Rambo

 

 

Rambo part 1

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Pak ने रची साजिश

1998 में परमाणु बम के सफल परीक्षण के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु संपन्न देश थे, अगर दो परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध होता है तो यह बहुत घातक हो सकता है, इसलिए इस बात को समझते हुए हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री मा. स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी 21 फरवरी 1999 को बस द्वारा दिल्ली से लाहौर के लिए रवाना हुए और 21 फरवरी 1999 को लाहौर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। जब अटल बिहारी वाजपेई लाहौर में बस से उतरे तो बहुत ही गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया गया, पाकिस्तान में. दोनों देशों ने कहा कि अभी तक जो भी हुआ वह हम लोग भुला कर आगे बढ़ेंगे और हम बहुत जल्द बैठकर कश्मीर मुद्दे को भी सॉल्व कर देंगे बिना किसी तीसरे देश के इंटरफेयर के,

अटल बिहारी वाजपेई को 21 तोपों की सलामी दी गई, लेकिन कोई भी हिंदुस्तानी यह नहीं जानता था कि यह जो 21 तोपों की सलामी अटल बिहारी वाजपेई को दी जा रही है ठीक 3 महीने बाद यानी मई में यही तोपे भारतीय सैनिकों के सीने पर गिरेगी।

जब हमारे प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर में थे, उस समय पाकिस्तान के जनरल परवेज मुशर्रफ कह रहे थे कि हम उन्हें सेल्यूट नहीं करेंगे और उन्होंने ऑपरेशन बद्र की योजना बनाई और उसमें कई जनरल थे, लगभग 5,6 जनरल थे, लेकिन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण जनरल परवेज मुशर्रफ के बाद वाले जनरल स्टाफ के प्रमुख अजीज खान और मेजर जनरल जावेद हसन थे, कहा जाता है कि कारगिल युद्ध की पूरी रूपरेखा यानी blueprint जावेद हसन ने तैयार किया था और यही 5,6 लोग कारगिल युद्ध की सबसे बड़ी वजह थे.

यह लोग चाहते थे कि शिमला एग्रीमेंट जो कारगिल पर हुआ था उसका फायदा उठाएं और उस एग्रीमेंट में यह था की कारगिल का टेंपरेचर -40 डिग्री चले जाता है ठंड के मौसम में, तो हम लोग क्या करते थे अक्टूबर के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों अपनी अपनी पोस्ट छोड़ कर वहां से चले जाते थे और फिर मई जून के महीने में वापस आते थे। तो इन लोगों ने योजना बनाई कि भारतीय सेना अक्टूबर में अपनी पोस्ट छोड़ देगी लेकिन हम वहां से नहीं जाएंगे, हम अपनी सेना की इकाई लेकर भारत के कारगिल में बने बंकर के अंदर पहुंचेंगे और यहां से उन्हें हथियार भेजेंगे, यह ऑपरेशन बद्र में चल रहा था।

लेकिन इस युद्ध को कारगिल युद्ध क्यों कहा जाता है, यह सवाल कई लोगों के मन में आता है, तो इसका जवाब आज मैं आपको दे रहा हूं, दरअसल कारगिल जिला पीओके की सीमा समाप्त होने के बाद शुरू होता है, जहां यह युद्ध हुआ था, इसीलिए इससे कारगिल युद्ध कहां जाता है। एक सड़क पीओके की सीमा से श्रीनगर से lek tak जाती है जिसका नाम National Highway

1A है। पाकिस्तान की योजना थी कि हमें इस हाईवे को नष्ट करना है और इसके पीछे पाकिस्तान का मकसद था कि अगर उन्होंने इस नेशनल हाईवे को नष्ट कर दिया तो सियाचिन भारत के हाथ से जाएंगे क्योंकि सीधे वहां पहुंचने का कोई दूसरा रास्ता नहीं था, क्योंकि कारगिल जिले में इतने पहाड़ हैं कि वहां कोई सामान्य सड़क नहीं बन सकती।

ऑपरेशन बद्र से पाकिस्तान जनरल ने सोचा कि अगर हम National Highway को नष्ट कर देते हैं तो भारत बैकफुट पर आ जाएगा जो कि सही भी था।

पाकिस्तान ने भारत में प्रवेश चार ब्लॉक से किया था, क्योंकि कारगिल में 4 ब्लॉक थे और इन ब्लॉकों का नाम मस्को, द्रास, काकसर, बटालिक था और सबसे भीषण युद्ध drass mai हुआ था क्योंकि इसमें टाइगर हिल पॉइंट 5140 शामिल था, इसके बाद तीसरे काकसर क्षेत्र को पाकिस्तान ने बैकअप के लिए इस्तेमाल किया और सबसे आखिरी में बटालिक क्षेत्र था और बटालिक पर हमला करने के पीछे पाकिस्तान की योजना थी कि अगर बटालिक पर कब्जा कर लिया गया तो भारत श्रीनगर नहीं जा पाएगा, तो पाकिस्तान ने इन 4 ब्लॉकों से घुसपैठ की थी, और इस तरह कारगिल युद्ध शुरू हुआ।

अब युद्ध कैसा चला ये मैं आपको नेक्स्ट वीडियो में बताऊंगा

To be continued…

Divanshu

 

 

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