Fake paintings का scam!
Tom Keatings ने Famous Artists रेम्ब्रांट (Rembrandt) और Samuel Palmer को मिलाकर 100 से भी ज्यादा different artists की बनाई हुई paintings की fake copy बनाकर Scam किया था। Keating ने 2,000 से ज्यादा paintings को नकली बनाने का दावा किया था।
Keating का जन्म Lewisham, London में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता एक house painter के रूप में काम करते थे, और मुश्किल से ही घर का पेट भर पाते थे।
चौदह साल की उम्र में, Keating को लंदन के St. Dunstan Collage से वापस लौटा दिया गया था। और क्योंकि उनके पिता मुश्किल से गुज़ारा करते थे, कीटिंग ने कम उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था।
House Painter के रूप में family business के लिए काम करना शुरू करने से पहले उन्होंने एक delivery boy, Lift boy और एक bell boy के रूप में काम किया।
उसके बाद उन्हें Second World War में Boiler-stoker, के रूप में enlisted किया गया। और second world war के बाद, keating का London University के Goldsmith Collage में Art programme में Admission हुआ। हालाँकि, वहां से भी उन्हें डिप्लोमा नहीं मिला, क्योंकि उन्होंने केवल दो साल बाद ही पढ़ाई छोड़ दी थी। Keating के कॉलेज classes में, उनकी Painting technique की तारिफ की जाती थी, जबकि उनकी Paintings में originality की कमी मानी जाती थी। गोल्डस्मिथ्स कॉलेज में Keating के दो सालों के दौरान, उन्होंने Art restorers के लिए side jobs में काम किया।
उन्होंने London के fashionable district Mayfair में Hahn Brothers के लिए भी काम किया। इन jobs से सीखी गई skills का use करते हुए, उन्होंने पेंटिंग्स को restore करना शुरू कर दिया, हालांकि उन्हें गुज़ारा करने के लिए हाउस-पेंटर के रूप में भी काम करना पड़ता था।
Keating ने अपनी खुद की paintings का exhibition किया, लेकिन Art Market में वो अपनी पहुँच नही बनी सके। इसलिए खुद को अपने Idol artists की तरह अच्छा साबित करने के लिए keating ने उनकी style में पेंटिंग शुरू की, खासकर Samuel Palmer की style में!
Keating के करियर में forgery की शुरूआत तब हुई जब रॉबर्ट्स की workshop में कीटिंग ने फ्रैंक मॉस बेनेट (Frank Moss Bennett) की बनाई गई एक पेंटिंग को criticise किया था।
Robert, keating के criticism से offend हो गया और उसने Keating को Bennett की पेंटिंग्स में से कोई एक को recreate करने का challenge दिया।
सबसे पहले तो Keating ने Bennett की painting की बिल्कुल same copy बनाईं, लेकिन फिर उन्हें लगा कि वो इससे भी better बना सकते हैं।
Keating को उस वक्त ऐसा feel हुआ जैसे कि वो bennett के बारे में इतना जान गया था कि वो अपनी खुद की paintings बनानी शुरू कर सकता था और उन्हें bennett की paintings के रूप में पेश कर सकता था।
Keating ने अपना खुद की Bennett की paitings जैसी paintings बनाई। उसे इस पर इतना गर्व था, कि उसने उन पर अपने नाम से signature भी किए। जब रॉबर्ट्स ने painting देखी तो उसने कीटिंग से confirm किए बिना ही signature को F. M. Bennett में बदल दिया और इसे West End gallary में भेज दिया। और इसबात का पता keating को बाद में पता चला, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा।
Keating को Gallary system बहुत ही खराब और dominated लगता था, क्योकी Americans, critics और dealers के साथ मिलकर अक्सर भोले-भाले collectors और poor artists दोनों की कीमत पर अपनी जेबें भरने के लिए चालाकी करते हैं। Keating ने सिस्टम को destabilize करने की उम्मीद में, Art experts को मूर्ख बनाने के लिए forgery create करके जवाबी कार्रवाई की थी। कीटिंग खुद को Socialist मानते थे और अपने हर काम को rationalize करने के लिए उसी mentality का इस्तेमाल करते थे।
उन्होने अपने products में time bombs लगाए हैं। और उन्होंने अपने fellow art restorer और conservators को खोजने के लिए Paintings के true nature के clues भी छोड़े।
उदाहरण के लिए, वो पेंटिंग शुरू करने से पहले canvas पर white से text लिखते थे, ये जानते हुए कि एक्स-रे बाद से वो texts reveal हो जाएंगे। उन्होंने जानबूझकर paintings में गलतियाँ की और 20th century के material का इस्तेमाल किया।
जबकी forgerer अपनी नकली paintings की पहचान होने से बचाने के लिए पुराने material का ही use करते थे, जिस वक्त की वो असली paiting थी।
British Art restorer और forger, Keating ने declare किया कि उनकी नकल financial benefits के बजाय उनकी socialist politics से motivated थी। उन्होंने अपनी किताब The Fake Progress में लिखा है कि, ये बात मेरे लिए Shameful है कि कितने Artists गरीबी में मर गए।। उन Artists का सारा जीवन, बेईमान dealers के हाथो exploitation में निकल गया और फिर, जैसे कि उनकी memory की disrespect करने के लिए, वही डीलर मौत के बाद भी उनका शोषण करते रहे थे।
