Hindu Bhramin और Muslim की love story!
Sajid और Lalitha दोनो अपने आपको lucky मानते थे, क्योकी दोनों की परवरिश ऐसे परिवारो में हुई थी जहां पर धर्म और जात ऐसी चीजो पर ध्यान नही दिया जाता था। लेकिन दोनो का ही ये luck अचानक हवा में गायब हो गया जब बात उनकी शादी पर आई। में
Sajid, एक मुस्लिम परिवार में पैदा हुआ, जो की साउथ अफ्रीकन एयरवेज का कंट्री मैनेजर हैं।
ललिता, एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में पैदा हुई और वो जेट एयरवेज, टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए काम करती थी।
Sajid सबसे पहली बार ललिता से कॉलेज में मिला था। Lalita एक typical south indian लडकी थी , जिसका ध्यान हमेशा किताबो में रहता था। और जो सारे lectures, time से, पूरी इमानदारी के साथ attend करती थी, और साथ में notes भी लिखती थी। Laita class में सबसे पहले आने वाली लडकी होती थी और lecture खत्म होने के बाद सीधा घर लौटने वाली भी सबसे पहली होती थी। एक करह से class में सबसे पहले आना और सबसे पहले जाना, lalita का daily routine था।
दूसरी ओर, Sajid पूरी तरह से उसका opposite, class की बजाय कैंटीन में पाए जाने के ज्यादा chances रहते थे!
इसलिए इन दो opposite personalities की प्रेम कहानी तभी शुरू हुई जब दोनों ने ग्रेजुएशन के बाद एक ही मैनेजमेंट कॉलेज में पढ़ाई की। Sajid हमेशा सोचता था कि वो बहुत सुंदर लड़की है, और इसीलिए वो उसकी पहुँच से बाहर है!
वो एक दूसरे को कॉलेज से जानते थे, इसलिए classes के बाद दोनो काफी समय एक साथ बिताने लगे। हालांकि दोनो को एक दूसरे के साथ रहना पसंद था, लेकिन एक साथ future देखने में झिझक रहे थे। लेकिन ये झिझक उनकी दूर हुई, जब वो पुणे की एक trip पर साथ गए। और वहां उन्हे एहसास हुआ कि वो एक-दूसरे के लिए अपने Affection, Attraction और chemistry को अनदेखा नहीं कर सकते हैं और उनका ये प्यार maturity, logic या common sense की कोई boundaries नहीं जानता है।
लेकिन दिक्कते तब शुरू हुई जब ललिता के हिंदू ब्राह्मण परिवार के लिए एक मुस्लिम के साथ उनकी बेटी को देखना, पाप के बराबर था। और मुस्लिम परिवार के लिए अपने बेटे के साथ एक ब्राह्मण लडकी को देखना, मतलब उनके धर्म की disrespect करना था।
Arguments हुए कि हमारी अलग-अलग खाने की आदतें, धर्म और समाज की राय, सब कुछ तो अलग है। दोनों परिवारों को, खासकर Sajid परिवार के मुखिया- उसके दादाजी को मनाना एक impossible काम लग रहा था।
लेकिन ना तो Sajid ने हार मानी, ना ही Lalita ने। और आखिरकार, आठ साल के बाद जब परिवार की दोनों sides को ये clear हो गया lalita और Sajid एक साथ रहने के अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे, तब जाकर उन्हे शादी करने की permission मिली।
शादी के बाद, दोनों परिवारों की ओर से उनके रिश्ते के लिए acceptance आसान थी और आखिरकार उन्हें पता चला कि अपने बच्चों की खुशी को खुद से पहले रखकर एक-दूसरे को कैसे स्वीकार किया जाए। दोनो परिवार त्योहारों और जन्मदिनों पर एक-दूसरे से मिलने लगे।
ललिता ने हमेशा दोनों धर्मों के त्योहारों को मनाने का tradition बनाया। ईद और दिवाली के लिए, सब उनके हिसाब से traditional कपडे पहनते। और हर त्योहार चाहे मुस्लिम हो या हिंदू उसे उसके traditional तरिके से ही मनाया जाने लगा।
Lalita और Sajid ने उनकी बेटी के लिए decide किया की वो उसे दोनो धर्म के बारे में बताएंगे और फिर वो जो चाहे उस धर्म को अपना सकती है। हालांकि एक बार धार्मिक balance बनाए रखने के लिए, Sajid ने मूर्खतापूर्ण तरीके से जोर देकर कहा कि उनकी बेटी को बिंदी नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि ये उनके धर्म में नहीं है। कुछ साल बाद, जब उनकी बेटी लगभग तीन या चार साल हुई, तो Sajid उसे men’s section में अपने साथ मस्जिद में नहीं ले जा सकता था और वो ladies section में अकेले नहीं जा सकती थी। जब Sajid ने ये बात lalita के साथ कि, तो lalita ने खुद से ही कुछ basic duas याद करली और फिर उन्हें वो उनकी बेटी को सिखाने लगी। उस दिन Sajid को एहसास हुआ कि उनकी शादी प्यार पर बनी थी, जो किसी भी धर्म की शक्ति से कहीं ज्यादा शक्तिशाली थी।
Sajid और lalita का सही मानना है कि एक शादी के लिए प्यार और सम्मान की जरूरत होती है और इस पर धर्म के नाम पर boundaries नहीं बनाई जा सकती है।”
Sajid और Lalita की कहानी से कुछ inspired हमें gadar 2 में भी देखने को मिल सकता है।