भारत में राजा तो बहुत आए लेकिन इस राजा की तरह कोई नहीं । जिससे अकबर की भी बहुत दुश्मनी थी और यह मुगलों के सबसे बड़े दुश्मन थे। उन्होंने हिंदू kingdom को बचाने के लिए बहुत सारी लड़ाई लड़ी और इनका नाम है महाराणा प्रताप । महाराणा प्रताप मेवाड़ के राजा थे और सिसोदिया वंश के थे । इन्होंने जिस तरह अपने राज्य को बचाने के लिए लड़ाई लड़ी वह आज भी सबको याद है । इनका युद्ध करने का तरीका हर राजा को बहुत पसंद आता था कई बार तो लोगों ने उन्हें follow भी किया। यह बहुत बड़ी inspiration थे young राजाओं के लिए। महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगलों के under रहना accept नहीं किया। वे हमेशा से ही अपना राज चाहते थे इसलिए अपना मेवाड़ बचाने के लिए आखिरी सांस तक लड़ाई की और सभी के लिए inspiration का एक बहुत बड़ा source बने उस time, जब हर राजा अपने राज्य के लिए लड़ाई लड़ रहा था।
इनके पिता का नाम उदय सिंह और मां का नाम जयवंता बाई था ।कहा जाता है कि महाराणा प्रताप ने 11 शादियां की थी और उनके 17 बेटे थे और पांच बेटियां भी। उनका जन्म 1540 में हुआ था और मृत्यु 56 साल की वर्ष में ही 1518 हुई थी। Mughal dynasty के सबसे बड़े राजा अकबर और मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के बीच हमेशा लड़ाई होते रहती थी । असल में, अकबर पूरे भारत को अपने control में लेना चाहता था पर महाराणा प्रताप ऐसा नहीं होने देना चाहते थे । वह चाहते थे हिंदुस्तान पर हिंदुओं का ही राज रहे इसलिए उन्हें समझाने के लिए 4 राजदूतों को बुलाया गया , वहां पर सबके समझाने पर भी महाराणा प्रताप वहां से उठ कर चले गए । उन्होंने मना कर दिया समझौते से और इसी तरह अकबर निराश हो गया और उन दोनों में दुश्मनी समय के साथ बढ़ती ही चली गई। उनके मना करने पर बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी गई , जिसे कहते हैं जेडहल्दीघाटी का युद्ध ।
दोस्तों आप तो जानते हैं कि हल्दीघाटी का युद्ध कितना खतरनाक था। इसमें दोनों लोगों के बहुत सारे loss हुए थे और यह युद्ध आज भी history में याद किया जाता है।असल में हल्दीघाटी का युद्ध 1516 में लड़ा गया था 15 जून को, और यह लड़ाई मेवाड़ और मुगलों के राजा अकबर के बीच हुई थी । यह बहुत ही भयानक युद्ध था जिसमें अकबर ने कोशिश की थी बिना लड़े समझौता करने की पर महाराणा प्रताप ने उनकी बात मानने से मना कर दिया और इसलिए यह लड़ाई आज भी सबको याद है। आपको जानकर हैरानी होगी कि महाराणा प्रताप की तरफ से सिर्फ एक मुस्लिम ने इस युद्ध में लड़ाई की थी , जिनका नाम है हकीम खान सूरी। यह महाराणा प्रताप को बहुत मानते थे और उन्होंने हिंदुओं की तरफ से यानी कि महाराणा प्रताप के राज के लिए मुगलों से लड़ाई की थी। इससे भी ज्यादा interesting बात यह है कि अकबर की तरफ से आमेर के राजा मानसिंह ने लड़ाई की। इस लड़ाई में मुगलों की सेना काफी ताकतवर थी और महाराणा प्रताप की सेना थोड़ी कमजोर थी । जब युद्ध शुरू हुआ तो 3 घंटे लगातार युद्ध करने के बाद महाराणा प्रताप बहुत जख्मी हो गए और उन्हें बहुत चोट लग गई। इसलिए उनके सैनिकों ने उनकी बहुत मदद की और वे वहां से मौके पर छुप के भाग निकले।
बहुत दिनों तक जंगलों में रहे, उनके घाव भरे। इसे देखकर सब ने सोचा कि वह डर गए हैं और अब वह लड़ाई के लिए आगे नहीं आएंगे और वह अपनी हिम्मत हार गए हैं । पर ऐसा नहीं था वह सिर्फ एक मौके की तलाश में थे, जैसे ही वे फिर से ठीक हुए उन्होंने अपनी सेना जुटाई और वापस से मुगलों पर हमला किया और इस attack में वे सफल रहे। उन्होंने लड़ाई जीत ली और बहुत सारे areas को अपने under में ले लिया। दोनों के बीच युद्ध सिर्फ 1 दिन का लड़ा गया लेकिन इसी युद्ध में 17000 सैनिक मारे गए थे । बहुत ज्यादा नुकसान हुआ था दोनों सेनाओं का , लेकिन जीत फिर में किसी की नहीं हुई । अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हमेशा मेवाड़ को लेकर लड़ाई चलती रही पर महाराणा प्रताप ने कभी हार नहीं मानी। वे हमेशा अपने राज्य के लिए लड़ते रहे उनकी हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही थी, उनकी सेना में सैनिक भी कम होते जा रहे थे पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वे युद्ध करते रहे और इसी तरह कभी उनके जीते जी मुगल मेवाड़ पर राज नहीं कर पाए।
