Khalnayak 2
Gujarat का Daud Ibrahim कहे जाने वाले Abdul Latif की कहानी दुनिया के बाकी खलनायक की तरह ही शुरू होती है।
अब्दुल लतीफ अहमदाबाद के दरियापुर इलाके में पैदा हुआ था । परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी । परिवार बड़ा था और सब लोग काम किया करते थे । मुश्किल हालात और आर्थिक कमजोरी ने अब्दुल को ज्यादा पढ़ने लिखने का मौका नहीं दिया । छोटी उम्र में ही अब्दुल को 2 वक्त की रोटी के लिए भी काम करना पड़ा । कच्ची उम्र में ही वह एक ऐसे रास्ते पर चल पड़ा जो मौत के पास जाकर खत्म होता था।
हर खलनायक का अंत तो यही होना होता है। जुर्म की राह पे चलके कोई और मंजिल नहीं पाई जा सकती। यही बात समझने में khalnayak 2 के main किरदार को कितना समय लगता है ये हम film देख कर पता चलेगा। फिलहाल movie की announcement की जा चुकी है पर इससे ज्यादा कोई पुख्ता खबर नहीं है। Movie मे khalnayak का किरदार , Sanju Baba की biography में काम कर चुके Ranbir Kapoor निभाते दिख सकते है। उनके लिए भी ये role लीक से हटके होगा। Film की shooting अगले साल तक शुरू की जा सकती है और इसके बाकी किरदारों को भी जितना authentic रखा जा सकता है उतना रखने की कोशिश की जा रही है।
अपने पिता के साथ काम करने वाले अब्दुल को मेहनताना के रोज ₹2 मिला करते थे। आसपास का इलाका भी अच्छा नहीं था । वहां की शराब के तस्करों का एक बड़ा network था। छोटी उम्र से ही बुरी संगत में पड़ा अब्दुल इस network का part बन गया। शराब की तस्करी शुरू करने के कुछ समय बाद ही इसमें अब्दुल का बड़ा नाम होने लगा। 20 साल की उम्र में ही उसने अपना अच्छा खासा काम जमा लिया मैं लोगों को जुआ करवाता शराब की तस्करी करता और ताकत बढ़ते बढ़ते इतनी बढ़ गई कि अबे businessmen से protection money भी लिया करता था।
इसी बीच अब्दुल की शादी हो गई थी। धीरे-धीरे नाम बढ़ते बढ़ते इतना बड़ा हो गया की congress के leaders के साथ दोस्ती और संरक्षण दोनों ही मिल गया। इसी बीच की दोस्ती पठान brothers से हो गई पठान brothers वही थे जिन्होंने दाऊद इब्राहिम के भाई को मारा था। जब दाऊद इब्राहिम 80 के दशक में छोटा-मोटा स्मगलर ही था उस समय भी अब्दुल ने दो बार दाऊद इब्राहिम को जेल जाते समय पुलिस की कस्टडी में अटैक करने की कोशिश करें इसके बाद जब दावत को इस बारे में पता चला तो दोनों gangs में जैसे जंग छिड़ गई दोनों gangs के खूब सारे members मारे गए।
यही हाल कुछ khalnayak 2 मे main किरदार के सबसे loyal दोस्तो का होने वाला है। Film मे एक के बदले दो जाने लेने का ये जुनून हर किरदार के सिर चढ़े बोलने वाला है। फिर चाहे वो पुलिस हो या खुद khalnayak।
किसी भी खलनायक की तरह अब्दुल लतीफ भी अपने आप को एक robinhood जैसा दिखाना चाहता था इसलिए अपने आसपास के area में मैं लोगों में खूब पैसा बढ़ता और नौकरी के नाम पर युवाओं को अपने तस्करी के काम में लगा देता। 1988 mein usne Ahmedabad ke 5 wards से एक साथ चुनाव लड़ा और सब में जीत गया।
ये बाते हमे सोचने पर मजबूक करती है है की देश मे खलनायको को politician बनाने का trend कबसे चलता आ रहा है। Power के बिना हर khalnayak अधूरा है, चाहे वो real life मे हो या reel life मे। Film मे भी khalnayak को support मिलेगा जिससे वो अपने मंसूबों मे और भी ज्यादा कामयाब होता जायेगा। इसी power के नशे मे किरदार पूरी तरह भूल जायेगा की वह कहा से आया है और इस रास्ते का अंत क्या है।
नवंबर 1989 तक आपको समझ आ गया था कि गुजरात पर तब तक कब्जा नहीं किया जा सकता जब तक अब्दुल लतीफ उसके साथ ना हो इसीलिए उसने अब्दुल लतीफ की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया। और आगे चलकर दाऊद के कहने पर ही उसने शराब की जगह सोने की smuggling शुरू करी।
दाऊद को जब international terrorist घोषित कर दिया गया और वह पाकिस्तान भाग चला । तो उसके बाद अब्दुल लतीफ भी पाकिस्तान की ओर भाग गया।
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Apoorva