उनकी नजर में, ये forged paintings का scam, Fake gallary system पर हमला था, जिसका goal experts को बेवकूफ बनाना और industry को तोड़ना था।
Keatings का बडे बडे Famous artist के नाम पर नकली paitings को बेचने का काम बिल्कुल सही चल रहा था। लेकिन 1970 में, Auctioneers ने देखा कि बिक्री के लिए Samuel Palmer की 13 watercolour paintings मौजूद थी। और सारी paitings एक ही theme, Shoreham के Kent गांव को present कर रही थी।
गेराल्डिन नॉर्मन (Geraldine Norman), The times of London के salesroom Correspondent ने 13 Plamer watercolours कि जांच की, और उन्हें एक specialist Geoffrey Grigson (जेफ्री ग्रिग्सन) के पास Scientifically test करने के लिए भेजा।
Deeply inspection के बाद, Norman ने 1976 की गर्मीयो के दिनो में एक Article publish किया ऐर उसमें लिखा कि ये Palmer paintings fake है। Article release होने पर नॉर्मन को कई जगहो से tips भी मिली की इस forgery के पिछे कौन हो सकता है, लेकिन last में सच का पर्दाफाश हुआ जब Jane Kelly के भाई ने नॉर्मन के साथ मुलाकात की और उसे keating के बारे में सब कुछ बताया।
Jane Kelly, Keating की इस forgery scam में partner थी, जो नकली paintings को high price पर बेचने में keating की मदद किया करती थी।
इसके तुरंत बाद, Norman उस घर में चली गई, जिसका Address Kellt के भाई ने उसे बताया था। और तब जाकर keating और Norman की मुलाकात हुई।
कीटिंग ने Norman का स्वागत किया और उसे अपनी जिंदगी के बारे में, एक restorer और Artist के रूप में बताया, लेकिन अपने जिंदगी का Forgery करने वाले part के बारे में कुछ नही बताया।
उन्होंने एक working class society के रूप में art establishment के खिलाफ अपनी लड़ाई के बारे में भी बताया।
Norma और Keating की meeting के एक हफ्ते से थोड़ा ज्यादा समय होने के बाद और पहले Article publish होने के एक महीने बाद, नॉर्मन ने एक और Article publish किया। जिसमें उसने Keating के जीवन के बारे में और उसके खिलाफ forgery allegations के बारे में लिखा।
और उस article के response में, कीटिंग ने लिखा: “मैं इन आरोपों से इनकार नहीं करता हूं। वास्तव में, मैं openly कबूल करता हूं, कि ये forgeries मैने की है।”
इसके साथ साथ Keating ने ये भी declare किया कि इस सब में money उसका motivation नही था।
हालांकि नॉर्मन ही वो Lady थी, जिसने उन्हें बेनकाब किया था, लेकिन keating को Norman से कोई शिकायत नही थी। बल्कि इसके बजाए Keating ने Norman की तारिफ करते बुए कही कि Norman पूरे वक्त keating की बातों को ध्यानसे सुन रही थी, वो sympathetic थी, और Keating की politics की respect कर रही थी। और साथ में Norman keating के Artist रूप को appreciate भी कर रही थी।
जब एक Article में Auctioneer suspicions पर discussion चला, तो किटिंग ने कबूल किया कि वो fake paintings भी उनकी थी।
उन्होने ये भी बताया कि उनके 2,000 से ज्यादा forgeries अभी भी circulation में थी।
Keating ने बताया कि उसने जो fake painting बनाई थी, वो उन art traders के खिलाफ एक protest deckare करने के लिए बनाई थी, जो Artist की मेहनत की फायदा उठाकर खुद अमीर बन जाते है।
1970 में एक published Article में keating के crimes का खुलासा करने के बाद, कीटिंग ने अपनी सारी forgeries confess की, और 1979 में अपनी former lover और partner Jane kelly के साथ arrest हुए।
हालाकी Kelly को दोषी ठहराने के बाद जेल में जाना पडा, लेकिन एक मोटरसाइकिल accident में seriously injured होने के बाद कीटिंग सजा से बच निकला।
Keating के खिलाफ लगाए गए आरोप drop किए गए थे, क्योंकि उनके जिमदा रहने की possiblities कम लग रहे थे। हालांकि बाद में उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ था और वो 1984 तक जिंदा भी रहे।
Keating की paintings अभी भी हजारों पाउंड के price पर बिकती हैं, और 2005 में, एक report से पता चला कि keatings की नकली paintings की भी fake copies बन रही है और बाजार में £ 5,000 से £ 10,000 के बीच की कीमत पर बिक रही है।
एक Artist जिसने Gallary system और greedy dealers को सबक सिखाने के लिए forgery की शुरूआत की। और यही एक ऐसे artist होंगे जिन्होने अपनी ही forgery का खुलासा कराने के लिए paintings में clue भी छोडे।
तो एक ऐसा interesting, और smart character, हमें Hera pheri 3 में एक comedy के तडके के साथ देखने को मिल जाए।