19वीं शताब्दी की शुरुआत का समय था, पूरे हिंदुस्तान में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन था ईस्ट इंडिया कंपनी एक के बाद एक ऐसे नियम बनाती जा रही थी , जिससे भारतीय राज्यों पर उसका अधिकार होता जा रहा था । पूरे एशिया महाद्वीप पर लगभग यूरोपीय और पुर्तगाली व्यापारियों और कंपनियों का शासन था जिनमें अंग्रेज फ्रांसीसी प्रमुख थे ।
कहानी की शुरुआत 1642 ईस्वी से होती है जब एक महान वैज्ञानिक ब्लेज पास्कल ने कैलकुलेटर का आविष्कार किया यह कैलकुलेटर आसान गणितीय सवाल जैसे जोड़, घटाना ,गुणा ,भाग आदि करने में सक्षम थी ।
उस समय लगभग पूरी दुनिया पर अंग्रेजी हुकूमत छाई हुई थी उसी समय एक अंग्रेज गणितज्ञ और वैज्ञानिक चार्ल्स बैबेज मानते थे की ओ जल्दी ही गणना करने वाला एक मशीन बना लेंगे जोकि बी पास्कल द्वारा 1642 ईस्वी में बनाए गए कैलकुलेटर की स्पीड से तेजी से गणना करेगा ।
चार्ल्स बैबेज का जन्म 26 दिसंबर 1791 ईस्वी में इंग्लैंड के राजधानी लंदन में हुआ । चार्ल्स बैबेज एक अंग्रेज थे और ईसाई धर्म में विश्वास रखते थे । चार्ल्स बैबेज रॉबर्ट वुड हाउस, कार्ल मार्क्स, जॉनस्टूअर्ट मिल आदि महान व्यक्तियों से काफी प्रभावित थे
अक्टूबर 1810 का समय जब चार्ल्स बैबेज ने दुनिया के महानतम विश्वविद्यालयों में शुमार कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लिया वे त्रिनिटी कॉलेज में सेलेक्ट हुए थे । हां यह वही कॉलेज था जहां बाद में विश्व के महानतम गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन ने शिक्षा प्राप्त की थी ।
चार्ल्स बैबेज त्रिनिटी कॉलेज में गणित पर शोध कर रहे थे वह रॉबर्ट वुड हाउस, युसूफ लुईस और मैरी एकनसी को पढ़ा करते थे ।
चार्ल्स बैबेज को 1816 में फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी चुना गया जो उस समय का सबसे बड़े सम्मानों में से एक था ।
1830 तक कुछ छोटे बड़े प्रयोग करने के बाद 1831 से चार्ल्स बैबेज अपनी आविष्कार के लिए पूरे तन मन धन से जुड़ गए लेकिन धीरे-धीरे उनके सारे सेविंग खत्म हो गए और वह जान गए कि बिना किसी बड़े इन्वेस्टर के उनके आविष्कार और प्रयोग संभव नहीं है ।
चार्ल्स बैबेज अपने आविष्कार के लिए जगह-जगह घूम कर इन्वेस्टर को मनाने का प्रयास करते रहे अंततः 1887 में ब्रिटिश सरकार द्वारा उनकी परियोजना में धन लगाने के लिए रजामंदी मिल गई । फिर क्या था सालों तक चार्ल्स बैबेज अपने डिफरेंस इंजन पर काम करते रहे यह एक ऐसा यंत्र था जो टेबल बनाने के काम में इस्तेमाल होता था हालांकि उन्होंने इसके कुछ हिस्सों का प्रोटोटाइप ( नमूना ) भी बना लिया था । लेकिन आखिरकार इस योजना को बीच में ही छोड़ दिया उन्होंने 18 से 54 ईसवी में एक एनालिटिकल इंजन बनाने का फैसला किया पर उसको भी बीच में ही छोड़ना पड़ा । हालांकि यांत्रिक कंप्यूटर बनाने के उनके प्रस्ताव ने आधुनिक कंप्यूटर की खोज को एक दिशा दी और अपनी इसी सफलता की वजह से उनको कंप्यूटर का जनक ( Father of computer ) कहा जाता है ।
आधुनिक कंप्यूटर बनाने की शुरुआत 1940 में मानी जाती है 1940 में कंप्यूटर में मेमोरी बनाने के लिए चुंबकीय और गोलीय ड्रम का इस्तेमाल किया जाता था । जिस वजह से एक कंप्यूटर दिखने में बहुत बड़े होते थे और एक कमरे के बराबर जगह लेते थे यह इस्तेमाल में भी काफी महंगे होते थे और काफी ज्यादा बिजली ग्रहण करते थे बहुत ज्यादा गर्मी पैदा पैदा करते थे और इन को जलाने के लिए बहुत से वर्कर की आवश्यकता पड़ती थी । इसलिए इसको Vacuum tube कंप्यूटर भी कहते थे । इसका पहला इस्तेमाल संयुक्त राज्य अमेरिका की जनगणना के लिए 1951 में किया गया ।
