Drishyam 3
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Junko को मिला निया?
4 जनवरी 1989 को junko की मौत होने के बाद, अगले दिन जब वह चारों दरिंदे याकूजा गैंग के साथ घूम रहे थे, तो मिनाटो का भाई जो घर पर ही था और उसको भी junko के बारे में सब पता था उसने कॉल करके चारों को बताया कि junko कल से वैसे ही पड़ी हुई है और लगता है कि शायद वह मर गई। यह खबर सुनते ही वह चारों भाग्य भाग्य मिनाटो के घर पहुंचते हैं और फिर चेक करने पर पता चलता कि junko की मौत हो चुकी है। उसके बाद वह चारों मिलकर junko की लाश को ठिकाने लगाने का प्लान बनाते हैं, फिर वह चारों मिलकर बॉडी को दो कंबल में लपेट ते हैं और फिर बड़े से बैग में रखकर उसके चारों तरफ टेप लगा देते हैं, इसके बाद वह एक बड़ा सा 55 गैलन का तेल का खाली ड्रम लाते हैं और उस बैक को जिसमें junko की लाश थी उसे उसी ड्रम में डाल देते हैं उसके बाद वह उस ड्रम को कंक्रीट और सीमेंट के गीले मसाले से भर देते हैं। रात 8:00 बजे के करीब वह उस ड्रम को एक ट्रक में लोड करते हैं और उस ड्रम को लेकर koto टोक्यो की तरफ चल देते हैं, koto जो है वह जापान में एक समुद्री इलाका है और उनका प्लेन यह था कि वह उस ड्रम को समुंद्र में डाल देंगे मगर समुंद्र के करीब पहुंचने से थोड़ा पहले ही उन्हें एक और खाली जगह दिख गई, तो वह उस ड्रम को वहीं फेक कर चले जाते हैं और इसके आगे की कहानी आपको पता ही है। जब junko furuta की यह कहानी पुलिस के सामने आई तो पूरा पुलिस डिपार्टमेंट लील जाता है उन्हें भी यकीन नहीं हो रहा था कि कोई इंसान ऐसा कैसे कर सकता है। हिरोशी मियानो और जो jo Ogura कि इस गवाही के बाद इनके बाकी के दोनों साथी नोबहारो मिनाटो और yasushi Watanabe को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है, मगर यहां अफसोस जनक बात यह थी कि यह चारों ही नाबालिग थे, तो पुलिस इनकी पहचान दुनिया वालों के सामने नहीं रख सकती थी और ना ही इन्हें मैक्सिमम सजा और फांसी दी जा सकती थी।
इसीलिए इन्हें जब कोर्ट में पेश किया गया तो इन्हें इनके असली नाम से नहीं बल्कि A, B, C और D के नाम से पेश किया गया और क्योंकि junko furuta की जो बॉडी थी वह एक ड्रम में मिली थी जो सीमेंट और कंक्रीट मे जमी हुई थी, इसीलिए इस केस को जो नाम दिया गया वह था “concrete-encased high school girl murder case” मगर जब junko furuta की यह कहानी सुकांत गुमसुम मैक्सिम के पत्रकार ने सुनी तो उन्होंने सीधे इन चारों का नाम अपनी मैक्सिम के फ्रंट पेज पर छाप दिया और कहा कि इन चारों दरिंदों ने जो भी junko के साथ किया है वह किसी हैवानियत से कम नहीं था इसलिए इन्हें कोई भी ह्यूमन राइट का अधिकार नहीं है। चाहे फिर हमारा कानून कुछ भी कह रहा हो और यह बात सही भी है ऐसे क्राइम के बाद कभी भी age नहीं देखनी चाहिए, ऐसे क्राइम की एक ही सजा हो सकती है और वह है फांसी। लेकिन जो उन चारों दरिंदों