Sooryavanshi 2

असीम अरुण (ASIM ARUN ) का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को बदायूं में हुआ था। असीम अरुण के पिता श्री राम अरुण भी आईपीएस (IPS) अधिकारी रह चुके हैं। असीम अरुण के पिता उत्तर प्रदेश के डीजीपी (DGP) पद पर भी रहे। उन्होंने राज्य में आतंकवादी विरोधी दस्ते का गठन भी किया था। असीम अरुण ने राजधानी लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से अपने शुरुआती शिक्षा ग्रहण की उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए असीम अरुण दिल्ली चले गए और दिल्ली दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। उसके बाद असीम अरुण ने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और सेलेक्ट भी हुए।

असीम अरुण (ASIM ARUN ) 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। असीम अरुण ने अलीगढ़ में पहली बार 2009 में स्क्वाड टीम का गठन किया था। असीम अरुण उत्तर प्रदेश में चर्चा में तब आए जब लखनऊ के सैफुल्ला गंज में एटीएस कमांडो ने ठाकुरगंज में छिपे आतंकियों को ढेर किया था। असीम अरुण  प्रदेश के हाथरस, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, आगरा, अलीगढ़, और गोरखपुर जिले में अपनी सेवा दे चुके हैं। असीम अरुण ने डायल 112 के प्रभारी के तौर पर 2 सालों तक कार्य किया। वहीं, असीम अरुण आतंक निरोधक दस्ते यानी एटीएस के प्रमुख पद पर भी तैनात रह चुके हैं।

आईपीएस असीम अरुण ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले वीआरएस लेकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। जनता पार्टी ने उन पर विश्वास दिखाते हुए उन्हें कन्नौज विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। असीम अरुण ने कन्नौज में लगातार तीन बार के समाजवादी पार्टी से विधायक रहे अनिल दोहरे को हराकर जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद असीम अरुण की किस्मत चमकी। असीम अरुण को योगी सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। असीम अरुण 27 साल तक IPS रहे। उन्होंने जनवरी 2022 में बीजेपी जॉइन की और 25 मार्च को उन्हें योगी कैबिनेट में राज्यमंत्री का दर्जा मिला। योगी के मंत्रियों की सीरीज में आज कहानी उस मंत्री की जिसने पहले चुनाव में ही 15 साल पुराने विधायक को हरा दिया

18 साल के असीम लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल में पढ़ते थे। बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। उनके पिता श्रीराम अरुण एक IPS अधिकारी थे। वो असीम को भी अपनी तरह अफसर बनाना चाहते थे। 1991 में असीम ने B.Sc की। उसके बाद अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। वो परीक्षा में पास भी हो गए। उन्हें 2 जनवरी 1995 को इंडियन पुलिस सर्विसेज में शामिल किया गया। साल 2004, मनमोहन सिंह की सरकार बनी। साल 2003 तक असीम ने कोसोवो में यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कॉउंसिल यानी UNSC में अधिकारी के रूप में काम किया। उस वक्त से ही असीम को एक दमदार पुलिस अफसर माना जाने लगा। इसलिए उन्हें मनमोहन के सबसे नजदीकी सुरक्षा अधिकारी यानी SPG में तैनात किया गया। उन्होंने 2008 तक ये पद संभाला।

साल 2009, असीम की पोस्टिंग अलीगढ़ में थी। यहां उन्होंने देश की सबसे पहली SWAT टीम बनाई। SWAT यानी विशेष हथियार और रणनीति टीम या Special Weapons and Tactics Team. इसका मकसद था आतंकवाद से जुड़े सभी खतरनाक मिशन को पूरा करना। मार्च 2017, असीम को खूफिया सूत्रों से सैफुल्ला नाम के एक ISIS आतंकवादी की जानकारी मिली। ये कानपुर के KDA कॉलोनी का रहने वाला था। लखनऊ में कहीं छुपा हुआ था। असीम को पता चला कि ये आतंकवादी 1-2 दिन में ही किसी वारदात को अंजाम देने वाला है। उसे पकड़ने के लिए ज्यादा वक्त नहीं था। असीम ने तुरंत उसे पकड़ने का प्लान बनाया। उन्होंने ATS कमांडो और पुलिसवालों की मदद ली। 11 घंटे चले एनकाउंटर के बाद लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र में उसे घेर के मार गिराया। एक बड़ी घटना होने से बचा लिया।

