Property में नही मिला हिस्सा!
हवा सिंह एक 80 साल के बुज़ुर्ग है, जिनकी आवाज़ कमजोर है, जिसे सुनने के लिए किसी को भी ध्यान से सुनना पड़ता है। लेकिन उनके सामने कोई उनकी दोने बेटियों के साथ, property में अपने हिस्से का दावा करने की वजह से चल रही दो साल की कानूनी लड़ाई का जिक्र करें, तब उनकी आंखों में अचानक आग चमक उठती है और आवाज को जादुई ताकत मिलती है।
“मेरी बेटियों को पूर्वजों की जमीन देने का कोई सवाल ही नहीं है। मैंने इसे अपने भाई के पोते के नाम पर लिख दिया है, ताकि यह हमारे परिवार के पास ही रहे।” हवा सिंह के पास अपने गांव ढकला की पंचायत का साथ भी है और एक जमीन में हिस्सेदारी मांगने की वजह से उसने अपनी दोनो लड़कियों से भी नाता तोड़ लिया है, जिनका अब गांव में स्वागत नहीं है।
हवा सिंह का कहना है कि, “उन्होंने परिवार को शर्मसार किया है और पूरे गांव के सामने मेरी प्रतिष्ठा कम कर दी है”।
हरियाणा के विशाल इलाकों में, विशेष रूप से जहां real estate में उछाल आया है, जमींदार की community महिलाओं को पैतृक संपत्ति(Ancestral property) के अधिकार से वंचित करने के लिए हर हथकंडा अपना रहे हैं। Hindu Succession (Amendment) Act 2005, जिसने हिंदू महिलाओं के संपत्ति (property) के उत्तराधिकार के अधिकारों को मजबूत किया और उन्हें पुरुषों के समान अधिकार दिए, इसके बाद अपने हिस्से की मांग करने वाली महिलाओं को बढने से रोकने के लिए हर तरह की trick का use किया जा रहा है।
कुछ महीनों पहले, हवा सिंह की बेटी ममता ने जिस खेत पर दावा किया था, उसे जोतते समय गांव के करीब 100 आदमी उसे रोकने के लिए इकट्ठा हो गए। ममत के सामने उसके परिवार सहित इतने सारे लोग खिलाफ खडे थे।
इतना ही नही जुलाई में, पंचायत ने ममता को legal case वापस लेने के बदले में कुछ पैसे मिलने से रोकने के लिए मुलाकात की और कहा,”अगर आज ममता को रोकने के लिए वो लोग एकजुट नहीं होते हैं, तो कल को उसे follow करने की और लड़कियों की भी हिम्मत होगी।”
Property में अपने हिस्से का दावा करने वाली बेटी Mamta का family में होना, हरियाणा के ग्रामीण इलाकों में परिवार के नाम पर कलंक के रूप में देखा जाने लगा है। जैसे उसने अपना right claim नही किया, बल्कि उसकी पसंद के एक आदमी के साथ भागने की बात कही हो। ये दोनों बात पंचायतों के लिए अभिशाप इसलिए भी हैं क्योंकि दोनों के बीच एक connection है। गाँव के लोगों के हिसाब से एक लड़की जो अपना पति चुनने के लिए समाज के खिलाफ जा सकती है, वही confidence उसे विरासत में अपने हिस्से का दावा करने में भी लगेगा। तो ये दोनो चीजें ही उनके लिए एक category में आती है।
कैथल जिले के पोलर गांव की देवी ने ठीक वैसा ही किया और हालांकि उन्होंने अपने भाई से दो एकड़ जमीन का हिस्सा जीत लिया है, लेकिन उनका सबसे बड़ा दुख ये है कि उसके परिवार ने उसे सारे संबंध तोड लिए है। देवी का कहना है कि, “यहां तक कि मेरी मां भी अब मुझसे बात करने से इंकार करती है, क्योंकि वह मेरे भाई को support कर रही है। कानून मेरे साथ है, लेकिन मेरे परिवार को लगता है कि मैंने कुछ गलत किया है।”
ममता के पिता ने तब से property को अपने पोते के नाम पर transfer कर दिया है, ताकि वह या उसकी बहन अपने अधिकार का दावा करने के लिए कोई भी कदम उठा ना सकें। दरअसल ज्यादा से ज्यादा परिवार के मुखिया अपनी बेटियों को अपने हिस्से का दावा करने से रोकने के एकमात्र इरादे से अपने जिंदा होते हुए ही अपने बेटे या पोतों को अपनी property transfer कर रहे हैं।
सोचिए यही ममता की कहानी अगर किसी गांव में ना होकर एक बडे घराने की लडकी, बहन- बेटी या बहू के साथ हो रही हो तो? जिसने जब करोड़ों का business संभाला था, तब ये सोचकर नही संभाला था कि एक वक्त ऐसा आएगा जब उसके घरवाले ही उसे उसकी मेहनत से बनाए business में से ऐसे निकाल कर फेंक देंगे, जैसे दूध में से मक्खी। क्योंकी ये सिर्फ एक गाँव वालों की सोच नही, शहर के पढे लिखे लोगों की भी हो सकती है। पर क्योंकी आज की नारी, पडेगी सब पर भारी और ये उन सबको तब समझ आएगी, जब वो नारी उनकी इस race में उतरेगी भी और race जीतेगी भी।
तो क्या आप देखना चाहेंगे एक ऐसी कहानी जिसमें एक लड़की की race होगी या लड़की race में होगी? Comment करके हमें जरूर बताएं!