Thumbnail:- navniet कौन है?
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By vareena Tandaniya
कहानी की शुरुआत होती है। 22 अक्टूबर 1971 में कैंडर गांव में एक बच्चे का जन्म होता है। जिसका नाम Navniet sekera रखा जाता है कुछ सालों बाद navniet थोड़ा सा बड़ा हो जाता है एक दिन navniet मिट्टी से खेलते खेलते उस पर कुछ अक्षर लिखने की कोशिश करता है। उसकी मां उन words को समझ नहीं पाती क्योंकि वह अनपढ़ होती है। उसका पिता (मनोहर सिंह यादव) जब उन अक्षरो को देखता है तो वह समझता है कि शायद navniet का पढ़ाई में दिमाग अच्छा है। इसलिए वह navniet को पास के ही एक मास्टर कि यहां पढ़ने के लिए भेज देते है। कुछ दिनों बाद मास्टर मनोहर को कहता है कि navniet को गांव के सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दो। यह पढ़ाई में अच्छा निकलेगा। मास्टर के कहने पर उसके माता-पिता उसका दाखिला सरकारी स्कूल में करा देते हैं।
नवनीत जब तीसरी क्लास में होता है तब उनके स्कूल में एक ने मास्टर आते हैं। वह मास्टर अपनी Luna कार में आते हैं और उनकी कार को देखकर नवनीत बड़ा खुश होता है और आधी छुट्टी के टाइम वह उनकी कार के पास जाकर खड़ा होकर उसे हाथ लगा कर देखता है। वह मास्टर जब navniet को कार को हाथ लगाता देखते हैं तो मास्टर को लगता है कि शायद नवनीत उनकी कार बिगाड़ देगा। वह नवनीत के पास जाते हैं और नवनीत को खूब डांटते हैं और फिर अपनी छढ़ी उठाकर नवनीत को पीटते हैं। नवनीत मास्टर को कहता है कि आप मुझे मत मारिए। मै आपकी कार खराब नही कर रहा था मै तो ये सोच रहा था कि एक दिन मैं भी आपके जैसी कार लूंगा। तो वह मास्टर कहता है कि तू कार लेगा, जरा क ख ग क्या आने लग गया तू तो अपने आप को बहुत बड़ा मास्टर समझने लगा। कार लेने के लिए पता है, कितना पढ़ना पड़ता है। navniet कहता है कि जितना pdhna pdta ho mai पढ़ लूंगा। पर मैं यह कार जरूर ले कर rhuga। मास्टर उसे बहुत मारते हैं और फिर थोड़ी देर बाद जमास्टर थक जाते हैं तो वह navniet ko छोड़ देते हैं। फिर नवनीत rota huwa apne घर आ जाता है और यह दृढ़ निश्चय कर लेता है कि वह एक ना एक दिन तो अपनी कार जरूर kar rhega।
नवनीत घर जाता है और अपने पिता को कहता है कि पिताजी मुझे भी एक Luna कार लेनी है। जैसी हमारे मास्टर जी के पास है। नवनीत के पिता (मनोहर) कहते हैं कि बेटा वह बहुत पढ़े-लिखे बड़े आदमी है। मैं तो एक छोटा सा किसान हूं। मैं भला इतनी बड़ी ओर महंगी कार कहां से लाकर दूंगा तुम्हें, जब तुम बड़े हो जाओगे और खुद से कमाओगे तब ले लेना नवनीत फिर कहता है कि ठीक है। अब तो मैं कार जरूर लेकर रहूंगा और उस कार मे आप दोनो को भी पूरा गाँव घूमने ले जाऊंगा नवनीत के पिता कहते हैं, ठीक है ले लेना।
कुछ साल बीत जाते हैं। नवनीत अब फिफ्थ क्लास में हो जाता है। 5th क्लास में होने पर navniet की अध्यापिका नवनीत के पेरेंट्स के घर आती है घर पर अध्यापिका को पहले तो नवनीत की मां बहुत डर जाती है ओर navniet se puchti hai ki tumne school mai koi shratrat ki hai kya navniet kehta hai nhi navniet ki maa kehti hai fir आखिर मैडम घर क्यों आई है। नवनीत मां मैडम की बहुत खातिर पानी करती है। उनके लिए खाट बिछाती है और उन्हें स्पेशल ट्रीट कराने के लिए स्पेशल गाढ़ा दूध लेकर आती हैं। तब वह मैडम navniet ki maa ko कहती हैं कि देखिए आप इतनी दिक्कत मत लीजिए। आप मेरे पास आकर बैठी नवनीत की मां कहती हैं कि क्या हमारे बेटे ने कुछ गलत किया है जो आपको हमारे घर आना पड़ा? तब वो अध्यापिका कहती है कि नहीं नहीं… आपका बच्चा तो बहुत होशियार है बल्कि मैं तो इसलिए आई हूं ताकि आप लोगों को यह कह सकूं कि आप इसे गांव के स्कूल में पढ़ाने की बजाय शहर के किसी अच्छे स्कूल में पढ़ाई है ताकि वहां पर जा कर यह अपनी शिक्षा पर और अधिक ध्यान दे सकें और अपनी पढ़ाई अच्छे से अच्छे तरीके से ओर अच्छे महौल मे पूरी कर सके। navniet की मां कहती है कि मैडम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद आपने हमारे बच्चे की तारीफ की। mai इसके पापा से बात करूंगी कि हम इसे किसी तरह शहर पढ़ाई के लिए भेज सकें। नवनीत की अध्यापिका कहती है। देखिए अगर आप इसे बाहर भेजेंगे तो यह आपके और आपके परिवार के लिए ही अच्छा होगा। इसका भविष्य सुधरेगा तो आपकी आने वाली पीढ़ी भी educated बनेगी।
तो दोस्तों क्या लगता है आपको क्या नवनीत बाहर पढ़ाई के लिए जा पाएगा? हमें कमेंट करके जरूर बताइएगा।
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बात है 29 नवंबर 1970 की norway के एक छोटे से गांव में एक शख्स अपनी दो बेटियों के साथ burgeon valley में घूमने के