क्या Javed बना pakistan का spy?
Javed, भारत से जो कराची गया तो अपने चचेरे भाईयो से मिलने था, लेकिन अपना दिल वही छोड आया था। मोबीना कराची की रहने वाली लडकी थी, जिसनें javed का दिल चुराया था। सब कुछ सही था लेकिन तभी अचानक javed की kidnapping ने सब कुछ बदल दिया।
Javed को उसकी TV repairing shop से दो पुलिस वालो ने kidnap किया।
उन्होंने उसका पर्स, घड़ी और बाकी की भी चीजें ले लीं। जावेद के पास मोबीना के दो letters थे, उन्हें भी ले लिया गया।
जब जावेद ने चिल्लाने और लडाई करने की कोशिश की तो उन्होने उसके परिवार को भी kidnap करने और यबको गोली मारने की धमकी दी।
अपने परिवार का नाम सुनकर जावेद की आंखो में आंसू आ गए और वो उन्हे कुछ भी नही करने की भीख मानने लगा।
थोड़ी देर बाद, उन्होंने उसकी आंखों पर पट्टी बांध दी और जब उन्होंने उसे उतारा, तो जावेद ने खुद को एक कमरे में पाया, जहां पर उसे अगले तीन दिनों तक torture किया गया।
और फिर जावेद पर पाकिस्तान की ISI Intelligence Agency का “एक एजेंट” होने का आरोप लगाया गया ,और उनके kidnappers ने दावा किया कि वो इस्लामाबाद को ministry of external affairs और defence ministry के बारे में secrets बता रहा है।
तीन दिन बाद, वे उसे वापस रामपुर ले आए और उसके तीन दोस्तों- मकसूद, ताज मोहम्मद और मुमताज मियां को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
अगले दिन, चारों को अदालत में पेश किया गया और Journalist के सामने “खूंखार आतंकवादी”, जो “भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ रहे थे”, का नाम दिया गया।
Officers ने कहा कि जावेद की पाकिस्तान की दो trips उसके ISI contacts से मिलने के लिए थीं और कराची की उसकी calls से साबित होता है कि वो secrets leak कर रहा था।
और डेढ़ महीने बाद, उन पर India’s controversial special anti- terror law के The prevention of Terrorism act के तहत आरोप लगाए गए।
जिसका मतलब था कि उन्हे जमानत नहीं मिल सकती थी।
जावेद का कहना है कि उन्हें नहीं पता कि उन्हें क्यों चुना गया। लेकिन जेल में, लोगों ने कहा कि ये कारगिल conflict के कारण था और लड़ाई के तुरंत बाद पाकिस्तान जाने वाला कोई भी मुसलमान एक Suspect था।
जावेद के लिए जेल जीवन का सबसे कठिन हिस्सा तब था, जब कोई family wedding होती थी या जब उनके पिता के पैर में फ्रैक्चर हो गया था और वह उनसे मिलने नहीं जा सके थे।
जेल में, उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त भी खो दिए – मकसूद, ताज मोहम्मद और मुमताज मियां ने पुलिस को अपना नाम देने के लिए उसे दोषी ठहराया।
जावेद का कहना है कि सिर्फ उसके प्यार की याद थी, जिसने उसे लंबे समय तक जेल में रखा।
Javed अपने साथी कैदियों को मोबिना के बारे में बताता था कि वो कैसे प्यार में पड़ गए, उसकी आदतें, कैसे जब वो उससे मिलने जाता तो वो जावेद को चिढ़ाती थी। इससे जेल में उसका वक्त थोडी आसानी से कटने लगा।
जावेद की मां अफसाना बेगम ने अपने बेटे की बदकिस्मती के लिए खुद को जिम्मेदार ठहराया।
उनका मानना था कि अगर वो जावेद से कराची में अपने रिश्तेदारों से मिलने जाने की जिद न करती, तो शायद ये सब ना होता।
उनके पिता ने अपने बेटे के साथ हुई नाइंसाफ़ी से लड़ने के लिए वकीलों को appoint करने के लिए अपनी जमीन और family jewellery बेच दी और भारी कर्ज जमा कर लिया।
और आखिरकार जावेद को 19 जनवरी 2014 को जेल से रिहा कर दिया गया, जिसके एक दिन बाद अदालत ने उसके खिलाफ सभी आरोप खारिज कर दिए गए।
जावेद जब जेल से बाहर आया, तो कुछ समय के लिए विश्वास करना मुश्किल था कि वो वास्तव में कैद से बाहर था। लेकिन उसके पूरे जीवन का सबसे important time था,पूरे 20 साल, उससे छीन गए थे।
जेल से बाहर आने के बाद पिछले दो सालो में, जावेद अपने जीवन को थोड़ा-थोड़ा करके फिर से बनाने की कोशिश कर रहा हैं। उसने अपने घर के पास एक दुकान ली है, जहाँ वह पुराने टीवी सेट की मरम्मत करता है, लेकिन वह इस बात से नाराज़ है कि उसका जीवन बर्बाद करने वाले लोगों के लिए कोई सज़ा नहीं है।
जावेद ने जेल से आने के बाद फिर कभी मोबीना को contact नही किया, क्योकी बहुत समय बीत चुका था, और जावेद को लगता है कि शायद उसकी शादी हो गई होगी।
जावेद मोबीना को अपने सिर से निकालने में तो कामयाब रहा, लेकिन उसके दिल से नहीं। वो अभी भी उससे प्यार करता है, लेकिन उसे फोन करने से डरता है। क्योकी जो एक बार हुआ, वो दोबारा भी हो सकता है। और मोबीना को इस सबका हिस्सा नही बनाना चाहता।