वैसे रशिया बाकी किसी चीज की वजह से ना सही, पर हिला देने वाले यूक्रेन-रशिया war की वजह से दिमाग में फेविकोल की तरह हमेशा के लिए चिपक चुका है। अब जिस देश पर ऐसी नौबत आती हैं, उस देश का सारा जिम्मा किस पर आता है? देश के President के ऊपर। अब रशिया के President है Vladimir Putin(व्लादीमीर पुतिन)।
दिखने में calm and cool पर्सनालिटी, जिसे देखकर किसी को शक भी नहीं होगा कि, इस इंसान के दिमाग में क्या चल रहा है। कहते हैं ना, एक जासूस की नजर की तरह यह सब को observe करते हैं। Sorry sorry…शायद हमें “जासूस की तरह ” नहीं कहना चाहिए था क्योंकि यह इंसान जासूस ही था। आप चौंक गए ना? इसी तरह 440 का झटका बहुत सारे लोगों को लगता है, जब उन्हें यह पता चलता है कि पुतिन प्रेसिडेंट बनने से पहले एक खुफिया एजेंट थे। अब थोड़ा इनका बैकग्राउंड जान लेते हैं।
7 अक्टूबर 1952 को लेनिनग्राद शहर में पुतिन का जन्म हुआ। तब लेनिनग्राद गैंग कल्चर से घिरा था। बड़े होते होते ऐसी चीजें देखकर पुतिन काफी ज्यादा धाकड़ बन गए। फिर उन्होंने जुड़ों सीखा और 18 साल की उम्र में ब्लैक बेल्ट बनना उनके लिए आसान हो गया।
उनके पापा सोवियत में थे, सोवियत मतलब रूस के public representatives का union और उनकी मां एक फैक्ट्री में काम करती थी, पर तब भी घर के खर्चे चलाना मुश्किल था, इसीलिए पुतिन चूहे पकड़ने का काम करते थे। पर यह सब कुछ कब तक चलता? इसीलिए यह पढ़ा लिखा इंसान 16 साल की उम्र में नौकरी मांगने पहुंचा। किसी रेस्टोरेंट में गए होंगे? किसी के असिस्टंट बने होंगे? किसी दुकान में काम किया होगा? तो इसमें से कुछ भी नहीं बल्कि वह जासूसी की नौकरी मांगने गए थे। किस से? KGB से। KGB(कोमितेत गोसुदर्स्त्वेन्नोय बेज़ोप्स्नोस्ति) यानी यह रूस की खुफिया एजेंसी है, जिसका नाम लाल बहादुर शास्त्री की हत्या में भी पाया गया। Can you imagine, कि, रशिया का यह प्रेसिडेंट कभी चूहे पकड़ता था और कभी जासूस था? नहीं ना।
पुतिन उस KGB के ऑफिस जाते थे। वहां का माहौल देखकर उन्हें ऐसा लगता था कि उन्हें KGB का एक बड़ा ऑफिसर बनना है, पर यह आसान नहीं था क्योंकि उन्हें पता ही नहीं था कि KGB में क्या करना होता है। फिर जब वो वहां पर गए, तो एक लेडी ऑफिसर ने उन्हें बताया कि उन्हें कायदे कानून का स्टडी करना चाहिए। तब उन्होंने 1975 में law की डिग्री पूरी की और KGB में अप्लाई किया और वह सिलेक्ट भी हो गए।
उन्होंने 1975 से लेकर 1991 तक पूर्वी जर्मनी में जासूसी की और उसके बाद 16 साल तक वह अमेरिका में जासूस बन कर रहे। जर्मनी जाने से पहले पुतिन ने जर्मन भाषा सीखी और साथ ही साथ उन्होंने अपनी अंग्रेजी भाषा को भी अच्छी तरह Polish किया। KGB में पुतिन की जिम्मेदारी थी कि उन्हें ऐसे विदेशियों की नियुक्ति करनी है, जिन्हें अमेरिका की जासूसी के लिए वहां भेजा जा सके।
पुतिन को जर्मनी में प्रेस क्लिपिंग जमा करना और वहां की मीडिया पर नजर रखना यह दो बड़ी जिम्मेदारियां छोटी उम्र में दे दी गई थी।
पुतिन जब KGB का हिस्सा थे तब वहां पर उन्हें यही सिखाया गया कि सामने वाला क्या कर रहा है यह सिर्फ नोटिस करना है और अपने दिमाग में क्या चल रहा है, इसका किसी को अंदाजा भी नहीं होना चाहिए।
पूर्वी जर्मनी में रहते हुए व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों के अंदर कई अलग अलग missions किए और उन्हीं missions के दौरान पुतिन को पश्चिम के ज़्यादातर देशों की अंदरूनी हालत का अंदाज़ा हो गया था। पुतिन को पता चल चुका था कि, सियासत के साथ साथ उन देशों की फौजी ताक़त कैसी है।
वैसे रशिया के प्रेसिडेंट पुतिन एक शांत इंसान जरुर दिखते हैं, पर असल में इसके पीछे KGB में काम करने का बहुत बड़ा experience है। पुतिन के बारे में रूस की former agent एलीना ने यह बताया था कि, ये एजेंट्स दोहरी जिंदगी जी रहे होते हैं। ये लोग सिर्फ बातें सुनते हैं और जो हो रहा होता है, उसपर गौर करते हैं। ये बहुत शांति का काम है, इसमें किसी तरह का कोई शोर शराबा या फिर ड्रामा नहीं होता। यह सुनकर तो यहीं लग रहा है कि, पुतिन पिछले जन्म में चाणक्य के student होंगे।
