ब्रह्मास्त्र पार्ट 1 में पूरी कहानी शिवा के करैक्टर पर थी, लेकिन शिवा के करैक्टर की ये बातें किसी ने गौर नहीं की। कौन सी बातें हैं? चलिए बताता हूँ। देखो, हम सबको पता है कि शिवा पहले चिंगारी के बिना आग नहीं ला सकता था, और उसे भी ये बात काफी लेट पता चलती है। पर डायरेक्टर ने हमें ये बात स्टार्टिंग में ही बता दी थी। रावण को जलाने वाला सीन, अनाथालय के दिवाली वाले सीन में, वाराणसी वाले सीन में और आश्रम वाली सीन में भी पीछे धुआं उठा रहा होता है। मतलब हर जगह हमें आग नहीं, तो चिंगारी दिख जाती है, और वही से शिवा की आग पैदा होती है। लेकिन इन सारी बातों पर किसी ने ध्यान नहीं दिया ही। नए सबने सोचा कि शिवा के अंदर से आग निकल रही है, पर ऐसा नहीं था। शिवा को आग पैदा करने के लिए चिंगारी की जरूरत थी, और ये बात डायरेक्टर ने बहुत ही मस्त तरीके से बतायी थी। लेकिन सभी ने मिस कर दिया।
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फिल्म “ब्रह्मास्त्र” को बनाने में Ayan Mukerji ने अपने 10 साल लगाए हैं और उनकी मेहनत इस मूवी में दिखती भी है। इस मूवी में इतनी सारी छिपी हुई विवरण हैं, जिन्हें कवर करने के लिए कई अलग-अलग पार्ट बनाने पड़ सकते हैं। शिवा के परिचय में, शिवा को दिखाने से पहले हमें एक शंख दिखाया जाता है, जो माया अस्त्र का संकेत है। जोर और रफ्तार के लिए उनके दायें और बायें हाथ की तरह थे और दोनों का एक-एक आंख लाल रंग की थी। जोर का दायें आंख लाल रंग की थी और रफ्तार का बायें आंख लाल रंग की थी। मोहन ब्रह्मास्त्र का टुकड़ा अपने खून से माया स्तर में बदलकर अंदर फेंकने के बाद उसे जोड़ पाता है, लेकिन जोड़ उसे सिंपल सा दूरबीन बोलकर फेंक देता है। मोहन जहां अपना वानर अस्त्र छुपाया था, वहां एक एरोपॉइंट करके दिख जाता है। ठीक उसी पॉइंट पर ब्रह्मास्त्र का सिंबल बनते हुए भी दिख जाता है। रफ्तार वानर अस्त्र का उपयोग करता है, तो हमें बंदर की आवाज सुनने को मिलती है। परंतु मोहन के समय में क्यों नहीं? वैसे ही, मोहन की भी आवाज सुनाई देती है, लेकिन थोड़ा धीरे। जब मोहन ने पहली बार अपना वानर अस्त्र सक्रिय किया था, तो हमें एक साउंड सुनाई देती है, जैसे सोया हुआ एक बंदर जाग रहा हो। और यही चीज़ अनीश के साथ भी होती है, जब अनीश सबसे पहली बार अपना नंदी अस्त्र सक्रिय करता है, तो हमें एक बैल की आवाज सुनाई देती है। मोहन जुनून के लेफ्ट हैंड और राइट हैंड से लड़ने के बाद जब वापस आता है, तब माया अस्त्र को ब्रह्मास्त्र में बदलता है। तब उसके अगले ही सेकंड वह अग्नि अस्त्र को महसूस कर पाता है और वह आश्चर्यचकित रहता है। क्योंकि उसे पता था,जो आदमी अग्नि अस्त्र का उस्ताद है, देव उसको समुंदर निकल चुका है। तो जब वह जुनून के पास अग्नि अस्त्र देखता है, तब वह शॉकिंग होकर बोला, “अग्नि? पर यहाँ क्वेश्चन आता है, कि वह पहले उस अग्नियास्त्र को महसूस क्यों नहीं कर पाया? माया स्तर को बदलने के बाद ही क्यों?” अगर आपने वह सीन ध्यान से देखा होगा, तो मोहन माया अस्त्र को बदलने के बाद ही जुनून की आंखों में देखता है, अग्नि अस्त्र की रोशनी दिखती है। मतलब, जैसे शिवा ऑन होता था, वैसे ही देव का अग्नि इस तरह ऑन होते ही, मोहन ने उसे महसूस कर लिया। जुनून भी कितनी चालाक है। जब तक मोहन वह ब्रह्मास्त्र का टुकड़ा माया अस्त्र से निकाल कर बाहर लाया नहीं, तब तक जुनून ने अपने होने का एहसास तक उसे होने नहीं दिया। मोहन जब कहता है, “तुम अंधेरा ला रही हो, जुनून,” लेकिन भूलो मत, रोशनी आएगी। उसके बाद ठीक सुबह होती है और हमें शिवा को रोशनी के साथ दिखाया जाता है। यह सीन पहले से सूचित कर रहा था कि शिवा अंधेरा कायम रहे को भगाने वाला है और आइडिया की रोशनी को लाने वाला है। अब यह डिटेल है कि क्या नहीं पता, पर मैंने नोटिस किया तो बता दिया।
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Divanshu