एडीसी रैंक के असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। तीन अक्टूबर 1970 को इनका जन्म बदायूं में हुआ था। इनके पिता श्री राम अरुण की गिनती भी प्रदेश के तेजतर्रार आइपीएस में होती थी। उन्होंने प्रदेश के डीजीपी का पद भी संभाला था। असीम अरुण की मां शशि अरुण जानी-मानी लेखिका हैं। इन्होंने लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी किया है। अाइपीएस असीम अरुण ने सिविल सर्विसेज में हाथ आजमाया। इसका कारण था कि पिता इन्हें अपनी तरह आइपीएस अफसर ही बनते हुए देखना चाहते थे। आइपीएस अफसर बनने के बाद असीम अरुण धीरे-धीरे यूपी पुलिस की रीढ़ बनते गए।

यूपी एटीएस के इस जाबांज अफसर को जानकारी मिली थी कानपुर के केडीए कॉलोनी निवासी आइएसआइएस का आतंकी सैफुल्लाह किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में लखनऊ में छिपा हुआ है। तब उन्होंने एटीएस कमांडो के साथ ठाकुरगंज इलाके में आतंकी को घेर कर ढेर किया था। Indian Police Service में आने के पश्चात उन्होंने हाथरस,बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, आगरा, अलीगढ़ और गोरखपुर में पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपमहानिरीक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद इन्होंने लखनऊ एटीएस में भी कार्यभार संभाला। फिलहाल अभी तक असीम अरुण यूपी 112 में अपर पुलिस महानिदेशक एडीजी का पदभार संभाले हुए थे।

निर्भीक और शानदार प्रदर्शन के कारण असीम अरुण को देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दस्ते में शामिल किया गया। उसमें वे एसपीजी के क्लोज प्रोटेक्शन टीम के हेड थे। इसके अलावा वे एसपीजी, एनएसजी और सीबीआइ में भी सेवाएं दे चुके हैं। स्वॉट टीम आतंकी और खतरनाक मिशन के गठित की जाती है। इसमें प्रत्येक कमांडो बड़े और आधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। इस टीम की शुरुआत करने का श्रेय भी आइपीएस असीम अरुण को ही जाता है। 2009 में अलीगढ़ में तैनाती के वक्त इन्होंने देश की पहली जिलास्तरीय Special Weapons and Tactics Team (SWAT) गठित की थी। इसके बाद आगरा में डीआइजी रहते हुए इन्होंने वहां भी इस टीम की शुरुआत की।

आईपीएस असीम अरुण मूल रूप से कन्नौज के खैरनगर के रहने वाले हैं। असीम अरुण को बीजेपी ने कन्नौज की सदर सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। रिटायर्ड आईपीएस असीम अरुण की टक्कर एसपी के वर्तमान विधायक अनिल कुमार दोहरे से है। एसपी विधायक अनिल कुमार तीन बार के विधायक हैं। कन्नौज सदर सीट पर बीते दो दशक से समाजवादी पार्टी का राज है। कन्नौज और सदर सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। बीजेपी ने असीम अरुण को इस सीट पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी है। वहीं तीन बार के विधायक रहे अनिल दोहरे ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद जिस तरह से भाजपा के प्रत्याशी उनसे मिलने आए उससे उन्होंने बहुत अच्छी परंपरा शुरू की है. इससे राजनीतिक परिवेश में जो जीतने के बाद हारने वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं से घृणा करते हैं वो ख़त्म होगी. Aise hi ek jabaanj police officer ki kahaani director rohit Shetty pni nayi movie sooryavanshi2 ke saath lane waale hain. jaate jaate hum aapko ek aur zaruri baat btanaa chahte hai… ki Agar aap bhi Cinema ki duniya se judna chahte hai aur kaam karna chahte hai toh description box me diye hue job link pr click kare aur iss opportunity ka bharpur fayda uthaye!!!

Description-

Surya, now DCP and ATS chief, plans to catch the sleeper cell’s remaining members. He also tries to reconcile with his estranged wife Dr. Ria Gupta, with whom he parted ways due to a misunderstanding, but to no avail. Surya comes across Islamic priest Kader Usmani, in fact a terrorist and Bilal’s aide. Usmani meets Bilal, whose residence in Sawantwadi houses the wanted 600 kgs of RDX. They remove the buried RDX and prepare for the next bombings. Bilal reaches Mumbai with the help of taxi driver John Mascarenhas who left for Bangkok. Surya catches Bilal, who confesses that he undertook the bombings as an act of vengeance for his family being killed in communal riots and shoots himself to death.

