अप्रैल 2004 की RAW दफ्तर के मुख्य द्वार पर office समाप्त होने के बाद घर जाने वालों की लंबी line लगी हुई थी। इसका कारण पूछा गया तो पता चला कि हर कर्मचारी के briefcase की तलाशी ली जा रही है । RAW के 35 साल के इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। रक्षा संस्थानों और सेना मुख्यालय में गाहे-बगाहे एक दो महीने के अंतराल पर इस तरह की तलाशी शुरू की जाती।RAW की अगली साप्ताहिक बैठक में प्रमुख श्री सहाय ने स्पष्ट किया कि यह तलाशी किसी एक व्यक्ति के खिलाफ केंद्रित नहीं थी। इसका उद्देश्य की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना मात्र था।
इस तलाशी में संयुक्त सचिव रविंद्र सिंह भी मौजूद थे । और शायद सबसे ज्यादा खफा भी। उनका कहना था की ये बाहर आए वरिष्ठ अधिकारियों से पेश आने का सही ढंग नहीं है। हाल ही में प्रकाशित पुस्तक History of India rAW मे writer ने बताया है की उस दिन रविंद्र सिंह को अपनी driver से हवा लग गई थी कि gate पर सब लोगों के briefcase खुलवा कर देखे जा रहे हैं । जब रविंद्र सिंह का briefcase खुलवाया गया उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं निकला।
रविंद्र सिंह पिछले कई सालों से अमरीकी खुफिया CiA के लिए double agent के तौर पर काम कर रहे थे और भारत की खुफिया सूचनाएं उस तक पहुंचा रहे थे । उनको इस बात का अंदाजा नहीं था कि उन पर RAW की counter intelligence unit पिछले कई महीनों से नजर रखे हुए है।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि सत्तर के दशक से ही CIA भारत सरकार में अपनी पैठ जमाने की कोशिश करती रही है । Thomas hobas ने CIA प्रमुख Richard Hans की जीवनी में साफ साफ इशारा किया कि 1971 में इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में एक CIA का एक agent था।
हाल ही में भारतीय दूतावास में counseller के तौर पर काम करने के दौरान CIA ने रविंदर सिंह को भर्ती किया था। रविंदर सिंह का काम दूसरे विभाग में काम कर रहे junior operations देख रहे रो अधिकारियों से जानकारी निकालने की कोशिश में लगा रहता था । उन्हें या तो अपने कमरे या घर या महंगे होटलों में खाने की दावत पर बह बुलाते। जबसे रविंद्र सिंह को निगरानी में रखा गया RAW के जासूस दूसरे अफसरों से की गई उसकी हर बात को सुन सकते हैं। रविंदर का काम करने का तरीका बहुत साधारण था। वह कई बार अपने दस्तावेजों की photo copy करते हुए पकड़े जाते।
एक दफा उसने अमेरिका में रह रही अपनी बेटी की मंगनी में शामिल होने के लिए अमेरिका जाने की अनुमति मांगी थी। लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया। एक अधिकारी ने जिसका code name KK sharma था , यादव को बताया था कि जनवरी 2004 से अप्रैल 2004 के बीच agency के 55 से अधिक officers ने इस double agent को खुफिया सूचनाएं मुहैया करवाई थी। मेजर जनरल विनय कुमार सिंह से रविंद्र ने इस्लामाबाद की जानकारी , बाद में अमेरिकी mission से intercept की गई जानकारी आदि सभी मांगी। उन पर शक और गहरा हो गया जब उन्होंने इस तरह की और जानकारी की मांगकी ।
भारत से फरार होने से 2 हफ्ते पहले रविंद्र को भनक लग गई थी उन पर नजर रखी जा रही है। जिस रात रविंद्र सिंह नेपाल भागे उनके घर के बाहर दो तरफ की निगरानी रखने वाली team thi। Pehle उनकी पत्नी को घर से बाहर निकलते देखा । उसके बाद उनकी पत्नी एक पारिवारिक मित्र के साथ घर वापस आने के बाद अपने घर चले गए। किसी ने भी रविंद्र और उनकी पत्नी को घर से बाहर निकलते नहीं देखा। अगली सुबह हड़कंप तब मचा जब अचानक घर के अंदर कोई गतिविधि नहीं दिखाई दी। खत देने के बहाने से घर के अंदर घुसा गया तो नौकर ने उन्हें बताया कि साहब और मेम साहब एक शादी में शरीक होने पंजाब चले गए है। RAW के अधिकारियों को बाद में पता चला कि रविंदर और उनकी पत्नी परमिंदर सड़क मार्ग से नेपाल पहुंचे जहां उन्हें भारतीय सीमा के पास नेपालगंज के एक होटल में कमरा लिया और वह से अमरीका रवाना हुए।
ऐसे ही RAW agent की कहानी होने वाली है tiger 3
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Apoorva