Jawan

बबली के पिताजी रतन सिंह army में थे । छुट्टियों के समय घर आए हुए थे । करिश्मा कई बार अपने पिताजी की वर्दी पहन कर पूरे घर में नकली बंदूक लेकर घूमती थी।

कुछ दिनों में करिश्मा का birthday था और उसने अपने birthday पर अपने पिता से कई सारे तोहफे की demand भी करी थी । पर करिश्मा के birthday से 1 दिन पहले ही रतन सिंह के पास एक phone आता है जिसकी वजह से उन्हें वापस army camp जाना पड़ता है। Phone पर उन्हें जल्द से जल्द ladakh पहुंचने की हिदायत दी गई थी।

करिश्मा बहुत रोने लगी उसके बहुत कहने पर भी उसके पिता एक दिन भी उसके birthday के लिए नहीं रुक पाए । रतन सिंह ने अपनी बेटी को समझाया की एक फौजी के लिए सबसे पहले देश होता है। ऐसे ही किरदार के फौजी को हम देखने वाले है shahrukh khan की movie jawan मे जिसके लिए देश सबसे पहले होगा।

करिश्मा आंखों आंसू लिए अपने पिता को goodbye कहती है । रतन सिंह चीन की सीमा से लगे अपने आर्मी कैंप तक पहुंचते हैं।

जब वह पहुंचे तो राम बहादुर ने उसे बताया कि चीन के कुछ सैनिक उनकी सीमा में घुस आए हैं और आज शाम को उनसे meeting होने वाली है । शाम को दोनों officers मे meeting हुई और दोनों देशों ने आपसी सहमति से तय किया कि कोई किसी की सीमा में नहीं घुसेगा। रतन सिंह और बाकी आर्मी officers camp में वापस आ जाते हैं

उसी रात खाना खाने के बाद रतन सिंह और राम बहादुर बातें कर रहे थे । इसमें रतन सिंह राम बहादुर को बता रहे थे कि उनकी बेटी का birthday था पर वह मना नहीं पाए। अगर ऐसी कोई भी बात हो जाती है जिसकी वजह से वह वापस घर नहीं जा पाते तो वह राम बहादुर को एक सलवार सूट देते हुए कहते हैं कि उनकी बेटी तक जरूर पहुंचा दें।

तब राम बहादुर ने उनसे कहा कि इतना बुरा मत सोचो खुद अपनी बेटी को ये आप ही देंगे। अगले दिन चीन के सैनिक भारत की सीमा में घुस आते हैं । दोनों देशों के सैनिकों में झड़प हो जाती है। रतन सिंह सहित भारत के कुछ सैनिक शहीद हो जाते हैं और रामबहादुर घायल हो जाता है।

सेना की टुकड़ी घायल सैनिकों को camp में छोड़कर चीन की सीमा में घुसती है और उनके camp पर हमला करती है। भारत और चाइना के बीच लड़ाई छिड़ जाती है । दोनों तरफ से सैनिक शहीद होने लगते हैं और camp में खाने का सामान खत्म होने लगता है । वहीं दूसरी और राम बहादुर को यह बात बहुत खल रही थी कि उसके दोस्त ने देश के लिए जान समर्पित कर दिया और वह यहां इस हालत में कुछ नहीं कर पा रहा है इसीलिए उसने दूसरी तरीके से अपनी सेना की मदद करने की ठानी।

सेना के कैंप से कुछ किलोमीटर की दूरी पर डोकलाम पर नाम का एक गांव था। उस गांव पर भी अक्सर गोलीबारी होती रहती थी इसलिए गांव के लोग घर से बाहर कमी निकला करते थे । गांव में aarav नाम का लड़का अपनी मां के साथ रहता था। कुछ साल पहले जब आपके पिताजी अपने भेड़ों को चारा खिला रहे थे तब चीनी फौजियों के attack के चलते उनकी मृत्यु हो गई। इसीलिए उसकी मां उसे अपने घर से बाहर निकलने नहीं देती। एक रोजगार आप अपनी मां की बात को बिना सुने भेड़ों को जंगल की ओर लेकर aarav चलता है। रास्ते में उसे राम बहादुर मिल जाता है

Aarav रामबहादुर को लेकर गांव में पहुंचता है। गांव वाले राम बहादुर को खाने का बहुत सारा सामान दे देते हैं । कुछ युवा राम बहादुर के साथ युद्ध में जाकर मोर्चा संभालने की बात भी कहते हैं, पर राम बहादुर ने उन्हें समझाया कि बिना training कि उन्हें border पर नहीं जाने दिया जा सकता। अगर वह देश के लिए वाकई सेना में भर्ती होना चाहते हैं तो वैसे ही हो जैसे हर फौजी सेना में भर्ती होता है । फिलहाल के लिए वह केवल खाना पकाने इत्यादि के कामों में सैनिकों की मदद करने के लिए आ सकते हैं।

जब तक गांव में लड़ाई चलती है तब तक गांव के सभी लड़के सैनिकों का खास ख्याल रखते हैं। लड़ाई में दोनों ही देशों को एक जैसा नुकसान हुआ आखिरकार चीन को अपनी मनमानी रोकनी पड़ी ।

उसने अपने सैनिकों को पीछे हटा लिया । सेना के अफसरों ने गांव के सभी लड़कों को सम्मानित किया ।

युद्ध खत्म होने के बाद रामबहादुर अपने दोस्त रतन सिंह से किए गए वादे के अनुसार रतन सिंह के घर पहुंचा उसने रतन सिंह की बेटी को वह सलवार सूट दिया जो रतन सिंह उसे देना चाहता था । उसने रतन सिंह की बेटी को कहा कि उसके पिता एक सच्चे योद्धा थे और उन्हें उस पर गर्व होना चाहिए। रतन सिंह की बेटी ने एक बार फिर यही कहा कि वह बड़े होकर अपने पिता की तरह army में भर्ती होना चाहती है और वह ऐसा ही करेगी।

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Apoorva

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