War 2 part 1
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India की सुरक्षा खतरे में
भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आंतरिक सुरक्षा पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लग गया था। अचानक उनकी मौत ने भारत को एक खतरनाक झटका दिया था, जिसके लिए भारत बिल्कुल भी तैयार नहीं था। इस कठिन परिस्थिति में शत्रु देश भारत पर घात लगाकर बैठे थे, एक नया हमला करने के लिए।
नवंबर 1984 में पेरिस के एक कॉफी शॉप में बैठे रॉ एजेंट संजीव जिंदल को इसी बात की चिंता सता रही थी, कुछ दिन पहले ही उनके लंदन दौरे ने उनकी चिंता बढ़ा दी थी उनके परेशानी का कारण था लंदन मैं उनके द्वारा तैनात क्लर्क ली एक कोड name जो raw एजेंसी का मुखबिर था, उसके द्वारा दी गई रिपोर्ट, क्लर्क ली का मुख्य काम था, यूरोप में भारत विरोधी तत्वों, विशेष रूप से अब्दुल खान जैसे पाकिस्तानियों और आतंकवादियों पर नजर रखना और जिंदल को किसी भी साजिश की सूचना देना। .
इस बार जिंदल के पास आई रिपोर्ट के मुताबिक 1984 के मध्य से अब्दुल खान आईएसआई के उच्चाधिकारियों, कुछ आतंकी संगठनों और कुछ स्थानीय भारतीय नेताओं के साथ बैठक पर बैठकें कर रहा था, एक के बाद एक इतनी बैठकें जो लंदन मैं हो रही थी वह चिंता का विषय था और इस बात की पूरी गारंटी थी कि वे भारत पर आतंकवादी हमला करने की योजना बना रहे थे।
इन सब के बीच रॉ मैं लंबे समय से जिन नामों की चर्चा चल रही थी, उनमें से एक नाम बीएन संधू का भी था। पूरी रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद जिंदल दिसंबर 1984 में दिल्ली के लिए रवाना होता है। दिल्ली जाकर जिंदल अपने वरिष्ठ अधिकारी अनुज भारद्वाज से मिलते है। भरद्वाज से मुलाकात के दौरान इंदिरा गांधी की हत्या के बाद से उनके पास मौजूद सभी जानकारियां उन्हें देता है, भारद्वाज का यह भी मानना था कि हो सकता है कि इंदिरा गांधी की मौत से आईएसआई का कोई लेना-देना न हो, लेकिन रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया था कि देश आने वाले दिनों में एक अलग ही स्थिति से गुजर रहा है, इसलिए शायद आईएसआई और आतंकी संगठनों इसका फायदा उठा सकते हैं। दुश्मन की मंशा चाहे जो भी हो लेकिन इस बार रॉ को एक कदम आगे रहना था रॉ के सामने एक सबसे बड़ी समस्या थी संधू और खान के मिशन को यूरोप में फेल कैसे किया जाए, यूरोप में कोड ऑपरेशन या किसी भी तरह की लापरवाही एक बड़ी समस्या पैदा कर सकती है और वह भारत के लिए चिंता का कारण बन सकतीं है, इसका भारत के रिश्तों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता था। ऐसे में रॉ एक कदम आगे रहने की सोच रहा था और किस प्लान से ISI को फेल करने वाला था आइए जानते हैं.
जिंदल ने भारद्वाज को एक ऑपरेशन शुरू करने के लिए कहा। जिंदल का मानना था कि अगर वह सफलतापूर्वक ऑपरेशन शुरू कर देता है तो इसका सीधा असर भारत के दुश्मन पर पड़ेगा और उन्हें यह संदेश जाएगा कि भारत से दुश्मनी उनके लिए महंगा सौदा साबित हो सकती है। लेकिन दूसरी ओर भारद्वाज बिना किसी उचित योजना और ऑथेंटिक रिपोर्ट के किसी भी ऑपरेशन को हरी झंडी नहीं देना चाहते थे और इसके अलावा उन्हें जिंदल के सूत्र क्लर्क ली पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं था। लेकिन जिंदल को अपने सूत्रों पर पूरा भरोसा था और हो भी क्यों न जिंदल को क्लर्क ली से आज तक गलत टिप्स नहीं मिले थे। जिंदल ने भारद्वाज से पूरी रिपोर्ट बनाने के लिए 2 दिन का समय मांगा। दो दिन बाद जिंदल ने भारद्वाज को रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के मुताबिक, संधू कई सालों से गायब था और अब अचानक लंदन में एक के बाद एक बैठकों में उसे खान के साथ देखा गया. Current location के अनुसार, संधू इस्लामाबाद में आईएसआई protection में रह रहा था। Islamabad का नाम सुनते से ही भारद्वाज के कान खड़े हो गए, जिंदल ने तुरंत संधू को पकड़ने का प्रस्ताव दिया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि आईएसआई और उनकी सांठगांठ भारत को नुकसान पहुंचाए।
अब आगे की कहानी में क्या होगा यह मैं आपको नेक्स्ट वीडियो मै बताऊंगा।
To be continued…
Divanshu