आदिपुरुष

जब हम किसी दिन बहुत देर तक सोते रहते हैं और उठने का नाम ही नहीं लेते, तब हमारी मां क्या कहती है?, “कितना सोएगा कुंभकरण की औलाद”। तब क्या आप अपनी मां से पूछते हैं कि कौन है भाई यह कुंभकरण? पूछना चाहिए क्योंकि जिसके नाम से आपको उठाया जा रहा है वो कोई भला इंसान था भी या नहीं यह जानना जरूरी है। खैर, पहले तो हम आपको बताते हैं कि यह कुंभकरण हैं कौन।

कुंभकरण का नाम आपने रामायण में सुना होगा। वह ऋषि व्रिश्रवा और राक्षसी कैकसी का बेटा था‌ और लंकापति रावण का छोटा भाई था। पर इसका नाम कुंभकरण(कुंभकर्ण) क्यों रखा गया? कोई सिंपल सा नाम भी तो रख सकते थे?  दरअसल कुंभ यानी की घड़ा और कर्ण मतलब कान। इबके कान बहुत ही बड़े थे, इसलिए उसे कुंभकरण कहा जाता था। पर इतने बड़े कान होकर क्या फायदा। जब उन के बड़े-बड़े कानों तक किसी की आवाज ही नहीं पहुंचती और वह उठता ही नहीं। आपने टीवी सीरियल्स में देखा ही होगा कि, किस तरह से कुंभकरण का बड़ा शरीर दिखाया जाता है और उसके शरीर के ऊपर छोटे-छोटे दिखाई देने वाले लोग नाचते रहते हैं, कान में चिल्लाने की कोशिश करते हैं। ठीक वैसे ही। आपको पता है, वह 6 महीने सोता था और 6 महीने जागता रहता था। उसे छे महीने सोने का वरदान मिला था।

सोने के मामले में कुंभकरण कुछ भी हो, पर तपस्या करने के मामले में उसका हाथ कोई नहीं पकड़ सकता। वह अपने भाई विभीषण और रावण की तरह एक दिन तपस्या कर रहा था। तभी ब्रह्म देव इन तीनों की तपस्या से खुश हुए। जब ब्रह्म देव कुंभकरण के पास पहुंचे तब उन्होंने देखा कि, वो पूरी दुनिया का खाना एक साथ खा सकता है इसलिए ब्रह्म देव ने उसकी मति भ्रष्ट कर दी और तब कुंभकरण ने 6 महीने सोने का वरदान मांग लिया, जो ब्रह्मदेव ने उसे दे दिया। अच्छा है ना, यह 6 महीने सोता रहेगा तो उतना खाना बाकीयों को खाने का मौका मिलेगा।

अब इसे लेकर दूसरी बात यह बताई जाती है कि इंद्रदेव कुंभकरण से थोड़े से चलते थे। वर मांगने के दौरान उन्होंने कुंभकरण की मति को भ्रष्ट कर दिया और कुंभकरणी ने इंद्रासन की जगह निद्रासन कह दिया जिसे ब्रह्म देव ने आशीर्वाद के तौर पर पूरा किया।

श्रीराम जी का रावण के साथ हुआ घमासान युद्ध तो सबको पता ही है। पर कुंभकरण का जब श्रीराम जी से युद्ध हुआ तब क्या हुआ था? दरअसल उस दौरान कुंभकरण का राक्षसी अवतार और शक्तिशाली शरीर देखकर वानर सेना भी संकट में जाती थी।

जब श्रीराम जी और रावण का युद्ध होने वाला था तब श्रीराम जी ने लंका पर हमला करते हुए सारे महान योद्धाओं को हरा दिया। इसी के चलते रावण ने कुंभकरण को उठाने की कोशिश की, पर कुंभकरण सो रहा था, उठने का नाम ही नहीं ले रहा था, पर किसी तरह रावण ने उसे उठाया। उसकी नींद पूरी होने से पहले उसे क्यों उठाया गया यह उसे समझ नहीं आ रहा था। फिर उसने खाना खाया, आराम से अपनी सारी चीजें करके भैया की बातें सुनी। रावण ने उसे माता सीता का हरण और श्री राम जी के बारे में बताया। कुंभकरण ने रावण को अच्छी सलाह भी दी कि, वह सीता माता को वापस जाने दे, पर रावण का क्रोध बढ़ गया और उसने कुंभकरण को आदेश दे दिया युद्ध करने के।

कुंभकरण युद्ध भूमि पर गया, तो सब लोग डर गए‌। तब लक्ष्मण जी ने राम जी से अनुमति मांगी और वह लड़ने चले गए। कुंभकरणी ने उन पर त्रिशूल से वार करने की कोशिश की, पर हनुमान जी ने उस वार को रोक दिया।

कुंभकरण महाराज सुग्रीव को बंदी भी बना कर ले जाने की कोशिश कर रहा था। फिर श्री राम जी युद्ध भूमि पर आए। अब कुंभकरण राक्षस जरूर था, पर वह नारायण का भक्त भी था और उसे श्री राम जी के रूप में नारायण ही नजर आ रहे थे, पर रावण के आदेश का मान तो रखना ही था। फिर प्रभु श्री रामचंद्र जी ने कुंभकरण पर इंद्रास्त्र चलाया और उसकी दोनों भुजाएं काट डाली, इसके बाद ब्रह्म दंड चलाया, जिसकी वजह से कुंभकरण का मस्तक समंदर में जाकर गिर पड़ा और आखिर में कुंभकरण का पेट काटकर उसे अलग कर दिया, जिसकी वजह से कुंभकरण की मौत हो गई।

वैसे जब गलती से कुंभकरण ने निद्रासन का वर मांगा, तो बाद में उसे इस बात का पश्चाताप हुआ और उसने ब्रह्मदेव जी से बात भी की। फिर ब्रह्मदेव जी ने उसे कहा कि,” तुम एक दिन में जगकर 6 महीने सोते रहोगे और जब कोई तुम्हें जबरदस्ती उठाएगा, उसी दिन तुम्हारा अंत होगा”। अब रावण ने वही किया, अपने युद्ध के लिए कुंभकरण को जबरदस्ती उठाया और उसकी मौत हो गई।

तो अब प्रभास की फिल्म आदिपुरुष आने वाली है और वो श्रीराम जी का किरदार निभा रहे हैं, तो कुंभकरण का किरदार भी हमें नजर आएगा। और उस वक्त बड़े पर्दे पर नजर आएगा कि, कैसे श्रीराम जी ने कुंभकरण को मारा था।

 

 

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