Sultan 2

अपने 5 decades लंबे करियर के दौरान 5,000 से अधिक मुकाबलों मे undefeated record के साथ,  गामा की महानता वास्तव में पत्थर पर बनी हुई है।

 भारत में सयाजीबाग में बड़ौदा म्यूज़ियम में एक बहुत बडे पत्थर पर लिखा है –

 ‘1,200 किलो वजन का ये पत्थर 23 दिसंबर, 1902 को 22 साल की उम्र में महान गुलाम मोहम्मद, जिन्हें ‘गामा पहलवान’ के नाम से जाना जाता है, ने उठाया था, जिन्होंने इसे अपनी छाती तक उठा लिया और उठाकर काफी दूर तक घूमे।  अपने जीवन में वो undefeated रहे और उन्हें अब तक के सबसे महान पहलवान के रूप में स्वीकार किया जाता है।’

 

22 मई, 1878 को जन्मे गुलाम मोहम्मद बख्श बट, जो बाद में गामा के नाम से जाने गए, पहलवानों के एक कश्मीरी परिवार से थे।  उनका जन्म ब्रिटिश शासन में undivided India के पंजाब के अमृतसर जिले का जब्बोवाल गांव में हुआ था।

अपने family background की वजह से, गामा अखाड़ों और traditional wrestling rings के आसपास ही पले बड़े हुए और बहुत कम उम्र से ही strength training और कुश्ती में interest रखते थे, बिल्कुल अपने परिवार के कई अन्य लोगों की तरह, सब जानते थे कि गुलाम मोहम्मद, special थे।

 

उनके कई incredible कारनामों का पहला लेखा-जोखा 1888 का है, जब गामा ने जोधपुर, राजस्थान में एक स्ट्रॉन्गमैन competition में भाग लिया था।  इस कार्यक्रम में 400 से अधिक पहलवान और मजबूत लोग आए या, जिनमें से कई National renown थे, लेकिन गामा, जो उस समय 10 वर्ष के थे, वो शो के highlight रहे।

 

अपनी कम उम्र के बावजूद, गामा top15 में शामिल थे और अंततः जोधपुर के महाराजा द्वारा उनकी उम्र के कारण उन्हें विजेता घोषित किया गया। Prize amount के साथ, शो ने गामा को दतिया के महाराजा और पटियाला के महाराजा की तरफ से उसकी training का खर्चा भी मिला।

Writer John Little की Book ‘ब्रूस ली: द आर्ट ऑफ एक्सप्रेसिंग द ह्यूमन बॉडी’ के अनुसार, legendary martial artist ब्रूस ली ने बाद में गामा के training methods से प्रेरणा ली और इसके कई पहलुओं को अपनी training में शामिल किया।

 

अपने teenage years में गामा ने भारत में जितने भी पहलवानों से सामना किया, उन सभी को पछाड़ दिया था।  1895 में, उनका सामना रहीम बख्श सुल्तानी वाला से हुआ, जो की कश्मीरी पहलवान थे, जो उस वक्त भारतीय कुश्ती चैंपियन थे।

गामा से ज्यादा experienced और 7 फीट से अधिक लंबे रहीम बक्श, 17 वर्षीय गामा को हराने के लिए clearly ready थे, लेकिन उस teenager ने अपनी नाक और कान से खून बहने के बावजूद, अपने opponent को बराबरी की टक्कर दी।

गामा को अभी तक रुस्तम-ए-हिंद घोषित नहीं किया गया था, लेकिन बख्श के खिलाफ उनके प्रदर्शन के बाद उन्हें खिताब के primary contender के रूप में पहचाना गया था।  1910 तक, गामा ने रहीम बख्श को छोड़कर सभी प्भारतीय पहलवानों को हरा दिया और उनका ध्यान world stage पर चला गया।

 

Gama एक international event में भाग लेने के लिए लंदन गए थे लेकिन उनके छोटे कद के कारण उन्हें entry नही मिली। तो गुस्से में, गामा ने एक खुली चुनौती दी कि वो किसी भी weight class के किसी भी तीन पहलवानों को 30 मिनट में हरा सकता है।  हालांकि, किसी ने भी उसे seriously से नहीं लिया।

 

 लंबे इंतजार के बाद, गामा को आखिरकार famous अमेरिकी पहलवान बेंजामिन रोलर के रूप में एक challenger मिला, जो एक डॉक्टर और एक professional फुटबॉल (अमेरिकी) खिलाड़ी भी थे।  गामा ने रोलर को दो बार पिन किया – पहले round में एक मिनट 40 सेकेंड में और दूसरे मुकाबले में नौ मिनट 10 सेकेंड में।

इस जीत ने गामा को सबकी नजरो में एक legitimate competitor बना दिया, और उन्होंने अगले दिन एक के बाद एक 12 पहलवानों को हराया।

 

 गामा कासबसे बडा challenge पोलैंड के विश्व चैंपियन स्टैनिस्लास ज़बिसको के रूप में आया। मैच में गामा ने 1 मिनट में ही Zbyszko को हरा दिया लेकिन उसने मैच ड्रा करने के लिए लगभग तीन घंटे तक मैट पर अपनी defensive position बनाए रखी।

 

इस performance ने ज़बिसको को कोई भी fans नहीं दिए, लेकिन उसे उन कुछ पहलवानों में से एक बना दिया, जिन्होंने ग्रेट गामा को एक मैच में deadlock में रखा था।  

1910 में, गामा भारत लौट आए और भारतीय चैंपियन के खिताब के लिए फिर से रहीम बख्श सुल्तानी वाला का सामना किया।  रहीम बख्श ने कड़ी टक्कर दी लेकिन घंटों की जद्दोजहद के बाद आखिरकार, गामा ने मुकाबला अपने नाम किया।

 

 कई विश्व चैंपियनों को हराने के बावजूद, गामा ने कहा कि बख्श सबसे कठिन opponent थे, जिनका उन्होंने कुश्ती के मैदान में सामना किया था।

 

फरवरी 1929 में, गामा ने Jesse पीटरसन को हराया, जो उनके करियर की आखिरी रिकॉर्ड की गई लड़ाई थी।  हालांकि उस समय 51 की उम्र में,opponents की कमी होने की वजह से गामा के करियर समाप्त हो गया।  कुश्ती के अखाड़े में कोई उनका सामना नहीं करना चाहता था।

क्योकी The Great Gama, undefeatable fighter बन गए थे।

 

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