इसी तरह शासन को कई तरह की सूचनाएं भी एसपी सिटी दफ्तर से लगातार भेजी जाती हैं, उन्हें संकलित करना और समय पर भेजना आरके सिंह का काम था। लेकिन इसके साथ ही वह अब नए काम में ही हमारी सहायता करते थे। ये नंबर टैपिंग और ट्रेसिंग का काम था। इसमें तमाम तरह की जानकारी इकट्ठा करनी होती थी, जैसे नंबर वाले व्यक्ति की डिटेल क्या है, वह क्या करता है इन सब को जुटाने में आरके सिंह सहयोग करते थे।
…तो जब wo लोग जनपथ पहुंचे तो चेक करना था कि बड़े बैग वाले कौन लोग हैं? कहीं वो एके-47 तो नहीं लिए हैं? दरअसल श्रीप्रकाश के बारे में ये पता चला था कि वह एके-47 एक बैग में रखकर हमेशा अपने साथ रखता है। सबसे पहले हम चारों लोग बॉम्बे हेयरकटिंग सैलून की दुकान पर गए। यहां आरके सिंह अंदर गए और उन्होंने अंदाजे से कहा कि इस हुलिया, इस उम्र का कोई आदमी नहीं है। हम बाहर निकल आए। तय हुआ कि सब एक साथ ही चलते हैं। हम लोग पीछे से जनपथ के मेन इंट्रेंस तक गए। यहां हजरतगंज की सड़क से फिर लौटे। जनपथ में बीच में चबूतरा है, जहां तमाम दुकानें हैं। आरके सिंह वहीं ऊपर ही रुक गए, हम लोग (सतेंद्रवीर, राजेश पांडेय और रणकेंद्र) चबूतरे की सीढ़ी से नीचे उतर आए और जनपथ से पार्किंग की तरफ से सीधे निकलने वाली गली से गुजर रहे थे।
जैसे ही गली में घुसे एक नाटे कद का व्यक्ति बड़ा सा बैग लिए दिखा। उसके कद और बैग के साइज को देखकर मामला संदिग्ध लगा तो सत्येंद्र वीर सिंह साहब ने कहा कि बैग खाेलो, इस पर वो आनाकानी करने लगा। इधर-उधर देखने लगा। वह बार-बार बैग की चेन की तरफ हाथ लगाने की कोशिश कर रहा था। सत्येंद्र वीर सिंह ने अपनी पिस्टल निकाल ली। इस बीच मैंने चेन पूरी खोल दी। जैसे ही चेन पूरी खुली, वह हाथ छुड़ाकर बगल में चिकन की कपड़ों की दुकान में घुस गया। मैं चिल्लाया, सर इसमें एके-47 है। फिर उस बैग को छोड़कर हम दुकान में भागे। इस बीच हम सभी ने पिस्टल निकाल ली। वह दुकान के अंदर गिर गया था। अचानक उसने रणकेंद्र की पिस्टल को झपट्टा मारा। उसे पैरों से मारने की कोशिश की गई लेकिन वह पिस्टल नहीं छोड़ रहा था। इसी खींचतान में हम उसे दुकान से बाहर ले आए। इस बीच फायर करना पड़ा। उसके पैरों में गोली लगी तो बड़ी मुश्किल से उसने पिस्टल छोड़ी।
अचानक हल्ला हुआ कि एक और बदमाश मारा गया है। गोली चलने की आवाज भी आई। इस बीच पुलिस आ गई और जिस बदमाश को गोली लगी थी, उसे गाड़ी में लादकर एके 47 के साथ ले जाया गया। इस दौरान हम और सत्येंद्र वीर सिंह भागे ये देखने कि दूसरा बदमाश कहां मारा गया है? हमें लगा कि संभवत: ये दूसरा आदमी श्रीप्रकाश था, जिसका आरके सिंह ने पीछा किया होगा, वह दिखाई नहीं दे रहा है।