फिल्म बाहुबली कोई छोटी मोटी फिल्म नहीं थी साल 2015 में अगर किसी फिल्म ने पूरी भारतीय सिनेमा को हिला कर रख दिया था तो वो थी बाहुबली। जहां बाहुबली से जुड़े हर किसी के बारे में बात की गई थी, तो वही किसी ने भी 600 कलाकारों का ज़िक्र नहीं किया था, जबकि वो सारे रातों दिन मेहनत करके वीएफएक्स के काम को संभालते थे। जब बाहुबली के डायरेक्टर एसएस राजामौली से 600 वीएफएक्स आर्टिस्ट के बारे में पूछा गया था तो राजामौली ने अपने सीने को चौड़ा करके कहा था कि, “अगर वो 600 वीएफएक्स आर्टिस्ट नहीं होते तो बाहुबली को टाइम पर बनाना मुश्किल था”। यहां तक कि राजामौली ने उन सभी को फिल्म का एक important हिस्सा बताया था। बाहुबली 2 में भी उन्हीं 600 वीएफएक्स आर्टिस्ट को हायर किया गया था। राजामौली जिस तरह के डायरेक्टर हैं तो अगर उन्हें कोई एक बात में इंप्रेस कर देता है तो वो उसे कभी नहीं भूलते और क्या पता उन 600 वीएफएक्स आर्टिस्ट को राजामौली अपनी आने वाली फिल्म बाहुबली 3 के लिए फिर से हायर कर ले।
अगर फिल्म बाहुबली को ध्यान से देखा जाए तो पूरी फिल्म को महाभारत से reference लेकर बनाया गया था जहां हर कैरेक्टर किसी न किसी को represent कर रही थी । वहां सबसे बड़ी चुनौती अगर किसी को मिली थी तो वह थी राम्या कृष्णन जिन्होन शिवगामी की कैरेक्टर को निभाया था। अगर उनकी कैरेक्टर को ध्यान से महाभारत के नज़रिए से देखा जाए तो उन्होंने दो महान महिलाओं की कैरेक्टर को प्ले की थी, जिसमें एक थी माता कुंती जिन्हों दूसरे के बच्चों को अपने बच्चे की तरह प्यार दिया था और दूसरी थी द्रौपदी जो दुनिया की सबसे बहादुर और समझदार औरत थी। बाहुबली के डायरेक्टर एसएस राजामौली जानते थे कि, अपनी फिल्म को audience तक कैसे पहुंचाना था इसलिए उन्होंने हर एक कैरेक्टर को audience से जुड़ने की कोशिश की थी बिल्कुल किसी फैमिली मेंबर्स की तरह। अब देखना ये है कि बाहुबली 3 के वक्त क्या जादू करते हैं राजामौली audience पर ।
डायरेक्टर एसएस राजामौली के रग-रग में बसा है डायरेक्शन क्योंकि वो बचपन से ही कहानियां बनाने में माहिर थे और वो ऐसी ऐसी कहानी बनाते थे कि, उनके सारे दोस्त उस कहानी को असली मान लेते थे। राजामौली ने फिल्म बाहुबली के एक इंटरव्यू में कहा था कि, “जब वो 7 साल के थे तब से उन्हें कॉमिक किताबें पढ़ने का बहुत शौक था” लेकिन सुपरहीरो वाली नहीं बल्कि वो किताबें जो भारत का इतिहास बताती थी, लेकिन राजामौली अक्सर एक टीचर की तरह उस कहानी को थोड़ा बदल कर अपने हिसाब से अपने दोस्तों को सुनाते थे। राजामौली बचपन से ही चाहते थे कि, उन्हें कोई फिल्म बनाने का मौका मिल जाए बस उसके बाद तो वो सभी को दिखा देंगे कि आखिर वो चीज क्या है। आखिरकार बाहुबली ने ये साबित कर दिया कि राजामौली से टकराना मतलब मुसीबत मोल लेना है। लेकिन अब अगर audience को किसी चीज की बेसबरी से इंतजार है तो वो है बाहुबली 3 की।
Chandan Pandit