ने किया उनके लिए तो फांसी भी कम है। इसके बाद जब यह कहानी पूरे जापान और पूरी दुनिया के सामने आई तो सभी दंग रह गए। कहानी ही ऐसी थी कि जिसने भी सुना वह रो पड़ा। Junko furuta की यह कहानी junko की मां ने सुनी तो उनकी दिमागी हालत बिगड़ गई और उन्हें psychiatrist का सहारा लेना पड़ा। junko की बॉडी मिलने के 3 दिन बाद 2 अप्रैल 1989 को उसकी अंतिम यात्रा निकाली गई, junko जिस स्कूल में पढ़ती थी उस स्कूल के प्रिंसिपल ने उस दिन junko के graduation ना complete करने के बावजूद भी उसके मां-बाप को junko के ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिए और उसे ग्रेजुएशन से नावासा।
जिस electronic shop मैं junko ग्रेजुएशन के बाद काम करने वाली थी, उस शॉप के ओनर ने junko को वह यूनिफार्म भेंट करी जिसे पहनकर junko उस शॉप पर काम करती। उस यूनिफॉर्म को बाद में junko के ताबूत में ही रख दिया गया। अगर junko के साथ यह सब नहीं हुआ होता तो शायद अगला दिन यानी 3 अप्रैल 1989 उसकी जॉब का पहला दिन होता मगर अफसोस उन दरिंदों की वजह से ऐसा हो ना सका। जुलाई 1990 को टोक्यो की लोअर कोर्ट ने हिरोशी मियानो जो कि इस क्राइम का लीडर था उसे 17 साल की सजा सुनाई और बाकी तीनों जो jo Ogura, nobuharu Minato, aur yasushi Watanabe को 6 साल की सजा सुनाई। उसके बाद उन्होंने इस फैसले को टोक्यो की हाई कोर्ट में चैलेंज किया। पर टोक्यो हाई कोर्ट के जज ryuji yanase ने hiroshi miyano की सजा को 3 साल बढ़ाकर 20 साल कर दिया, और बाकी तीनों की सजा भी 6 साल से बढ़ाकर 9 साल कर दीया। उन्होंने अपने फैसले में यह भी कहा कि इस पूरी दुनिया में ऐसा कोई भी शब्द नहीं है जो junko furuta के इस दर्द को बयां कर सके, बाद में उन दो पुलिस वालों को उनकी लापरवाही के लिए सस्पेंड कर दिया गया, जो मिनाटो के घर तक तो पहुंचे लेकिन बिना घर की तलाशी लिए वापस आ गए।
मगर वाकई में जिस दरिंदगी के साथ सिर्फ 17 साल की लड़की को नोचा और घसीटा गया, उससे पूरी इंसानियत शर्मसार हो गई।
ना मालूम junko furuta ने वह नरक से भी बत्तर वो 40 दिन उन दरिंदों के बीच कैसे बिताए होंगे। बाद में junko के ऊपर कई किताबें लिखी गई, उसके ऊपर गाने और फिल्मी भी बनाई गई। koto जापान में जिस जगह पर junko की बॉडी मिली थी वहां पर एक मेमोरियल बनाया गया और उस पूरी जगह को एक वकाज़ो नाम के पार्क में तब्दील कर दिया गया। आप आज भी अगर जापान जाए तो उस पाक को देख सकते हैं, तो यह थी junko furuta की दर्दनाक कहानी।
लेकिन हमारे कानून में बदलाव की सख्त जरूरत है, क्योंकि ऐसे क्राइम में कभी भी age नहीं देखनी चाहिए, निर्भया के केस में भी एक नाबालिक होने की वजह से maximum सजा से बच गया, तो अगर हम चाहते हैं कि junko aur निर्भया जैसा किसी और लड़की के साथ न हो तो हमें कानून में सकती से बदलाव करने पड़ेंगे ताकि आइंदा ऐसा किसी लड़की के साथ ना हो। जय हिंद जय भारत।
Divanshu