Train से हुई Sandalwood smuggling?
आंध्र प्रदेश से दिल्ली तक लाल चंदन की Smuggling, train से करने वाली Gang के एक Member को रेलवे पुलिस ने delhi में गिरफ्तार किया है।
3 फरवरी को दोपहर करीब 2 बजे Delhi Railway पुलिस रोजाना की तरह आस पास नजर रखने के लिए patrolling कर रही थी, तब एक पुलिस टीम ने गेट नंबर 1, पहाड़गंज की तरफ, एक आदमी को notice किया। उसने नीले रंग का ट्रॉली बैग ले रखा था, लेकिन दिस तरह से वो बार बार वहां चक्कर लगा रहा था, वो पुलिस को काफी suspicious लगा। पुलिस ने उससे पूछताछ की, लेकिन वो बात को टालमटोल करता रहा। पुलिस ने उससे उसके बैग के बारे में पुछा तो भी वो बीत को घुमाने लगा।
अगर पुलिस को पहले थोडा शक था, तो वो अब पक्ता हो गया था।
उनके बैग की जांच की गई और एक लाल रंग की लकडी के लट्ठे मिले।
बरामद लकड़ी की पहचान के लिए district forest range officer को बुलाया गया, जिन्होंने बरामद लकड़ी की पहचान की और बताया की वो लाल चंदन की लकडी है।
वह चंदन की लकड़ी को विशाखापत्तनम से दिल्ली लाकर, अपनी बाकी की gang के साथ इसे Delhi में बेचने के लिए ले जा रहा था।
पूछताछ में, आरिफ ने खुलासा किया कि वो अपने साथियों के साथ विशाखापत्तनम से दिल्ली में लाल लकड़ी की smuggling कर रहा था और दिल्ली में चंदन बेचने वाले एक gang को supply कर रहा था। उन्होंने लाल चंदन की लकड़ी को ट्रॉली बैग के अंदर छुपाकर ही अब तक यहां smuggling की है। और इस बार उसने लाल लकड़ी की smuggling के लिए AP एक्सप्रेस यानी Andhra Pradesh express पकडी थी।
पूरी Gang को पकडने के लिए दिल्ली और बाकी के राज्यों में अलग अलग जगहो पर छापेमारी करने और इस रैकेट में शामिल सब लोगों को पकड़ने के लिए कई टीमे बनाई गई।
लाल चंदन या लाल सैंडर्स, Saunders wood और ruby red, एक highly regulated लकड़ी है, जो लाल रंग की होती है और जिसमें medicinal गुण भी होते हैं। जिसकी वजह से national और international बाजारों में लाल लकड़ी की भारी मांग है। ये पेड़ केवल आंध्र प्रदेश के चार जिलों- नेल्लोर, कुरनूल, चित्तूर, तमिलनाडु की सीमा से लगे कडप्पा में फैली शेषचलम पहाड़ियों में उगते हैं।
Underground Market में इसकी भारी मांग के कारण लाल चंदन के पेड़ों की ज्यादातर smuggling की जाती है और उन्हें बहुत ज्यादा कीमत पर बेचा जाता है।
Smuggling के process में Smugglers पहले तो पेडो के बारो मे पता लगाने और उन्हे काटने के लिए labour hire करते है।
उन्हें market price के basis पर 20 रुपये से 40 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच payment करते हैं। इसलिए, जहां smugglers हर एक टन में लाखों कमाते हैं, आंध्र प्रदेश के चित्तूर, कडप्पा, नेल्लोर और कुरनूल जिलों के rural areas में रहने वाले मजदूरो को पेड़ों को काटने के लिए प्रति टन 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक की payment की जाती है।
फिर कटी हुई लकडियो को transport करने से पहले खेतो में छिपा दिया जाता है।
Local पुलिस की मिलीभगत से आंध्र और तमिलनाडु के बीच borders से लाल सैंडर लॉग की Smuggling की जाती है। एक senior police officer ने कहा, smugglers कम मात्रा में लाल चंदन की smuggling करने के लिए cars का भी इस्तेमाल करते हैं और उन्हें अपने गोदामों या खेतो में जमा करते हैं।
कांचीपुरम जिले के ओरगदम से लेकर चेन्नई के रोयापुरम तक फैला industrial area, smuggling network के लिए best possible cover बनता है। इन Areas में बड़े container yards और गोदामों का use, smugglers लाल चंदन को store और लोड करने के लिए करते है।
Smugglers ने कंटेनर मूवमेंट मॉनिटरिंग में के perfect system के loopholes को manipulate करने के रास्ते खोज रखे है।
Smugglers फैक्ट्री-स्टफिंग का फायदा उठाते हैं, जहां export के लिए कंटेनरों को custom officials loading source के लिए verify करते है और फिर उसे सील कर दिया जाता है।
Verification के बाद एक बार जब कंटेनर लॉक को सील कर दिया जाता है, तो कंटेनर को उसके source से चेन्नई port तक ले जाया जाता है, जो अक्सर शहर के बाहरी इलाके में होता है।
और smugglers इस दूरी में हेरफेर करते हैं। कंटेनर को रास्ते में एक बड़े कंटेनर यार्ड में मोड़ देते हैं। इसके बाद वे सीलबंद ताले को छेड़े बिना कंटेनर के लॉक रॉड को दोनों सिरों पर काटते हैं और कंटेनर को लाल चंदन से भरने के लिए खोलते हैं। लकडी original export consignment के नीचे छिपी होती हैं, और कंटेनर लॉक रॉड को गड़बड़ी के traces को दूर करने के लिए फिर से weld करके paint कर दिया जाता है।
कंटेनर फिर port के लिए आगे बढ़ता है।
Sandlewood Smuggling के process को कुछ part तो हम pushpa में देख ही चुके है। और अब pushpa 2 मे, जाहिर है pushpa को और नई strategies के साथ आना होगा।