मनोहर पाटील महाराष्ट्र के छोटे से जिले के रहने वाले थे। मनोहर पाटिल जी के पांच भाई थे जिसमें से मनोहर जी सबसे छोटे भाई थे। वह केवल 17 साल की उम्र में ही भारतीय सेना में भर्ती हो गए थे । उनके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा ऐसा था कि वह हमेशा दूसरे देश के लिए कुछ कर गुजरने के लिए प्रेरित करते थे । वह कहते थे ” अगर कुछ करना है तो केवल अपने लिए नहीं अपने देश के लिए भी करो, देश के लिए कुछ कर गुजरने का मौका मिले तो उसे जाने मत देना क्योंकि यह मौका हर किसी को नहीं मिलता ”
देशभक्ति की भावना उनके अंदर कूट-कूट कर भरी थी ।
जब वह गांव आते थे तो गांव के बच्चो को भारतीय सेना के बारे में बताते थे। उनके साथ रहते, उनके साथ खेलते और बहुत सारी कहानियां सुनाया करते थे। फिर उनकी posting siachen glacier पर हो जाती है। ये वही सियाचिन है जहा temperature minus में रहता है। ऐसी ठंड पड़ती है कि शरीर को गला दें और यहां जाने के लिए वह बहुत उत्साहित थे। कुछ दिनों बाद वह चंडीगढ़ पहुंचे । उन्होंने वहां पर कुछ दिन training कीऔर निकल पड़े अपने अगले सफर के लिए ।
सियाचिन ग्लेशियर पर चढ़ने से पहले उनका घर पर phone आया कि वह आज वह चढ़ाई करने जा रहे हैं । कुछ दिन बीत जाने के बाद फिर call आया की आज वह बहुत खुश है क्युकी वह post से काफी करीब है और शायद वहां पहुंचने के बाद network ना मिले इसलिए आज ही बात करना चाहते हैं ।पर उसके बाद फिर कई दिन बीत गए उनके परिवार को उनका कोई भी call नहीं आया फिर ।
एक दिन 16 जुलाई शाम के 8:00 बजे उनकी unit से call आया जिसमें उनके परिवार को बताया कि मनोहर पाटिल को injury हो गई है जिसका treatment अभी चल रहा है । कुछ दिनों बाद उनका फिर call आया जिसमें उन्होंने कहा कि मनोहर जी की हालत बहुत नाजुक है। उनकी body कुछ काम नहीं कर रही है और उनके इलाज के लिए उन्हें दिल्ली shift किया जाएगा। Call के कटते सब रोने लगे । Army ने ये भी बताया गया था कि परिवार से कोई भी दो लोग दिल्ली में देखने आ सकते हैं। दिल्ली जाकर उनके परिवार वालों को पता चला कि उनकी brain की surgery हुई है और वह भी बेहोश है।
20 घंटे के बाद उन्होंने आंखें खोली उनकी कुछ बोलने की हालत नहीं थी। उनकी body पूरी तरह से block हो गई थी । उनकि हालत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही थी और तब उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मौत से लड़ते रहे । आखिरकार 4 सितंबर को उनके परिवार वालो को बताया गया उनकी हालत बहुत नाजुक हैऔर वह पूरी तरह से ventilator पर निर्भर है। केवल कोई चमत्कार ही उन्हें बचा सकता है। सुनकर पूरा परिवार भगवान से प्रार्थना करने लगा । अगले दिन तक मनोहर की पूरी body सिकुड़ चुकी थी और वह जोर-जोर से सांसे ले रहे थे । उसके कुछ देर बाद ही वह हम सब को छोड़ कर चले गए एक और वीर जवान देश की रक्षा के लिए शहीद हो गया।
ऐसे ही वीर जवान की कहानी होने वाली है shahrukh khan starrer Jawan
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apoorva