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The true लव story
आज की कहानी एक ऐसे अमर प्रेम की है जिसे रोकने की लाख कोशिशें की गईं, लेकिन कोई रोक नहीं पाया। मैं लैला और मजनू की प्रेम कहानी के बारे में बात कर रहा हूं, हालांकि कहानी के कई पहलू हैं और हर कोई एक अलग कहानी बताता है। लेकिन आइए जानते हैं क्या है असल कहानी दरअसल ये कहानी उस दौर की कहानी है जब प्यार को बर्दाश्त नहीं किया जाता था और प्यार को एक सामाजिक बुराई के तौर पर देखा जाता था. यह कहानी है 11वीं शताब्दी की जब अरब देश में एक अमीर परिवार में एक लड़के का जन्म हुआ। जिसका नाम रखा गया Qais Ibn al-Mulawwah यानि की मजनू इस लड़के के बारे में कई मौलवियों ने, ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी की यह लड़का बड़ा होकर किसी लड़की के प्यार में पागल हो जाए। लेकिन उस समय majnu के घरवालों ने इन सब बातों को झूठ और अंधविश्वास समझकर नजरअंदाज कर दिया था, लेकिन वह कहते हैं ना की किस्मत का खेल कोई नहीं समझ सकता और प्यार एक ऐसी पहेली है जो अनजान लोगों के बीच गहरा रिश्ता बना देती है। मदरसा में पढ़ने के दौरान मजनू को लैला नाम की लड़की से प्यार हो गया और लैला को भी मजनू से प्यार हो गया। जब लैला के परिवार को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने लैला की शादी एक अमीर व्यापारी वार्ड अलथकफी से कर दी। जब मजनू को इस बात का पता चला तो वह पागलों की तरह लैला के जुदाई में इधर-उधर भटकने लगा और दूसरी तरफ लैला ने भी अपने पति से साफ कह दिया की वह मजनू से प्यार करती है और वो उसी की है अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह अपनी जान दे देगी। यह सुनने के बाद लैला के pati ने तलाक देकर वापस laila को उसके पिता के घर भेज दिया। जब मजनू ने फिर से लैला को देखा तो उन्होंने वहां से भागने का फैसला किया और जब यह बात लैला के भाइयों को पता चली तो वो दोनों को मारने के लिए ढूंढने लगे। इसी दौरान लैला मजनू दर-दर भटकते रहे। एक दिन भटकते भटकते राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले में प्यास के कारण उन दोनों की मृत्यु हो गई और लोगों को लैला मजनू की प्रेम कहानी के बारे में पता चला तो उन्होंने दोनो को एक साथ दफना दिया। दरसल ये एक कहानी है, इस कहानी के अंत को लेकर कुछ और पहलू भी है और वह दूसरी कहानी यहां से बदलती है की जब लैला की शादी Ward से करवा दी जाती है, तो बदली हुई कहानी यह कहती है की जिससे उसकी शादी हुई वो इंसान काफी अच्छा और खूबसूरत था जब मजनू ने लैला की शादी के बारे में सुना तो वह आदिवासी इलाके से भाग गया और आसपास के रेगिस्तान में आवारागर्दी करने लगा। उसके परिवार ने उसके वापस आने की आशा छोड़ दी और वह जंगल में उसके लिए खाना छोड़ कर चले जाते थे। कई बार मजनू लैला के प्यार में मिट्टी पर लकड़ी की सहायता से लैला पर आधारित कविताएं लिखता था। ऐसा कहा जाता है लैला को भी शादी के बाद अपने sohar के साथ उत्तरी अरबिक में भेज दिया गया था। कुछ कथाओं के अनुसार लैला की मृत्यु अपने मजनू को देखे बिना ही heart attack की वजह से हो गई लेकिन मजनू को इस बात का पता 688 A.D. में हुआ था। इसके बाद मजनू ने, लैला की कब्र के पास पत्थरों पर तीन कविताएं लिखीं, जो लैला के लिए MAJNU द्वारा लिखी गई अंतिम कविताएं थी। उनकी मौत से पहले उनके प्यार में और भी बहुत सी बातें थी, जो आज भी रहस्य है। Majnu द्वारा लिखी गई कविताओं में कुछ कविताओं की लाइन कुछ ऐसी है की मैं इस दीवार से गुजरता जाऊंगा जीन से लैला गुजरती है और मैं उस दीवार को चुमा करूंगा जिससे लैला गुजरती है… यह मेरे दिल में दीवारों के प्रति प्यार नहीं है जो मेरे दिल को खुश करता है, लेकिन जो उन दीवारों के पास से चलकर मेरा ध्यान आकर्षित करती हे उससे मुझे प्यार है. तो लैला और मजनू की यह है दर्दनाक यादों से भरी लेकिन रोमांचक कहानी। कहानी के कुछ अलग अलग पहलू जरूर है लेकिन कहानी यह जरूर बताती है की मोहब्बत हो तो लैला मजनू जेसी, इस तरह की प्रेम कहानी को अक्सर कुंवारा प्यार कहा जाता है क्योंकि ऐसी प्रेम कहानियों में प्रेमी जोड़ों को कभी शादी करने का मौका नहीं मिलता. इतिहास में ऐसी बहुत सी प्रेम कहानियां है जिसमें लैला और मजनू के साथ-साथ रोमियो और जूलियट का भी समावेश है. अगर वक्त में थोड़ा और पीछे जाए तो राधा कृष्ण की प्रेम कहानी भी एक example है की सच्चे प्यार करने वालों की कभी शादी नहीं होती. लैला और मजनू की मौत के बाद hi दुनिया ने जाना की उनकी मोहब्बत में कितनी सच्चाई है, इन दोनों को साथ में दफनाया गया ताकि इस दुनिया में ना मिल पाने वाले लैला और मजनू, जन्नत में जाकर एक दूजे के हो जाए. दुनिया में अतीत के इन महान प्रेमियों को भारतीय सेना ने भी पूरा सम्मान दिया है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित एक bsf पोस्ट को भी मजनू पोस्ट का नाम दिया गया है. कारगिल युद्ध से पहले मजार पर आने के लिए पाकिस्तान से खुला rasta था लेकिन इसके बाद, आतंकी घुसपैठ के चलते इसे बंद कर दिया गाया. कहा जाता है की दोनों ने अपनी जिंदगी के आखिरी लम्हे पाकिस्तान बॉर्डर से only 2 kilometer दूर राजस्थान की जमीन पर गुजारे थे, ऊनकी याद में श्रीगंगानगर जिले में लैला मजनू की मजार है बनी है जहां पर हर साल 15 जून को महीने में मेला लगता है। तो ये थी लैला मजनू की पूरी कहानी लेकिन जाते वक्त मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा की ऐसी लव स्टोरी शादी पर निर्भर नहीं होती क्योंकि उनका प्यार इन सब चीजों से परे होता है।
प्यार… क्या होता है प्यार…किसी अनजान चिट्ठी में लिखे शब्दों में पिरोया हुआ किसी के…हल्की सी मुस्कान में खोया हुआ…बिना मांगे ही पाया हुआ…ना देखे ही दिल में समाया हुआ…प्यार है वह जादू…जो नहीं होता है तन और धन से…प्यार तो है वो एहसास…जो होता है… मन से…
Divanshu