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राम ravan युद्ध

लंका कांड जिसे युद्ध कांड के नाम से भी जाना जाता है, भगवान राम की सेना और रावण की सेना के बीच युद्ध को दर्शाता है

जब भगवान राम को हनुमान से अपनी पत्नी माता सीता की सूचना मिलती है, तब भगवान राम और लक्ष्मण अपने साथियों के साथ दक्षिणी समुद्र के तट पर पहुँचते हैं। भगवान राम रावण के बेदी भाई विभीषण से मिलते हैं जो भगवान राम को रावण और लंका के बारे में पूरी जानकारी देते हैं। नल और नील नाम के दो वानरो की मदद से पूरी वानर सेना समुद्र पार करने के लिए राम सेतु का निर्माण करती है। ताकि भगवान राम और उनकी वानर सेना लंका तक पहुंच सके, लंका पहुंचने के बाद, भगवान राम और लंकापति रावण का भीषण युद्ध होता है जिसमें भगवान राम रावण का वध कर देते हैं, इसके बाद प्रभु राम ने विभीषण को लंका का सिंहासन दिया, भगवान राम माता सीता से मिलने पर उन्हें अपनी पवित्रता सिद्ध करने के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरने को कहते हैं क्योंकि प्रभु राम माता सीता की पवित्रता के लिए फैली अफवाहों को गलत साबित करना चाहते हैं। जब माता सीता अग्नि में प्रवेश करती हैं तो उन्हें कोई नुकसान नहीं होता है। अब भगवान राम माता सीता और लक्ष्मण वनवास की अवधि समाप्त कर अयोध्या लौट जाते हैं। अयोध्या में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ भगवान राम का राज्याभिषेक होता है। इस तरह से रामराज्य की शुरुआत होती है।

अब बढ़ते है उत्तर कांड की तरफ दोस्तों उत्तरकांड महर्षि वाल्मीकि की वास्तविक कहानी का अंश माना जाता है। इस कांड में भगवान राम के राजा बनने के बाद भगवान राम अपनी पत्नी माता सीता के साथ सुखद जीवन व्यतीत करते हैं। कुछ समय के बाद माता सीता गर्भवती हो जाती हैं। जब अयोध्या के वासियों को माता सीता की अग्नि परीक्षा की खबर मिलती है, तो आम जनता और प्रजा के दबाव में आकर भगवान राम अपनी पत्नी माता सीता को वन भेज देते हैं। वन मैं महर्षि वाल्मीकि माता सीता को अपने आश्रम में आश्रय देते हैं और वहीं पर माता सीता भगवान राम के दो जुड़वा पुत्र लव और कुश को जन्म देती है। लव और कुश महर्षि वाल्मीकि के शिष्य बन जाते हैं और उनसे शिक्षा ग्रहण करते हैं। महर्षि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की लव कुश को इसका ज्ञान दिया, बाद में भगवान राम अश्वमेध यज्ञ का आयोजन करते हैं जिसमें महर्षि बाल्मीकि लव कुश के साथ जाते हैं। भगवान राम और उनकी जनता के समक्ष लव और कुश महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण का गायन करते हैं। गायन करते हुए लव कुश माता सीता को वनवास दिए जाने की खबर सुनाते है। भगवान राम बहुत दुखी होते हैं उसी समय भगवान राम को माता सीता लव कुश के बारे में बताती है। भगवान राम को ज्ञात होता है कि लव-कुश उनके पुत्र हैं और फिर माता सीता धरती मां की गोद में समा जाती हैं। धरती के फटने पर माता सीता धरती की गोद में चाली जाती है। कुछ वर्षों के बाद देवदूत आकर भगवान राम को सूचना देते हैं कि उनके राम अवतार का प्रयोजन पूरा हो गया है। उनका यह जीवन काल भी खत्म हो चुका है, तब भगवान राम अपने सभी सगे संबंधी और गुरुजनों का आशीर्वाद लेकर सरयू नदी में प्रवेश करते हैं और वहीं से अपने वास्तविक विष्णु रूप धारण कर अपने धाम को चले जाते हैं।

तो यह थी रामायण की पूरी कहानी।

Divanshu

 

 

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