Gadar 2

16 दिसंबर का दिन भारत के साथ-साथ उसके पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बांग्लादेश के लिए काफी यादगार है. ये दिन जहां भारत और बांगलादेश को गर्व से सिर ऊंचा करने का मौका देता है, तो वहीं पाकिस्तान का सिर शर्मिंदगी से नीचे झुका देता है. भारत ने साल 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ opreation trishul जीता था. जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश (Bangladesh) नाम के एक अलग देश का जन्म हुआ. जिसे उस समय पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था. भारत की पाकिस्तान पर जीत का जश्न विजय दिवस के तौर पर मनाता है. 52 साल पहले पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया था. उसकी सेना ने भारत के सामने सरेंडर कर दिया था.

स्वतंत्र बांग्लादेश के निर्माण में मुख्य भूमिका उस अत्याचार की थी जो वेस्ट पाकिस्तान, ईस्ट पाकिस्तान पर कर रहा था। इस अत्याचार से निपटने के लिए पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी सेना बनी, जिसे भारतीय सेना ने सहयोग दिया। 5 वजह से भारत-पाक युद्ध हुआ और बाद में स्वतंत्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ।

1. ईस्ट पाकिस्तान के लोगों को वेस्ट पाकिस्तान में गवर्नमेंट जॉब नहीं मिलता था। ईस्ट पाकिस्तान में गवर्नमेंट जॉब न के बराबर थे।

2 साथ ही वेस्ट पाकिस्तान और ईस्ट पाकिस्तान में आर्थिक विषमताएं बढ़ गई थी। ईस्ट पाकिस्तान के चुनावों में वेस्ट पाकिस्तान के लोग ही हावी रहे और जब शेख मुजीबुर्रहमान के नेतृत्व में ईस्ट पाकिस्तान में हुए चुनाव में उभार में आए , तो चुनाव की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होने दी।

3. इसके अलावा ईस्ट पाकिस्तान के संसाधनों से वेस्ट पाकिस्तान में उन्नति हो रही थी जबकि ईस्ट पाकिस्तान के हाथ खाली ही रहे।

4. मुजीबुर्रहमान ने जब 6 प्वाइंट का फार्मूला पाकिस्तान सरकार के सामने रखा तो उन्हें जेल में डाल दिया गया और ईस्ट पाकिस्तान में क्रेक डाउन शुरू हुआ। क्रेक डाउन का मतलब था तेजी से और जोर जबरदस्ती से विद्रोह का दबाना। ऐसे में मुक्ति वाहिनी के रूप में बांग्लादेश की आम जनता ने हथियार उठा लिए।

5. जब ऑपरेशन क्रेक डाउन शुरू हुआ तो बांग्लादेश की गरीब जनता आसाम, त्रिपुरा, पश्चिमी बंगाल की भारतीय सीमा की तरफ भागी। भारत में करीब करोड़ों रिफ्यूजी आ गए जो भारतीय सीमा में कैंपों में रहने लगे।

बांग्लादेश में 3,00,000 नागरिक मारे गए. इसके बाद बलात्कार, यातना, हत्याएं और संघर्ष हुआ, जिसके कारण 80 लाख से एक करोड़ लोगों मे भारत में शरण लेने के लिए पाकिस्तान छोड़ दिया. लेकिन इंदिरा गांधी पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध शुरू करने के लिए सहमत नहीं थीं, क्योंकि देश पहले से ही पूर्वी पाकिस्तान से शरणार्थियों के लगातार देश में आने के कारण बोझ का सामना कर रहा था और युद्ध में प्रवेश करने का मतलब अधिक मात्रा मे बोझ को आमंत्रित करना था.

तब उन्होंने दुनियाभर के नेताओं से हस्तक्षेप करने और पाकिस्तान पर उसकी क्रूरताओं को रोकने के लिए दबाव बनाने की भी अपील की , लेकिन भारत के पास ज्यादा समय नहीं था और PM के लिए instant action लेना जरूरी हो गया था. 6 दिसंबर को उन्होंने संसद में घोषणा की, पाकिस्तान के खिलाफ opreation trishul चलाया.

दरअसल बांग्लादेश , तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान , पश्चिम पाकिस्तान से आज़ादी प्राप्त करने के लिए लड़ रहा था. 1971 में, पाकिस्तानी सेना ने निर्दोष बंगाली आबादी, विशेष रूप से पूर्वी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू आबादी पर बर्बर नरसंहार करना शुरू कर दिया. जब पाकिस्तान के अत्याचार बढ़े, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया, उसी समय सीमा के दूसरी ओर के नागरिकों को शरण भी दी. उन्होंने सेना प्रमुख जनरल सैम मानेकशॉ को पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक अभियान शुरू करने का आदेश दिया, जिसके बाद भारत ने अपने पड़ोसी के खिलाफ युद्ध शुरू किया.
युद्ध की शुरुआत पाकिस्तान के उस गुरूर के साथ हुई, जिसके नशे में आकर उसने भारत के 11 एयरबेस पर हवाई हमला किया. यह शायद पहली बार था जब भारत की तीनों सेनाओं ने एक साथ लड़ाई लड़ी थी. भारत ने पश्चिम में पाकिस्तानी सेना की हरकतों का तुरंत जवाब दिया और लगभग 15,010 किलोमीटर पाकिस्तान क्षेत्र पर कब्जा कर लिया.

पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी (General Amir Abdullah Khan Niazi) के 93,000 सैनिकों के साथ, भारतीय सेना और बांग्लादेश की मुक्ति वाहिनी की संयुक्त सेना के सामने सरेंडर करने के बाद युद्ध समाप्त हो गया. जनरल एके नियाजी ने 16 दिसंबर 1971 को ढाका में समर्पण के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए, जिससे पूर्वी पाकिस्तान में बांग्लादेश का नए राष्ट्र के रूप में गठन हुआ. बांग्लादेश के जन्म के साथ ही पाकिस्तान ने भी अपना आधा क्षेत्र खो दिया.

युद्ध केवल 13 दिनों तक चला और यह इतिहास के सबसे छोटे युद्धों में से एक माना जाता है. लेकिन इसका परिणाम पाकिस्तान को आज भी खुद पर शर्मिंदा होने की याद दिलाता है. भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य टकराव 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक हुआ. भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को घुटनों पर लाकर उसके 93,000 सैनिकों को कब्जे में लिया और बांग्लादेश के 7.5 करोड़ लोगों को आजादी दिलाई. पूर्वी पाकिस्तान की बंगाली आबादी के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे नरसंहार को समाप्त करने के लिए इस युद्ध में भारत के 3000 सैनिक शहीद हुए. साथ ही पाकिस्तान के 8000 सैनिकों की मौत हुई. युद्ध के बाद बांग्लादेश को आजादी मिली.

भारत-पाक युद्ध के दौरान एक समय ऐसा भी आया, जब अमेरिका पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आ गया था। अमेरिका ने जापान के करीब तैनात अपने नौसेना के सातवें बेड़े को पाकिस्तान की मदद करने के लिए बंगाल की खाड़ी की ओर भेज दिया था। इसके पीछे का कारण तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन और भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के बीच संबंधों का अच्छा न होने को भी बताया जाता था। 1971 के समय अमेरिका और पाकिस्तान के संबंध काफी मजबूत माने जाते थे। अमेरिका ने पाकिस्तान को कई अच्छे हथियार दिए थे। साथ ही पाकिस्तानी नौसेना की PNS गाजी भी अमेरिका द्वारा निर्मित की गई एक अत्याधुनिक पनडुब्बी थी। इसे भारत के विमानवाहक युद्धपोत INS विक्रांत को तबाह करने के लिए भेजा गया था। हालांकि, भारतीय नौसेना ने इसे विशाखापत्तनम के पास डुबो दिया था और पाकिस्तानी नौसेना की कमर तोड़ दी थी। 

अमेरिकी नौसेना के सातवें बेड़े के भारत की ओर बढ़ने की खबर के बाद भारत ने रूस से मदद मांगी थी। युद्ध शुरू होने के कुछ महीने पहले ही भारत ने रूस के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि की थी। अमेरिकी नौसेना को बंगाल की खाड़ी की ओर बढ़ता देख कर रूस ने भारत की मदद के लिए अपनी परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बी और विध्वंसक जहाजों को प्रशांत महासागर से हिंद महासागर की ओर भेज दिया।

अमेरिका का सातवां बेड़ा जब तक पाकिस्तान की मदद करने के लिए बंगाल की खाड़ी में पहुंच पाता, उससे पहले ही 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारत के सामने घुटने टेक दिए और आत्मसमर्पण कर दिया। हालांकि, रूस की नौसेना ने अमेरिका के सातवें बेड़े का पीछा तब तक नहीं छोड़ा, जब तक वह वापस नहीं लौट गया।

6 दिसंबर को उन्होंने संसद में घोषणा की, कि भारत ने बांग्लादेश सरकार को मान्यता प्रदान कर दी है. युद्ध में भारत को जीत मिली. 2 अगस्त 1972 को, भारत और पाकिस्तान ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत युद्ध के सभी 93,000 पाकिस्तानी कैदियों को रिहा करने पर सहमति हुई. ऐसी ही 1971 की एक कहानी gadar 2 का हिस्सा हो सकती है. जिसमें उत्कर्ष भारत के सैनिक की भूमिका निभाएगा. और sunny मुसीबत में फंसे हुए अपने बेटे को छुड़ाने के लिए पाकिस्तान जाएगे. तो आप gadar 2 के लिए कितने excited है हमे comment में Jarur बताये. हम फिर मिलेंगे एक नई वीडियो के साथ, तब तक खुश रहें और सैफ रहें. Bye

Manisha Jain

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Kuch Kuch Hota Hai 2' Sara Ali Khan, Vijay Devarakon, Janhvi kapoor , bollygradstudioz.com

Kuch kuch hota hai 2

Thumbnails: राज और परी की प्रेम कहानी। यह कहानी शुरू होती है 2012 में उत्तर प्रदेश के एक शहर से। राज, परी, रवि और मोनिका‌

Read More »

Tridev 2

Jab hum bihar ya uttar pradesh ke itihaas ke panne palate hai toh hame waha sirf aur sirf chor daaku ki ho baatein likhi milti

Read More »

Soldier – 2

Second Lieutenant Arun Khetarpal ka janm 14 October 1950 ko Pune Maharashtra mein hua tha. Arun ke pita ji Brigadier M. L. Khetarpal bhi Indian

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​