Pakistani लडकी से love at first sight!
North India के रामपुर शहर में बड़े होने के नाते, मोहम्मद जावेद ने कभी नहीं सोचा था कि एक पाकिस्तानी रिश्तेदार के लिए उसका प्यार उसकी जिंदगी बदल कर रख देगा।
जावेद, मोबिना से पहली बार 1999 में मिले थे, जब वो अपनी मां को अपने चचेरे भाइयों और चाचाओं से मिलाने कराची ले गए थे, जो 1947 में भारत के partition के बाद पाकिस्तान चले गए थे। लेकिन जावेद की नजरो में तो जैसे कोई magnetic force था, जो उसे बार बार मोबीना की तरफ खींच रहा था। ऐसा हो गया था जैसे पहली बार उसने कोई खुबसुरत लडकी देखी हो। और जब मोबीना का चेहरा उसके दिमाग से निकला ही नही, तो Javed समझ गया था कि उसे कराची की एक लडकी से पहली नजर में ही प्यार हो गया है और javed के लिए खुशी की बात ये थी कि ये प्यार एक तरफा नही था। मोबीना भी जावेद को पसंद कर बैठी थी।
उनकी मुलाकात के एक महीने के अंदर ही दोनों ने एक-दूसरे के लिए अपने प्यार का इजहार कर दिया।
वो एक family wedding में थे, जहां पर और भी young ladies थी। लेकिन मोबीना उन सबको वहां देखकर insecure हो गई।
मोबीना जावेद को एक तरफ लेकर गई और कहा कि उसे किसी अौर लड़की की तरफ नहीं देखना चाहिए क्योंकि वो उससे प्यार करती है।
तो जावेद ने हँसकर उसे कहा कि सिर्फ वही नही है, जो प्यार करती है। उसे तो मोबीना से पहली नजर में ही प्यार हो गया था।
जावेद के कराची में बिताए साढ़े तीन महीनों के दौरान उनका प्यार और गहरा हो गया।
मोबीना सुबह अपने परिवार को यह कहकर घर से निकल जाती थी कि वह कॉलेज जा रही है और जावेद उससे कॉलेज के गेट के बाहर मिलता था और फिर वो पार्क में घूमते थे।
जावेद ने भारत लौटने पर, अपने टेलीविजन मैकेनिक के काम से जितना भी पैसा मिलता था, वो सब मोबिना को कॉल करने में खर्च कर दिया।
तब cell phones नहीं आए थे। इसलिए जावेद एक टेलीफोन बूथ पर जाता था और उसे फोन करता था। पर उसे यह बहुत महंगा पडता था। मोबिना से बात करने के लिए उसे हर मिनट के 62 रुपये देने पड़ते थे।
एक साल बाद, javed फिर से कराची दो महीनों के लिए गया। अब तक, उनके परिवारों को उनके relationship के बारे में पता चल गया था और किसी को भी उनके मिलने से कोई दिक्कत नहीं थी। बस एक problem थी कि मोबिना का परिवार चाहता था कि जावेद पाकिस्तान चला आए, और जावेद और उसका परिवार चाहता था कि वह भारत ही रहे।
लेकिन मोबीना ने जावेद का साथ देते हुए जावेद को भारत जाने तो कहा और कहा कि वो अपने परिवार को मना लेगी। तब जावेद वापस आएगा और उसे अपने साथ लेकर जाएगा।
पर जावेद को कहा पता था कि वो कभी वापस नहीं आ पाएगा। अगले दो सालो में, जावेद regularly मोबिना को फोन करता था और उन्होंने एक दूसरे को love letters भी लिखे।
जब जावेद को पहला letter मिला, तो एक problem हुई। क्योंकी जावेद को उर्दू पढ़नी नही आती थी,और मोबीना उर्दू में ही letter लिखती थी। इसलिए जावेद ने अपने दोस्तों की मदद ली। एक दोस्त मकसूद ने letters पढ़े और दुसरे ताज मोहम्मद ने letters को हिंदी में translate किया और लिखा ताकि जावेद उन्हें पढ़ सकें।
मोबीना का letter 10 पन्नों का था, तो जावेद ने उसे 12 पन्नों का letter लिखा था, जिसे लिखने में उसे पूरे 12 दिन लगे। और फिर एक दिन ऐसा आया कि अचानक सब कुछ बदल गया।
10 अगस्त 2002 का दिन था। वह शनिवार का दिन था। जावेद अपनी दुकान में था, जब एक आदमी आया और उसे अपने साथ चलने और उसका टेलीविजन ठीक करने के लिए कहने लगा। जावेद ने उससे कहा कि वो घरो में नही जाता। उन्हें TV दुकान पर लाना पडेगा। लेकिन वो जब नही माना, तो जावेद जाने के लिए तैयार हो गया।
जैसे ही वो दुकान से कुछ मीटर दूर चले, एक कार रुकी और उसको kidnap कर लिया गया।
शुरू में जावेद को लगा कि kidnappers कोई criminals हैं, लेकिन फिर उनकी बातों से पता चला कि वो लोग पुलिस officers थे।
तो क्यों जावेद को पकडा पुलिस वालों ने?
और अगर पकडना ही था तो एक normal criminal को जैसे पकडते है वैसे क्यों नही?
पुलिस ने जावेद को kidnap क्यों किया होगा?
इन सब सवालों के जवाब अापको मिलेंगे अगले blog में।