उनका स्ट् struggle सबसे बड़ा था । जब वह जंगल में गए और वहां रहने लगे तो वहां उन्हें घास के बीज की रोटियां खानी पड़ी क्योंकि जंगल में कितने दिन तक फलों पर रहा जा सकता था। उनके साथ और राजाओं और सैनिकों को भी ऐसे ही जिंदगी गुजारनी पड़ी। लेकिन जब वह वापस आए तो उसी जोश और जुनून के साथ युद्ध किया और अकबर से जीत गए। अकबर हमेशा उनसे डरता था क्योंकि वह इकलौते राजपूत राजा थे जिन्होंने अकबर से कभी समझौता नहीं किया और हमेशा उसके against में लड़ाई की। उनकी लड़ाई करने का तरीका सबसे अलग था। उन्होंने गोरिल्ला technique अपनाई जिसे देखकर अकबर भी हैरान था ।यह technique काफी समय तक चलती रही और आज भी हमारी सेना इस technique को सलाम करती है । 1576 में Maharana Pratap ने Haldighati के युद्ध को जीता । अकबर ने तीन attacks किए Maharana Pratap पर लेकिन कभी नही जीता। हर बार अकबर को पीछे हटना पड़ा जबकि महाराणा प्रताप से ज्यादा सेना अकबर के पास थी लेकिन वह कहते हैं ना कि इतनी बड़ी सेना को राजपूत धूल चटा गए।
महाराणा प्रताप के खराब health की वजह से उनकी मृत्यु हुई। कहते हैं कि उनकी death के बारे में सुन कर अकबर बहुत दुखी हुआ। वह कुछ देर के लिए तो शांत हो गया फिर उसकी आंखों में आंसू आ गए क्योंकि उसने ऐसा दुश्मन कभी नहीं पाया था । वह दोनों बड़े दुश्मन थे लेकिन अकबर मन से महाराणा प्रताप की बहुत इज्जत करता था क्योंकि वह बहुत self-esteem वाले इंसान थे । उनके life के rules, उनके खुद के rules उन्होंने कभी नहीं तोड़े। कभी वह मुगलों के आगे नहीं झुके , कभी उन्होंने अकबर से डर कर अपने पैर पीछे नहीं किए और बड़े से बड़े युद्ध को जीता। यह सारी खूबियां अकबर को महाराणा प्रताप की बहुत अच्छी लगती थी इसलिए उनके death पर वह बहुत दुखी हुआ और उसने अपना एक बहुत ही competitive friend प्रिय और दुश्मन को खो दिया था।
कहा जाता है कि 12 साल तक अकबर और महाराणा प्रताप के बीच युद्ध चलता रहा मेवाड़ के लिए और दोनों में लड़ाइयां होती रही , पर महाराणा प्रताप हमेशा कभी नहीं हारते थे । उन्होंने हमेशा अपने मेवाड़ के लिए जान दी है और उनके जीते जी अकबर मेवाड़ में कदम भी नहीं रख पाया । आज भी राजस्थान में उनकी bravery की कहानियां famous है ,बच्चे बच्चे के मुंह में महाराणा प्रताप का नाम आता है । जब भी लड़ाई की बात आती है और किसी हिंदू राजा का नाम अगर आप कहीं भी पूछेंगे तो सब लोग महाराणा प्रताप को जरूर याद रखते हैं । क्योंकि वह इकलौते ऐसे राजा थे जिन्होंने इतने बड़े मुगल ruler अकबर के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी । जिसने अकबर की लगातार कोशिशों के बाद भी मेवाड़ को उसे नहीं जीतने दिया और कभी समझौता नहीं किया। इतनी मुश्किलों के आने के बाद भी वे अकबर से जीत गए।
दोस्तों, जब हम महाराणा प्रताप की बात करते हैं तो उनके साथ चेतक का भी नाम जरूर लेना होगा क्योंकि चेतक उनके जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा था । चेतक उनका उनके घोड़े का नाम था और जिस तरह से उसने हल्दीघाटी की युद्ध में महाराणा प्रताप का साथ दिया वह unbelievable है । महाराणा प्रताप के पास उनका सबसे प्रिय घोड़ा ‘चेतक’ था। महाराणा प्रताप जिस घोड़े पर बैठते थे वह घोड़ा दुनिया के सर्वश्रेष्ठ घोड़ों में से एक था। ऐसा कहा जाता है कि महाराणा प्रताप तब 72 किलो का कवच पहनकर 81 किलो का भाला अपने हाथ में रखते थे। भाला, कवच और ढाल-तलवार का वजन कुल मिलाकर 208 किलो था। राणा 208 किलो वजन के साथ युद्ध के मैदान में उतरते थे। सोचिए तब उनकी शक्ति क्या रही होगी। इसके बाद मुगलों ने कई बार महाराणा प्रताप को challenge दिया लेकिन मुगलों को मुंह की खानी पड़ी। फिर आखिरकार, लड़ाइयों और शिकार के दौरान लगी चोटों की वजह से महाराणा प्रताप की death 1597 को चावंड में हुई। 30 साल के struggle और लड़ाई के बाद भी अकबर महाराणा प्राताप को न तो बंदी बना सका और न ही झुका सका। महान वो होता है जो अपने देश, जाति, religion और culture की रक्षा के लिए किसी भी तरह का समझौता न करें और हमेशा struggle करता रहे। ऐसी ही personalities लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहते हैं।
दोस्तों ,बाहुबली 3 में भी हमें एक ऐसे brave राजा की कहानी देखने को मिल सकती है। महाराणा प्रताप जैसे निडर राजा इस कहानी में देखने को मिल सकते हैं। SS rajamouli की आने वाली फिल्म बाहुबली 3 में हमें शायद ऐसे ही राजा की कहानी जानने को मिले । 2023 में आने वाली यह फिल्म का audience को बहुत बेसब्री से इंतजार है।
Kshamashree dubey