वैसे KGB के एजेंट रहे पुतिन भ्रम फैलाने वाली information के असर को समझते रहे हैं। अपने फायदे के लिए इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने अपने आसपास secrets का ऐसा जाल बनाया है कि लोग उनके बारे में कितना भी जान लें, कम ही जानते हैं। इसलिए हम ज्यादातर यही कहते हैं कि,” कम बोलने वाले लोगों के बारे में जानने में सामने वाले को बहुत बड़ा इंटरेस्ट होता है, ना कि लगातार बिना सोच समझकर बोलने वाले में”। इसी तरह पुतिन की ऐसी छवि बनी, जो जिद और इरादों का पक्का है और इसे पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
एक दौर ऐसा था जहां पुतिन की personality कमजोर होते सोवियत संघ का impact नजर आ रहा था। पर वो रूस की पुरानी ताकत हासिल करने के लिए दीवानगी की हद तक जा सकते थे। पुतिन ambitious हैं और यही वजह है कि रूस की सत्ता का center वो खुद बन गए हैं, या फिर center of attraction ही कहीए ना! करीब साढ़े 14 करोड़ की आबादी वाला रूस उनकी personality के आस पास ही घूमता है।
Psychology के professor और ‘द साइकोलॉजी ऑफ़ स्पाइज़ एंड स्पाइंग’ के author एड्रियन फ़र्नहैम ने कहा कि, पुतिन के दिमाग को समझना बहुत ही मुश्किल है और वह उन्हीं लोगों को सुनना पसंद करते हैं, जो उनके हिसाब से काम करते हैं और बातें बोलते हैं।
वैसे पुतिन के background में एक और चीज शामिल है, वो है एक खूबसूरत लेडी असूस। एक ऐसी लेडी जासूस जो आज के प्रेसिडेंट पर फिदा थी, जिसका नाम था आलिया रोजा और वह पुतिन को James bond कहती थी। आलिया ने हीं पुतिन के बारे में यह कहा था कि,” पुतिन के पास एक अलग ही जादू है लोगों को attract करने का और लोगों की psychology पढ़ने का। एक अलग तरीका है उनके पास और जिसकी वजह से वह लोगों के दिमाग के में क्या चल रहा है यह जान सकते हैं, पर लोग उनके बारे में कुछ भी नहीं जान सकते। पुतिन एक ऐसे इंसान है जो battle के दौरान किसी को भी यह सलाह देते हैं कि,” खुद को इतनी गहरी चोट पहुंचाओ कि वह चोट देखकर आपका दुश्मन भी कांप उठेगा और वह उठने की जुर्रत भी नहीं करेगा”।
इसके बाद जून 1991 में पुतिन सेंट पीटर्सबर्ग के डिप्टी मेयर चुन लिए गए। उस वक्त वो ऑफिशियली KGB से अलग हो गए। 1996 में जब सोबचाक मेयर का चुनाव हार गए, तो पुतिन ने मॉस्को का रुख किया। यहां वो क्रेमलिन में राष्ट्रपति की property की देखभाल करने वाले sector में काम करने लगे।
जुलाई 1998 में सोवियत KGB की जगह लेने वाली रूसी एजेंसी FSB (फेडरल सिक्योरिटी सर्विस) के main बनने से पहले उन्होंने क्रेमलिन में अलग-अलग जिम्मेदारियां संभालीं।
यह सब तो है ही,पर अब यह सब सुनकर जरा सोचिए कि, जब यूक्रेन-रशिया war देशभर में तबाही मचा रहा था खबरों के जरिए, तो वहां पर रहने वाले लोगों का क्या हाल होता होगा। हम भी घबरा गए, पर इस दौरान पुतिन का एटीट्यूड कुछ अलग ही था। यूक्रेन के साथ जब फरवरी में रूस की जंग शुरू हुई तो अमेरिका से लेकर यूरोप की चिंता दोगुनी हो गईं। यूक्रेन के साथ जंग के बीच ही पुतिन अपना एक और बर्थडे मना रहे थे। पर पुतिन जो एक बेहद गरीब परिवार से आते हैं, आज वह president बन गए हैं जिसके बिना international politics को imagine नहीं किया जा सकता।
इसलिए अपनी किताब “मैन विदआउट अ फेस, द अनलाइकली राइज ऑफ व्लादिमीर पुतिन” में author माशा गेसन लिखते हैं कि “पुतिन माफिया के रूप में सरकार चला रहे हैं… पश्चिम में उन्हें “बॉन्ड का विलन” भी कहा जाता है…मगर रूस में उन्हें इस छवि का फायदा मिला है और अब व़ो कम से कम 2024 तक इस छवि को बरकरार रख सकते हैं।”
अब आप कहेंगे कि पुतिन एक तरफ प्रेसिडेंट बनकर रशिया को एक अलग मुकाम पर पहुंचा रहे हैं और दूसरी तरफ उनकी एक dangerous backstory भी है। तो देखा जाए तो हम सभी की एक डार्क साइड होती ही है।
अगर हम साहो 2 फिल्म की बात करें तो उसमें भी हमें कुछ इस तरह का किस्सा दिखाई दे सकता है, कोई पॉलीटिशियन कनेक्शन दिखाई दे सकता है क्योंकि सीक्रेट एजेंट बनकर एक मिशन पर जाना यह काम साहो ने पहले भी कर दिया है। और जरूरी नहीं है कि पुतिन जैसी backstory किसी हीरो की ही हो, वो विलन भी तो हो सकता है, जो साहो को टशन दे और साहो उसे।
पर इतना जरूर है कि एक सीक्रेट मिशन जरूर होगा और उसका लेवल भी जबरदस्त होगा। और जब पॉलीटिशियन या बड़ी पोजीशन की बात आती है, वहां पर मिशन को सुलझाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है।
देखते हैं क्या क्या देखने को मिलता है आने वाली फिल्म में।