एक दिन लंकापति रावण के प्रवेश द्वार पर पहुंचे शक्तिशाली और श्री राम के लाडले साथी “अंगद”। पर प्रवेश द्वार से अंदर जाते हुए उसे रोका गया और उसे रोकने वाला था रावण का बेटा। फिर angad और उसमें काफी बहस हुई, झगड़ा हुआ, पर उसे अंदर जाने नहीं दिया गया। तब रावण के बेटे ने angad पर पैर उठाने की कोशिश की, पर angad ने अपनी पूरी ताकत आजमाकर उस के पैर को पटक दिया और वहां पर रावण के बेटे की मौत हो गई। उसकी गलती का अच्छा खासा सबक उसे मिला । पर यह बात वहां पर मौजूद रखवाले ने महल में जाकर बताई। क्योंकि वह भी रावण के बेटे की मौत देखकर घबरा गया था। रावण को यह बात पता चलने के बाद वह झट से सिंहासन से खड़ा हुआ और बौखला गया, फिर पूछने लगा कि,” कौन है वह? किसकी इतनी जुर्रत हुई? लेकर आओ उसे”।
रावण का संदेशा मिलने के बाद angad को अंदर जाने दे दिया गया। सब लोग angad को देखने लगे। Angad का भारी शरीर, गले में मोतियों की माला, गले में सफेद धागा, सिर पर मुकुट और जुबां पर एक ही नाम, “जय श्री राम”। Angad को देखने के बाद रावण हंसने लगा और उसने पूछा,” कौन हो तुम? लंकापति रावण की लंका में आकर यह जुर्रत कर रहे हो। मौत के मुंह में हाथ डालने आए हो?”। तब angad ने कहा,” अपनी गलतियां मान ले रावण, अगर तू खुद ही शरण जाएगा, तो तुझे श्रीराम माफ कर देंगे”। उसकी वो बातें सुनकर रावण जोर जोर से हंसने लगा,” अच्छा, तो तुम रावण राम के भक्त हो। पर तुम तो बाली जैसे शक्तिशाली वानर के बेटे हो ना? तो राम की शरण में क्या कर रहे हो? अगर तुम चाहो तो मेरे साथ जुड़ सकते हो”
अंगद रावण के हाव भाव देख रहा था। उस के चेहरे पर वो हंसी वाले हावभाव थे, उसे अपनी शक्ति का, अपने साम्राज्य का गुरूर था और ऊपर से उसने मां सीता को भी कैद करके रखा था। उन्हें छुड़ाने के लिए ही angad को श्री राम जी ने भेजा था क्योंकि वह रावण से युद्ध नहीं करना चाहते थे। पर यह सब कुछ सोचकर और रावण का बर्ताव देखकर angad हैरान रह गया।
फिर angad ने एक बार फिर से रावण को चेतावनी दी और श्री राम जी से माफी मांगने के लिए कहां, पर रावण ने ज़रा भी ध्यान नहीं दिया।
तो अब बारी थी उसे सबक सिखाने की! अंगद ने रावण से कहा,” रावण, तुम्हारे दरबार में अगर कोई ऐसा वीर है जो मेरे पैर को उठा सके तो उन्हें मैदान में बुला लो। जरा मैं भी तो देखूं, दूसरों का मजाक उड़ाने वाले लंकापति रावण के दरबार में कोई ऐसा वीर है भी या नहीं। वरना मैं तो यही समझूंगा कि यहां पर सब कायर है”।
कायर शब्द सुनकर रावण गुस्सा हो गया, सिंहासन पर हाथ पटककर उसने सभी को कहा,”देख क्या रहे हो, एक-एक करके उठो और इसे सबक सिखाओ। मेघनाद, पहले तुम जाओ और इस angad का गुरूर तोड़ो”।
रावण का बेटा मेघनाद गया, उसने पैर उठाने की कोशिश की, पर वह कुछ भी नहीं कर पाया। सब लोग हंसने लगे। फिर रावण ने उन्हें चुप कराया। एक-एक करके हर कोई जाता था, पैर उठाने की कोशिश करता था, पर सब हार जाते थे और angad उन पर हंसता रहता था।
फिर angad ने कहा,” रावण यह चुनौती सिर्फ बाकियों के लिए नहीं है, तुम्हारे लिए भी है। तुम में अगर शक्ति है तो आजमा के देख लो”।
तब रावण अपने सिंहासन से उठा, घमंड के साथ, सीना तान कर, चलकर angad के पास गया, उसका पैर उठाने की कोशिश की, पर पैर उठा नहीं पाया। यह देखकर दरबार के बाकी सब लोग चर्चा करने लगे, हंसने लगे जिस पर रावण बौखला गया। तब अंगद ने पैर हटाते हुए कहा,” मेरा पैर पकड़ने से अच्छा है तुम राम जी को शरण जाओ। वो तुम्हे माफ कर देंगे। और हां, सीता माता को भी छोड़ दो। वरना आज मेरे पैरों पर गिर चुके हो, कल किसी के पैरों पर गिरने के के काबिल भी नहीं रहोगे”। यह सब कहकर angad वहां से चला गया। उसकी बातें सुनकर रावण के आंखें गुस्से से लाल हो गई।
angad ने बिना बोले रावण का घमंड तोड़ दिया और उसे अपने घुटनों पर बैठने के लिए मजबूर कर दिया।
तो angad जैसा शक्तिशाली राम भक्त हमें आने वाली फिल्म आदिपुरुष में भी देखने को मिल सकता हैं क्योंकि सीता मैया को ढूंढने में वानर सेना का भी उतना ही बड़ा हाथ था।
Trupti