राजेंद्र सदाशिव निखल्जे। यानी छोटा राजन। मुंबई underworld की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का वह सिक्का, जो कभी खोटा साबित नहीं हुआ था। छोटा राजन का जन्म 13 जनवरी सन् 1960 में मुंबई के चेम्बूर इलाके के तिलक नगर बस्ती में हुआ था।और ये वही समय था जब श्री मति इंदिरा गांधी जी राजनीति में आ चुकी थी और उस time वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष रही थी । राजन के तीन भाई और दो बहनें थीं। पिता एक सामान्य नौकरी करते थे। पढ़ाई में कम ही मन लगता था, इसलिए पांचवीं तक पढ़ने के बाद राजेंद्र सदाशिव ने स्कूल छोड़ दिया। उम्र बढ़ रही थी, राजेंद्र सदाशिव ने छोटे-मोटे रोजगार में हाथ डालना शुरू किया। 10 साल की उम्र में उसकी जिंदगी में बड़ा मोड़ आया। राजेंद्र सदाशिव shankar cinema के बाहर black में टिकटें बेच रहा था। पुलिस ने कालाबाजारी पर शिकंजा कसने के लिए वहां लाठीचार्ज किया। राजेंद्र को गुस्सा आया तो उसने एक कॉन्सटेबल से लाठी छीनी और उसे ही पीटने लगा। पुलिस से राजेंद्र सदाशिव निखल्जे की यह पहली मुठभेड़ थी
इस घटना में कई पुलिसवाले घायल हुए। पुलिस ने राजेंद्र सदाशिव को गिरफ्तार कर लिया। जब तब वह जेल से जमानत पर रिहा हुआ, mumbai में बदमाशों के गई gang उस पर नजर टिकाए बैठे थे। पुलिसवालों से इस तरह उलझना किसी के बस की बात नहीं थी। राजेंद्र का कद महज पांच फुट तीन इंच था। लेकिन उसकी डेयरिंग ने बड़े-बड़े गैंगस्टर्स को हिला दिया था। शुरुआत में छोटी-मोटी बदमाशियां करने के बाद राजेंद्र सदाशिव ने gangster राजन नायर मतलब बड़ा rajan के gang को join कर लिया। अपराध की दुनिया में उसकी entry हो चुकी थी और इसके बाद सन् 1982 में,जिस time air india का पहला बोइंग “गौरीशंकर” mumbai में दुर्घटनाग्रस्त हुआ ,जब भारत का पहला “वैज्ञानिक अभियान” दल अंटार्कटिका पहुँचा था और उसी साल ही बड़ा राजन के दुश्मन पठान भाइयों ने अब्दुल कुंजू की मदद से बड़ा राजन की हत्या कर दी। उसे अदालत के बाहर गोली मार दी गई। अब्दुल कुंजू भी बड़ा राजन का दुश्मन था। बड़ा राजन की मौत के बाद gang का सारा काम अब राजेंद्र सदाशिव निखल्जे के हाथों में था। नाम पड़ा छोटा राजन।
छोटा राजन को बड़ा राजन की मौत का बदला लेना था। छोटा राजन के खौफ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब्दुल कुंजू ने उससे बचने के लिए ही 1983 में ,जब india ने west indies को हराकर “world cup “जीता था ,उस साल में उसने crime branch में जाकर surrender कर दिया। 1984 की जनवरी में छोटा राजन ने कुंजू को मारने की कोशिश की। लेकिन वह घायल होकर भाग निकला। लेकिन 25 अप्रैल 1984 ,जब भारत की पहली महिला president “श्री मति इंदिरा गांधी जीं की कुछ सिखो द्वारा उनकी हत्या कर दी गई थी और उसी साल में कुंजू को फिर से मारने की कोशिश की गई और फायरिंग शुरू कर दी लेकिन कुंजू फिर बच गया।इस घटना के बाद दाऊद ने छोटा राजन को मिलने बुलाया। छोटा राजन को दाऊद की gang में जगह मिल गई। अगली बार वह कुंजू को मारने में भी सफल रहा। क्रिकेट के मैदान में घेरकर कुंजू पर गोलियां बरसाई गईं।दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन की दोस्ती समय के साथ पक्की हो गई रही और दाऊद को अब छोटा राजन पर ही सबसे ज्यादा भरोसा था। लेकिन दाऊद के गैंग में “Chhota Shakeel” भी था। 1987,जब कुछ सिख राष्ट्रवादियो ने भारत से खलिस्तान की freedom की माँग की थी ,जब मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश भारत के 23वे और 24वे राज्य बने थे,उसी दौरान दाऊद ने छोटा राजन को काम संभालने के लिए दुबई भेज दिया। एक साल बाद छोटा शकील भी दुबई पहुंचा।doud और chhota rajan और में दोस्ती ज्यादा पक्की थी। यही बात छोटा शकील को चुभती थी।chhota rajan को अब गिरोह के लोग ‘नाना’ कहने लगे थे।
doud के gang में chhota rajan का बढ़ता कद देख छोटा शकील ने एक टोली बनाई। इसमें sharad shetty और Sunil Ravat शामिल थे और तीनों ने मिलकर doud को chhota rajan के खिलाफ खूब भड़काया। यह भी कहा कि छोटा राजन कभी भी आपकी कुर्सी ले लेगा।1993 mumbai बम धमाके में सबसे काला चेहरा doud और chhota rajan का ही था। chhota rajan बम धमाकों में अपना नाम आने से परेशान था। लेकिन इसी बात का फायदा उठाया chhota shakeel ने और उसने chhota rajan को गद्दार कहना शुरू किया। एक साल के भीतर ही ये दूरियां ऐसी बढ़ीं कि chhota rajan ने doud gang के लिए काम करना बंद कर दिया क्योंकि उसको यह भरोसा हो गया था कि doud उसे खत्म कर देगा। इसलिए उसने कई साल छिपकर बिताए। वह मलेशिया से कंबोडिया, इंडोनेशिया होते हुए बैंकॉक पहुंचा। साल 2000 में छोटा शकील ने छोटा राजन का पता लगा लिया। 14 सितंबर को चार हथियारबंद लोगों ने राजन के अपार्टमेंट पर हमला किया, लेकिन और उस हमले में” don chhota rajan “मारा गया।
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