असीम अरुण (ASIM ARUN ) का जन्म 3 अक्टूबर 1970 को बदायूं में हुआ था। असीम अरुण के पिता श्री राम अरुण भी आईपीएस (IPS) अधिकारी रह चुके हैं। असीम अरुण के पिता उत्तर प्रदेश के डीजीपी (DGP) पद पर भी रहे। उन्होंने राज्य में आतंकवादी विरोधी दस्ते का गठन भी किया था। असीम अरुण ने राजधानी लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से अपने शुरुआती शिक्षा ग्रहण की उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए असीम अरुण दिल्ली चले गए और दिल्ली दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई की। उसके बाद असीम अरुण ने सिविल सर्विसेज की तैयारी की और सेलेक्ट भी हुए।

असीम अरुण (ASIM ARUN ) 1994 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। असीम अरुण ने अलीगढ़ में पहली बार 2009 में स्क्वाड टीम का गठन किया था। असीम अरुण उत्तर प्रदेश में चर्चा में तब आए जब लखनऊ के सैफुल्ला गंज में एटीएस कमांडो ने ठाकुरगंज में छिपे आतंकियों को ढेर किया था। असीम अरुण  प्रदेश के हाथरस, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, आगरा, अलीगढ़, और गोरखपुर जिले में अपनी सेवा दे चुके हैं। असीम अरुण ने डायल 112 के प्रभारी के तौर पर 2 सालों तक कार्य किया। वहीं, असीम अरुण आतंक निरोधक दस्ते यानी एटीएस के प्रमुख पद पर भी तैनात रह चुके हैं।

आईपीएस असीम अरुण ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से पहले वीआरएस लेकर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। जनता पार्टी ने उन पर विश्वास दिखाते हुए उन्हें कन्नौज विधानसभा सीट से मैदान में उतारा। असीम अरुण ने कन्नौज में लगातार तीन बार के समाजवादी पार्टी से विधायक रहे अनिल दोहरे को हराकर जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद असीम अरुण की किस्मत चमकी। असीम अरुण को योगी सरकार में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया है। असीम अरुण 27 साल तक IPS रहे। उन्होंने जनवरी 2022 में बीजेपी जॉइन की और 25 मार्च को उन्हें योगी कैबिनेट में राज्यमंत्री का दर्जा मिला। योगी के मंत्रियों की सीरीज में आज कहानी उस मंत्री की जिसने पहले चुनाव में ही 15 साल पुराने विधायक को हरा दिया

18 साल के असीम लखनऊ के सेंट फ्रांसिस स्कूल में पढ़ते थे। बचपन से ही पढ़ने लिखने का बहुत शौक था। उनके पिता श्रीराम अरुण एक IPS अधिकारी थे। वो असीम को भी अपनी तरह अफसर बनाना चाहते थे। 1991 में असीम ने B.Sc की। उसके बाद अपने पिता का सपना पूरा करने के लिए सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी। वो परीक्षा में पास भी हो गए। उन्हें 2 जनवरी 1995 को इंडियन पुलिस सर्विसेज में शामिल किया गया। साल 2004, मनमोहन सिंह की सरकार बनी। साल 2003 तक असीम ने कोसोवो में यूनाइटेड नेशन सिक्योरिटी कॉउंसिल यानी UNSC में अधिकारी के रूप में काम किया। उस वक्त से ही असीम को एक दमदार पुलिस अफसर माना जाने लगा। इसलिए उन्हें मनमोहन के सबसे नजदीकी सुरक्षा अधिकारी यानी SPG में तैनात किया गया। उन्होंने 2008 तक ये पद संभाला।

