कारोबार में घाटा होने की वजह से इंसान smuggling की दुनिया में पांव रखता है, ऐसी कहानियां आपने कभी सुनी है? नहीं ना? पर बेंगलुरु में ऐसा हुआ है और वह भी बाशा भाई की वजह से।
इस बाशा भाई का असली नाम है शेख अब्दुल हकीम। 41 साल का बंदा तमिलनाडु में रहने वाला है। वो अपने relatives से मिलने के लिए अक्सर Kadapa जिले आता था, जो आंध्र प्रदेश में है। उसे पैसों का बड़ा लालच था, इसलिए जब उसे इस red sandalwood smuggling के बारे में पता चला, तब वह इस बिजनेस का हिस्सा बन गया। पर इसके चलते उसे 9 महीने की सजा हुई और वह 2017 और 2018 के बीच जेल में था।
जेल से छूटने के बाद वह बेंगलुरु चला गया और वहां पर उसकी मुलाकात इंटरनेशनल स्मगलर से हुई। उन Smugglers के नाम है Afroz और Feroz। इसी के साथ साथ उसने मुलाकात की तमिलनाडु के Tiruvathur Babu और Tiruchi Bhai। और उसने इन्हीं के साथ डीलिंग करना शुरू कर दिया।
इसने अपनी खुद की एक hijacking gang भी बनाई, hijacking gang मतलब जो लोग छीनातानी करते हैं, violence करते हैं, दूसरों को धमकाकर कब्जा करते हैं, ऐसे लोग। जिसमें वह जयराम naik, नवीन कुमार जैसे बंदों को यह खुद ही ट्रेनिंग दे रहा था। इसके चलते तमिलनाडु में उसने 9 चोरीया भी की। जब वह बेंगलुरु में था तब वह cloth merchant के साथ भी डीलिंग करता रहता था, Smuggling activities में काफी ज्यादा active रहता था।
अब जरा बात करते हैं कि, इसने actually क्या-क्या किया है, उस बारे में।
दरसल आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले में गोटूरू नाम का एक गांव है, वहां पर एक बहुत ही बड़ा accident हुआ। हुआ यह कि, देर रात 3 बजे स्कॉर्पियो और एक डंपर की धड़क हो गई। साथ ही साथ पीछे से एक और स्कॉर्पियो कार आई और उसकी भी इन दोनों गाड़ियों के साथ टक्कर हो गई। अब यह इतनी बड़ी टक्कर थी कि, इसमें 5 लोगों की मौत हो गई और 3 लोग घायल हो गए। फिर फौरन सबको हॉस्पिटल में पहुंचाया गया। पर उस स्कॉर्पियो कार में सारे के सारे red sandalwood smugglers मौजूद थे। फिर पीछे से एक स्कॉर्पियो आई और दूसरी तरफ से डंपर आने की वजह से डंपर के ड्राइवर ने स्टेरिंग मोड़ दिया। इसकी वजह से तेज रफ्तार पकडी स्कॉर्पियो डंपर के डीजल टैंक में टकराई।
इतनी जोरदार आग लगी कि फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां बुलानी पड़ी और आग पर काबू पा लिया गया,पर जिसकी जान जाने वाली थी, वह तो गई।
वैसे यह लोग कोई महान काम तो नहीं कर रहे थे, स्मगलिंग कर रहे थे। जब कि, Red sandalwood smuggling को आंध्र प्रदेश में बैन किया गया था, पर तब भी वो illegal काम कर रहे थे और पैसों के लालच में अंधे हो चुके थे।
अब आप कहेंगे कि, इससे इस भाशा भाई का क्या ताल्लुक? तो ताल्लुक है क्योंकि यही तो इस सब का मास्टरमाइंड है, ऐसा पुलिस का दावा है। क्योंकि भाशा को अमीर बनना था और वह illegal काम करने में काफी लोगों से मुलाकाते करता था, मजदूरों से काम करवाता था, तो उसका अच्छा खासा जाल बिछाया हुआ था। कहा जाता है कि यह लोग उसी की मदद कर रहे थे, उसे काटी हुई लकड़ीया पहुंचा रहे थे।
फिर इस मामले की तह तक जाने के लिए पुलिस ने एक टीम बनाई और आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटका में इन्होंने अपनी टीम को चप्पा चप्पा छान मारने के लिए भेज दिया।
