। ATS को पता चलता है जावेद उस्मानी से मिलने नियमित रूप से जेल में आता था और हर कोर्ट डेट पर उसके साथ होता था। लेकिन मजे की बात यह थी कि जिस दिन उस्मानी कोर्ट से भागा उस दिन जावेद कोर्ट नहीं गया था और अब उस्मानी की तरह वो भी गायब है। ATS की टीम दिन-रात जावेद के दोस्तों और जाने वालों को उठाने में लग जाती है धारावी में उसके घर के बाहर 24 घंटे के सर्वर लेंस बैठा दी जाती है, लेकिन मामा भांजे का कोई नामोनिशान नहीं मिल पाता, यह दोनो कुछ ऐसे गायब हो चुके थे जैसे गधे के सर से सिंग। देखते ही देखते एक महीना बीत जाता है, एकदम टेंशन से भरा महीना और अभी तक ATS के पास उस्मानी का कोई भी अता पता नहीं था, कहीं पर कोई और धमाका हुआ और उसमें उस्मानी का हाथ पाया गया, तो भगवान हमने कभी माफ नहीं करेगा, अपने ऑफिस में बैठे राकेश मारिया यह सब सोच ही रहे होते हैं कि तभी उन्हें इंस्पेक्टर दिनेश कदम का फोन आता है, सर वह जावेद मुंबई वापस आ गया है। धारावी और आसपास के इलाके में सक्रिय ATS के खबरी ओने उस्मान के भांजे को गोवंडी, कुर्ला, और माही में स्पॉट कर लिया था और अब इंस्पेक्टर कदम को पता चला था की 25 अक्टूबर को रात के 9:00 बजे वह एलबीएस मार्ग स्थित होटल डीलक्स आने वाला है, यह सुनने के बाद मारिया बोलते हैं हमारे पास यही चांस है दिनेश एकदम परफेक्ट प्लान बनाओ, साला बचके नहीं जाना चाहिए. अगले दिन राकेश मारिया और इंस्पेक्टर के बीच एक लंबी मीनिंग होती है जिसमें जावेद को पकड़ने के लिए एक अंडरकवर ऑपरेशन की detail प्लानिंग की जाती है। इस ऑपरेशन के लिए, इंस्पेक्टर कदम ATS के सबसे होशियार ऑफिसर में से 9 पुलिस वालों को खुद अपने हाथों से चुनते हैं। 25 अक्टूबर 2013 रात 8:00 बजे एक स्टेज प्ले की तरह इन ऑफिसर को अपने-अपने कैरेक्टर और स्क्रिप्ट दे दिए जाते हैं। रात के 8:00 बजे अपना अपना getup लिए यह सभी ऑफिसर होटल डीलक्स के बाहर और अंदर पोजीशन ले लेते हैं और अपना अपना रोल निभाना शुरू कर देते हैं। अब वह अपने मिशन में कामयाब होते हैं या नहीं? और होते हैं तो कैसे होते हैं? यह मैं आपको नेक्स्ट वीडियो में बताऊंगा।
Divanshu