साल 2009, असीम की पोस्टिंग अलीगढ़ में थी। यहां उन्होंने देश की सबसे पहली SWAT टीम बनाई। SWAT यानी विशेष हथियार और रणनीति टीम या Special Weapons and Tactics Team. इसका मकसद था आतंकवाद से जुड़े सभी खतरनाक मिशन को पूरा करना। मार्च 2017, असीम को खूफिया सूत्रों से सैफुल्ला नाम के एक ISIS आतंकवादी की जानकारी मिली। ये कानपुर के KDA कॉलोनी का रहने वाला था। लखनऊ में कहीं छुपा हुआ था। असीम को पता चला कि ये आतंकवादी 1-2 दिन में ही किसी वारदात को अंजाम देने वाला है। उसे पकड़ने के लिए ज्यादा वक्त नहीं था। असीम ने तुरंत उसे पकड़ने का प्लान बनाया। उन्होंने ATS कमांडो और पुलिसवालों की मदद ली। 11 घंटे चले एनकाउंटर के बाद लखनऊ के ठाकुरगंज क्षेत्र में उसे घेर के मार गिराया। एक बड़ी घटना होने से बचा लिया।

एडीसी रैंक के असीम अरुण 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। तीन अक्टूबर 1970 को इनका जन्म बदायूं में हुआ था। इनके पिता श्री राम अरुण की गिनती भी प्रदेश के तेजतर्रार आइपीएस में होती थी। उन्होंने प्रदेश के डीजीपी का पद भी संभाला था। असीम अरुण की मां शशि अरुण जानी-मानी लेखिका हैं। इन्होंने लखनऊ के सेंट फ्रांसिस कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बीएससी किया है। अाइपीएस असीम अरुण ने सिविल सर्विसेज में हाथ आजमाया। इसका कारण था कि पिता इन्हें अपनी तरह आइपीएस अफसर ही बनते हुए देखना चाहते थे। आइपीएस अफसर बनने के बाद असीम अरुण धीरे-धीरे यूपी पुलिस की रीढ़ बनते गए।

यूपी एटीएस के इस जाबांज अफसर को जानकारी मिली थी कानपुर के केडीए कॉलोनी निवासी आइएसआइएस का आतंकी सैफुल्लाह किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराक में लखनऊ में छिपा हुआ है। तब उन्होंने एटीएस कमांडो के साथ ठाकुरगंज इलाके में आतंकी को घेर कर ढेर किया था। Indian Police Service में आने के पश्चात उन्होंने हाथरस,बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, आगरा, अलीगढ़ और गोरखपुर में पुलिस अधीक्षक और पुलिस उपमहानिरीक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद इन्होंने लखनऊ एटीएस में भी कार्यभार संभाला। फिलहाल अभी तक असीम अरुण यूपी 112 में अपर पुलिस महानिदेशक एडीजी का पदभार संभाले हुए थे।

निर्भीक और शानदार प्रदर्शन के कारण असीम अरुण को देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सुरक्षा दस्ते में शामिल किया गया। उसमें वे एसपीजी के क्लोज प्रोटेक्शन टीम के हेड थे। इसके अलावा वे एसपीजी, एनएसजी और सीबीआइ में भी सेवाएं दे चुके हैं। स्वॉट टीम आतंकी और खतरनाक मिशन के गठित की जाती है। इसमें प्रत्येक कमांडो बड़े और आधुनिक हथियारों से लैस होते हैं। इस टीम की शुरुआत करने का श्रेय भी आइपीएस असीम अरुण को ही जाता है। 2009 में अलीगढ़ में तैनाती के वक्त इन्होंने देश की पहली जिलास्तरीय Special Weapons and Tactics Team (SWAT) गठित की थी। इसके बाद आगरा में डीआइजी रहते हुए इन्होंने वहां भी इस टीम की शुरुआत की।

आईपीएस असीम अरुण मूल रूप से कन्नौज के खैरनगर के रहने वाले हैं। असीम अरुण को बीजेपी ने कन्नौज की सदर सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। रिटायर्ड आईपीएस असीम अरुण की टक्कर एसपी के वर्तमान विधायक अनिल कुमार दोहरे से है। एसपी विधायक अनिल कुमार तीन बार के विधायक हैं। कन्नौज सदर सीट पर बीते दो दशक से समाजवादी पार्टी का राज है। कन्नौज और सदर सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है। बीजेपी ने असीम अरुण को इस सीट पर कमल खिलाने की जिम्मेदारी दी है। वहीं तीन बार के विधायक रहे अनिल दोहरे ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद जिस तरह से भाजपा के प्रत्याशी उनसे मिलने आए उससे उन्होंने बहुत अच्छी परंपरा शुरू की है. इससे राजनीतिक परिवेश में जो जीतने के बाद हारने वाली पार्टी के कार्यकर्ताओं से घृणा करते हैं वो ख़त्म होगी.

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