गांव में शादी होने बाद पुष्पक राधिका के साथ उनके खेतों में काम करने लगा उन्होंने जीवन के साधारण सुखों का आनंद लिया, जैसे पहाड़ियों पर सूरज को उगते देखना, जलधारा में मछली पकड़ना और खेतों की देखभाल करना. कुछ सालों के बाद पुष्पक और राधिका के दो बच्चे हुए , जिनमें एक लड़का और एक लड़की हैं । वे अपने माता-पिता और समुदाय के प्यार और गर्मजोशी से घिरे हुए बड़े हुए हैं । पुष्पक ने अपने बच्चों को प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने के महत्व और गांव के पारंपरिक तरीकों के बारे में सिखाया। जिनमें लडके का नाम राजू और लड़की का नाम सरिता हैं. राजू और सरिता का जन्म मेवात के एक छोटे से गांव झिलमिल में हुआ हैं । उसका बचपन मासूमियत, आनंद और चंचलता से भरा हैं । पुष्पक का परिवार मिट्टी और भूसे से बनी एक छोटी सी झोपड़ी में रहता हैं । राजू उम्र बढ़ने के साथ अब राधिका खेतों में काम नहीं कर पाती हैं इसलिए जीविकोपर्जन के लिए घर में ही अपनी भैस के दूध की मिठाई बनाया करती हैं जो पुष्पक गाँव -गाँव जाकर बचा करता हैं . साथ ही पुष्पक खेतों में भी काम करता हैं .
राजू का बचपन आसान प्रतीत नहीं होता क्योंकि उसे अपने पिता को खेत के काम में मदद करनी पड़ती हैं , किसान का काम कभी भी आसान नहीं होता, खासकर राजू के गांव जैसी जगह में जहां जमीन खुरदरी हैं और मौसम अप्रत्याशित हैं ।
राजू के पिता रोज़ सूरज उगने से पहले उठकर खेतों की ओर निकल जाते हैं, उनके पीछे राजू को भी जाना पड़ता हैं । वह रोज़ मिट्टी की जाँच करके और फसलों को पानी देकर काम की शुरूवात करते। उसके बाद वह बचे हुए दिन रोपण, निराई और कटाई के काम करते .। राजू ने गाँव में एक कुआं खोदने और खेतों में पानी लाने के लिए नहरों का एक जाल बनाने का फैसला किया। उसने कुआँ और नहरें बनाने के लिए दिन-रात अथक परिश्रम किया। ताकि उसे रोज़ पिता के साथ ना आना पड़ें.
और वह खेल और रोमांच के लिए समय निकाल पायें । तो राजू समय के अभाव में कैसे बन पाएगा champion? जानने के लिए जुड़े रहे channel के साथ. हम फिर मिलेंगे एक नई वीडियो के साथ, तब तक खुश रहें और सेफ रहें. Bye
Manisha Jain