उपेंद्रनाथ राजखोवा आसाम के कई judges में से एक है। उनके retirement से कुछ समय पहले ही उनकी posting west bengal के डुमरी जिले में होती है। उनके परिवार में उनकी पत्नी और 3 बेटियां थी तीनों बेटियां assam के गुवाहाटी शहर में बढ़ रही थी जिसके कारण उपेंद्र नाथ की पत्नी भी ज्यादातर assam में ही रहती थी। सरस्वती पूजा के अवसर पर उपेंद्र नाथ ने अपने परिवार को डुमरी बुला लिया।
2 February 1970 उपेंद्र नाथ का retirement हो जाता है और 3 फरवरी को वह अपने आसाम के घर में जो किराएदार थे उनसे कह देते हैं कि उनका घर जल्द से जल्द खाली कर दिया जाए क्योंकि अब वह वही आकर रहेंगे। इस बीच उपेंद्रनाथ डुमरी में ही अपने आवास में ही अपनी पत्नी और बड़ी बेटी के साथ रह रहे थे। अपनी छोटी बेटियों को उन्होंने वापस college भेज दिया था। इसी बीच उनके डुमरी के निवास में garden में कुछ पेड़ बहुत बड़े हो गए थे जो निवास को क्षति पहुंचा रहे थे इसीलिए उन्होंने garden में दो बड़े पेड़ों को कटवा दिया और वहां की मिट्टी निकलवा दी । उन्होंने माली से कहा कि वह assam के कुछ सुंदर पौधे यहां मंगवा कर लगाएंगे।
1 दिन judge साहब में अपने माली और अपने सभी नौकरों को छुट्टी दे दी और उनसे घूमने फिरने आने को कहा। अगले दिन माली और बाकी सभी नौकर काम पर आए तो उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी और बेटी दोनों आनन-फानन में किसी काम की वजह से चले गए । यह सुनकर सभी नौकर थोड़े विचलित
हुए पर लगा कि वह कर सकते हैं । इसे कुछ देर बाद माली ने देखा कि kitchen से बाहर निकलती हुई pipe से पानी लाल रंग का आ रहा है । उसे लगा कि judge साहब कोई कपड़ा धो रहे होंगे जिसका रंग छूट रहा होगा पर इतने सालों में एक भी कपड़ा अपने हाथ से नहीं धोया था।
इसके अलावा माली ने देखा कि जो गड्ढे थे उन्होंने बनवाए थे वह सारे भर गए थे। और उन पर कोई भी पौधे भी नहीं लगे थे। इसके कुछ दिन बाद judge साहब अपनी दोनों बेटियों को गुवाहाटी से बुला लेते हैं। दोनों बेटियां आ जाती है और judge साहब उन्हें खुद लेने जाते हैं। पर अगले दिन जब माली उठता है तो judge साहब उससे फिर यही कहते हैं कि दोनों बेटियां अपनी मां और बहन के पास गई है और शायद कुछ दिनों में judge साहब भी जाना पड़े। माली ने देखा कि दूसरा गट्ठा भी इस बार भर गया था और इस बार भी उस पर कोई पौधा नहीं था। डेढ़ महीना judge साहब उसी बंदे में रहते हैं और उसके बाद एक नई judge उस बंगले में रहने को आते हैं।
Upendranath की पत्नी के भाई आसाम के DIG थे। इतने लंबे समय तक उनकी बहन और भतीजे से उनकी बात ना होने के कारण आपसे बहुत चिंतित थे और जब भी judge साहब से पूछते तो वह कभी कहते कि वह सब दिल्ली में है और कभी कहते कि आसाम में है। Dig अपनी तरफ से तफ्तीश करना शुरू करते हैं तो पता चलता है कि उपेंद्रनाथ सिलीगुड़ी के एक होटल में ठहरे हुए हैं जब पुलिस और DIG वहां जाकर उनसे पूछताछ करते हैं कि उनकी पत्नी और बेटियां कहां है तब भी चाचा अलग-अलग जगह का नाम लेते रहते हैं।
जब उनके बहाने खत्म होते गए तो उन्होंने कहा की 10 फरवरी की रात को उनकी पत्नी का पैर फिसल गया जिससे उनकी मौत हो गई और अपनी मां की मृत्यु देखकर बेटी ने भी नींद की दवा की ओवरडोज ले ली और उसी रात दोनों मां बेटी की मृत्यु हो गई इसके बाद अगली सुबह उन्होंने कुछ मजदूरों को बुलाकर दोनों की लाश ब्रह्मपुत्र नदी में बहा दी। उन्होंने बात कुछ समय तक अपनी दोनों बेटियों से कुछ समय तक छुपाई उसके बाद जब 25 फरवरी को वह दोनों आई तो ब्रह्मपुत्र नदी के पास जब उन्होंने दोनों को यह बात बताई तो दोनों ही नदी में कूद पड़ी और खुदखुसी कर ली।
इसके बाद पुलिस ने कहा कि उन्हें यही बयान megistrate के सामने देना पड़ेगा तो जज साहब ने हामी भरी और कहा कि वह कपड़े बदल कर आते हैं उनके साथ चलेंगे। पुलिस बाहर wait करती रही तभी बाथरूम से चीखने की आवाज आई वजह अच्छा अपने बाथरूम में खुद के पेट में चाकू मार दिया था और लहूलुहान पड़े थे। बड़ी मुश्किलों से जज साहब को बचाया गया।
जगह पूरी तरह से ठीक हो गए तो उन्होंने मान लिया कि उनके परिवार में चारों लोगों का कत्ल उन्होंने ही किया है। ने बताया कि उनकी पत्नी और तीनों बेटियों की लाश डुबरी के उसी जज के बंगले में है। पर यश आपने कभी भी यह नहीं बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी और तीन बेटियों की हत्या क्यों की। उसके बाद आजाद हिंदुस्तान के पहले जज को फांसी की सजा दी गई और दुनिया में यह इकलौते जज थे जिन्हें फांसी की सजा सुनाई गई।
ऐसे ही criminals की कहानी होने वाली है bade miyan chote miyan 2
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Apoorva