फिर पुलिस को यह खबर मिली कि, एक kidnapping gang बार-बार किसी को कॉल कर रही है और यह gang जिस इटिओस कार में मौजूद थी, उसका पुलिस ने पीछा किया। इनके call records चेक करने के बाद पता चला कि, यह सब एक ही इंसान से बात कर रहे हैं और वह और कोई नहीं बल्कि बाशा भाई है, तो उसी के चलते इन तीनों की मदद लेकर यह पुलिस फोर्स भाशा भाई तक पहुंच गई और उन्होंने उसे वहां से गिरफ्तार कर लिया।
इटीयोस कार में जो 3 बंदे थे वह कडप्पा, रायचोटी और पेंडलीमार्री मंडल के थे, जिन्हें पुलिस ने पहचान लिया और उन्हें भी अरेस्ट कर लिया गया।
इसी मामले में शरीफ नाम का जो एक बंदा है, जो पहले से गिरफ्तार हो चुका है उसने भी अपना मुंह खोल दिया और उसने पुलिस को बता दिया कि, पूरे बेंगलुरु में भी red sandalwood smuggling की जा रही है।
तो अब इसमें भाशा भाई क्या करता था? तो वो कडप्पा जिले में रहने वाले smugglers से लकड़िया खरीदा था और कोचीन port से देश के बाहर बेच देता था और बाहर बेच कर अच्छी खासी कमाई करता था। अब वह कनेक्शन बनाने में इतना माहिर था कि, बस पूछिए मत। इसी से वह अच्छा खासा पैसा कमाता था क्योंकि उसे तो अमीर बनना था और यह इंटरनेशनल स्मगलिंग का रास्ता उसे इस दुनिया का अमीर बना सकता है, ऐसा उसका कहना था।
वैसे यह बाशा भाई कोई छोटी मोटी चीज नहीं है। उसके ऊपर पहले से ही ज्यादा cases दर्ज थी। दरअसल Seshachalam forest जो Kanumalopalli of Bhakarapet में है, वहां से लकड़ीया बाहर निकालकर उसे बेंगलुरु में बेचा जाता था। पर लकड़ियों को काटकर जमा करने का काम बाकी लोकल गैंग करती थी। 8 gang members वहां उस फारेस्ट में जाते थे और लकड़ियां तोड़ने का काम करते थे और इसके लिए उन्हें गाइड करता था खुद बाशा भाई।
वैसे कीमती लकड़ीया लेने के लिए वह लोकल हाईजैकिंग गैंग को ₹10 लाख भी देता था और उनसे लकड़ियां खरीदता था। उसका यह काम देखकर और भी लोग उस हाईजैकिंग गैंग से जुड़ जाते थे क्योंकि उन्हें भी अच्छा खासा हिस्सा मिलता था। पर यह जो ₹10 लाख हाईजैकिंग गैंग को देता था, उसमें भी वह तमिलनाडु के स्मगलर्स पर अटैक करने के लिए कहता था, ताकि वह उनसे भी लकड़ीया छिन सके।
अब जरा सोचिए, अगर वह ₹10 लाख सिर्फ लकड़िया छीन कर उसके पास पहुंचाने के लिए दे सकता है, तो मतलब लकड़ीया बेचकर उसे कितने करोड़ों का फायदा होता होगा और वह इंटरनेशनल कनेक्शन बनाता था,वह तो अलग। अब इसी चक्कर में साल 2015 में पुलिस ने उसे पकड़ लिया था।
इसकी हरकतों की वजह से यह most wanted criminals या smugglers मंगल की लिस्ट में शामिल था, पर आखिर में पुलिस ने उसे पकड़ लिया, वरना यह इस पूरे वर्ल्ड में यह एक भी चंदन की लकड़ी नहीं रखता, सारी के सारी ट्रांसपोर्ट कर के देश का सबसे बड़ा अमीर बन जाता।
तो ऐसा ही कोई किरदार हमें आने वाली पुष्पा 2 फिल्म में भी देखने को मिल सकता है क्योंकि स्मगलिंग ही तो पुष्पा का अहम हिस्सा है और इसमें ऐसे स्मगलर्स का आना बाजी पलट सकता है, कभी पुष्पा के फेवर में, तो कभी दुश्मन के फेवर में। तो देखते हैं कि क्या होता है।
वैसे आपको यह कहानी कैसे लगी बताएं कमेंट सेक्शन में लिखकर और बने रहिए हमारे चैनल के साथ।
Bye!