Soldiers, अब चाहे Indian Army को हो, Navy के हो या फिर Airforce के, हर एक Soldier ने हमारे देश की आन-बान और शान को बढाया है।
Army में जानो के बाद तो ये भारत माता की सेवा करते ही है, लेकिन कई बार इस मुकाम तक पहुचने के लिए उन्हें ना जाने कितनी कठिनाइयों का सामना करना पडता है।
ऐसे ही एक अपने Dream को पूरा करने का Passion रखने वाले officer की कहानी आज हम आपको सुनाएंगे जो एक फैक्ट्री में काम करता था और आज वो एक फौजी अफसर बन गया है।
बिहार के एक शख्स की कहानी inspiring कहानी है, जिसकी कडी मेहनत को कोई नही झुठला सकता है।
इपने Teenage सालो में एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम किया। फिर सेना में सिपाही बने और फिर एक Officer भी बने। आएये मिलते है, लेफ्टिनेंट बलबंका तिवारी से।
12 दिसंबर, 2020 को Indian Military Academy ने अपने नए graduates के लिए Passing out parade (परेड) organise की। उस परेड में 28 साल का एक व्यक्ति जो जोश और Self confidence से भरा हुआ, देश की सेवा करने के सपनों के साथ आगे बढ़ रहा था। एक तरफ से उसकी मां, पत्नी और उसकी चार महीने की बेटी उसे देख रही थी, ओर फिर उसने मुस्कुरा कर उनकी तरफ अपना हाथ हिलाया। हालाँकि, उस शाही मुस्कान के पीछे, उनके teenage years के उतार-चढ़ाव से बहने वाला पसीना था।
बिहार के आरा (Arrah) के रहने वाले बालबंका तिवारी एक financially कमजोर किसान परिवार से हैं, जिसके कारण उन्हें अपने परिवार के छोटे से गुल्लक में कुछ extra cash जोड़ने के लिए अपनी उम्र से बहुत आगे काम करना पड़ा। तिवारी 16 साल के थे जब उन्होंने नौकरी की तलाश के लिए हाई स्कूल से graduate होते ही अपने hometown आरा को छोड़ दिया। वो फिर ओडिशा के राउरकेला पहुंचे और एक कारखाने में एक Labour के रूप में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने लोहे की छड़ें और rods काटी। उन्होंने हर दिन 12 घंटे कड़ी मेहनत की और 50-100 रुपये कमाए। बाद में उन्होंने एक नमकीन फैक्ट्री में भी काम किया था।
यद्यपि बलबंका ने कारखाने में अपनी muscles बनाने पर काम किया, फिर भी उन्होंने indian Army में शामिल होने के अपने सपने को नहीं छोड़ा। उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपने goal को हासिल करने के लिए ट्यूशन भी ली। उनका पहला milestone तब हासिल हुआ, जब उन्होंने अपने दूसरे attempt में ही भोपाल में Army के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (EME) center के Entrance Exam में सफलता हासिल की। और फिर उन्होंने अगले पांच सालों में वहां एक सिपाही के रूप में काम करने के लिए graduation की। इस दौरान उन्होंने Army Cadet college exam की तैयारी की और 2017 में इसे पास कर लिया।
बालबंका ने आखिरकार 12 दिसंबर 2020 को Indian Army Academy देहरादून से graduation complete की।
आखिर कार अपने बचपन के सपने को पूरा करने की खुशी Balbanka के चेहरे पर साफ झलक रही है। अब उसके पिता सुबह अखबार उठाएंगे और शायद अपने आसपास के लोगों को बताएंगे कि उनके बेटे ने अपने गांव का नाम रोशन किया है।
तिवारी की मां खुशी से झूम उठीं और उनके आंसू उनके बेटे के बारे में सब कुछ बयां कर रहे थे। उसने याद किया कि उसका बेटा अपनी छोटी उम्र से ही परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कितना कुछ सहा है। बलबंका ने अपनी चार महीने की बेटी को पहली बार देखा तो उसकी पत्नी बेहद खुश और proud दिख रही थी।
जैसे Balbanka Tiwari की मेहनत रंग लाई, और उसका बचपन का सपना एक Army office बनने का पूरा किया, वैसे ही ना जाने कितने और Officers ने अपने देश की सेवा करने का सपना पूरा किया है।
और Lieutenant Balbanka tiwari की कहानी से ये साबित होता है कि सपने अचानक या अलादीन के जादुई चिराग के रगड़ने से सच नहीं होंगे। सपनों को साकार करने के लिए honest efforts की जरूरत होती है। और लेफ्टिनेंट बालबंका तिवारी की कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है।
इसी तरह की कहानी से Inspired एक basic story plot हमें Soldier 2 के लिए भी देखने को मिल सकता है।
जिसमें एक Army officer के उन Struggle की कहानी होगी, जो अपने देश की सेवा करने के सपने को पूरा करने के लिए Balbanka Tiwari ने किए है।