कहानी 1950 की है जब दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में वैक्यूम ट्यूब की जगह ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल होने लगा । यह कंप्यूटर वेक्यूम ट्यूब कंप्यूटर के मुकाबले बहुत तेज छोटे और ऊर्जा के कम खपत वाले होते थे और इसी समय प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का भी खोज होना शुरू हुआ । इस पीढ़ी के कंप्यूटर का उपयोग पहली बार उद्योगों के लिए किया गया ।
अब कहानी 1964 में पहुंचती है जब तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह सिलीकान चिप लगाया गया जिसे सेमीकंडक्टर कहते थे इसने कंप्यूटर की क्षमता में असाधारण रूप से बढ़ोतरी की और कंप्यूटर की स्पीड भी बहुत तेज हो गई यहां पर पहली बार पंच कार्ड और प्रिंट आउट का इस्तेमाल होना शुरू हुआ और मॉनिटर और कीबोर्ड का यूज़ किया गया । ए कंप्यूटर पहले के मुकाबले अधिक छोटी और सस्ते थे ।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की शुरुआत 1964 में हो गई थी । चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की सबसे बड़ी खासियत माइक्रो प्रोसेसर थी । जहां पहले की कंप्यूटर पूरी कमरे के बराबर जगह लेते थे वहां चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर मानव हथेली में समा सकते थे ।
कहानी 1981 की है जब आईबीएम ने अपना पहला कंप्यूटर लॉन्च किया यह घरेलू कार्यों में उपयोग उपयोग होने वाला पहला कंप्यूटर था । इस कंप्यूटर ने दुनिया में काफी कुछ बदल दिया था ।
1984 में एप्पल ने मैकिनटोश बनाया माइक्रोप्रोसेसर डेस्कटॉप कंप्यूटर के से आगे बढ़कर जीवन के कई क्षेत्रों में आया और दिन पर दिन उत्पादों में माइक्रो प्रोसेसर का इस्तेमाल होने लगा ।
आज तक हम लोग माइक्रो प्रोसेसर कंप्यूटर का ही प्रयोग करते हैं ।
हालांकि कैलकुलेटर के अविष्कार से लेकर कंप्यूटर का आविष्कार फिर उसमें काफी सारे बदलाव और आज आधुनिक कंप्यूटर में बहुत सारे वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों का हाथ रहा लेकिन क्योंकि चार्ल्स बैबेज ही वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने कंप्यूटर की अवधारणा दी इसीलिए चार्ल्स बैबेज का नाम इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया ।
आने वाले भविष्य में हमें कृत्रिम बुद्धि यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले कंप्यूटर को यूज करना होगा । यह कंप्यूटर ऐसे होंगे जो अपने से सीख सकेंगे और अपने पुराने हिस्ट्री के बेसिस पर खुद ही फैसला लेने में भी सक्षम होंगे । पता नहीं आने वाला भविष्य कैसा होगा लेकिन इतना जरूर कहा जा सकता है कि अगर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल आने वाले कंप्यूटरों में हुआ तो इंसानों का भविष्य जरूर बदल जाएगा ।
ऐसे ही कुछ स्टोरी Mr. India-2 में आ सकती है आप फिल्म के लिए कितने एक्साइटेड हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं हम फिर मिलेंगे ऐसी ही एक और नई Movie की कहानी के साथ तब तक के लिए नमस्कार ।