Research and Analysis Wing (RAW) को मामला समझ आने लगा था। जिसकी वजह से अब RAW ने सभी double Agent suspects पर निगरानी रखनी शुरू कर दी थी।
क्योंकी रबिंदर सिंह, एक RAW agent के गायब होने के impact से RAW Officers जूझ रहे थे। एक Senior RAW Officer को अमेरिका में चले जाने के लिए Suspect किया जा रहा था, जिससे भारत की Premier Spy Agency में अब एेसे ही और Cases सामने आने की उम्मीद की जा रही थी।
ये पहली बार हुआ जब firm ने accept किया था, कि late 60s में इस spy agency कि creation के बाद से उनके आठ main agents गायब हो गए थे, जो लगभग हर वक्त देश के बाहर किसी Important mission पर होते थे और Rabinder Singh, इन Defector Agents की list में 9th agent बन गया था और ये Defectors agents नामों वाली फाइल, उस वक्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के डेस्क पर रखी गई थी। हालाकी उनमें से ज्यादाकर Cases कुछ दशक पुरानी हैं, लेकिन इस list में कुछ नाम एेसे थे, जो Spy community में गहरी शर्मिंदगी पैदा करने वाले थे।
इनमें से ज्यादातर Agents या कहे RAW Operatives, posting के वक्त गायब हो रहे थे। उन्होंने खुद को North अमेरिका और west यूरोप के देशों में नकली नामों और झूठे पासपोर्ट की मदद से shift कर लिया और बाद में ये पता चला कि,उनमें से कई, Foreign Agencies के लिए काफी Valuable Assets थे, जो उनके लिए double agents के रूप में काम करते थे, और अब वो United states या ब्रिटेन के citizens में ग्रीन कार्ड holder यानी वहाँ के Permanent resident बन गए थे।
Agent रबिंदर सिंह के गायब होने से कई तरह के खतरे खुल गए हैं, और RAW को अपने Damage Control mode में आना पडा गया था। उस वक्त के PM Manmohan Singh ने order दिया कि लापता हुए पुराने सभी RAW officers की detailed फाइल उनके सामने रखी जाए और Coincidently, ये तब हुआ था जब intelligence officials ने उन लोगों को अलग अलग Categorise करने की कोशिश की, जो retirement के बाद अमेरिका या ब्रिटेन में जाकर बस गए थे और Actually उनमें से बहुत सारे एेसे Agents थे, जो important confidential documents और information के बिना किसी trace के गायब हो गए थे और 9 Agents की list में वही नाम थे जो confidential documents और information के साथ गायब हुए थे।
R K Yadav ने 1989 में RAW को outfit का सबसे toughest spies में से एक की reputation के साथ छोड़ दिया था। 1973 में Class 1 Officer के रूप में recruited, यादव ने China Desk और राजस्थान और पंजाब में कई पोस्टिंग पर काम किया था। वो RAW के founder और Director, R. N Kao और उसके Successor शंकरन नायर के बहुत करीबी थे। हालांकि RAW के कामकाज के बारे में बहुत कम जानकारी बाहर पता लगती है, लेकिन यादव ने अपनी upcoming book, Mission RAW में clear details दी है, जिसमें 1975 की Emergency के वक्त गायब हुए RAW Agents और external intellgence एजेंसी की details भी शामिल है।
इस defecter agents list में main नाम हैं, सिकंदर लाल मलिक, जो RAW के Founder और superspy, रामनाथ काव का Personal assistant था। सिकंदर मलिक, बांग्लादेश को liberate यानी freedom दिलाने के Plan के साथ साथ 70s की शुरुआत में Ramnath द्वारा लिए गए top secret decisions में भी शामिल था।
एक अमेरिकी पोस्टिंग पर, मलिक एक सुबह अचानक गायब हो गया और माना जाता है कि, अब वो उस देश में ही कहीं रह रहा है। सिकंदर मलिक का दलबदल कई सालों तक एक protected secret बना रहा और अब इसे केवल एजेंसी की reputation के लिए एक झटके के रूप में accept किया जाने लगा है।
RAW एजेंसी को हुए total नुकसान का पता करने में कई साल लग गए। सिकंदर मलिक के पास important और confidential जानकारी थी, क्योकी Ramnath के ज्यादातर highly secret meetings को sikander ही control किया करते थे। Foreign agencies के लिए, जिनके सिए Ramnath Kao तक पहुंचना बहुत मुश्किल था, वो आसानी से उसके peesonal assistant malik से वो Informations ले सकते थे। ऐसा इसलिए, क्योंकि मलिक के पास confidential information का खजाना था, जो शायद ramnath और उनकी बॉस, उस वक्त की प्रधानमंत्री, इंदिरा गांधी के अलावा किसी और को नहीं पता था।
इनके अलावा और RAW Agents जिन्होंने Raw Agency क धोखा दिया। M.S. Sehgal, एक senior field officer हैं और RAW के former chief गिरीश सक्सेना के करीबी हैं, जो 1980 में लंदन में posting के दौरान गायब हो गए। इसके बाद N.Y Bhaskar, टोक्यो में काम कर रहे थे, और जिन्हें CIA के साथ contact करने के लिए कहा गया था। लेकिन कुछ वक्त बाद वो भी एक ग्रीन कार्ड holder बनने में कामयाब रहे, और अमेरिका में बिना किसी trace के गायब हो गए थे।
ऐसे ही B.R Bachhar, एक सीनियर फील्ड ऑफिसर, लंदन में लापता हो गए। काठमांडू में काम कर रहा ये Officer, 80s की शुरुआत में foreign intelligence agencies के साथ contact कर रहा था। Sensitive pakistan desk पर काम कर रहे Assistant Director, मेजर R.S सोनी को ISI को classified information देने के लिए suspect किया गया था। RAW की Counter intellegence branch से गिरफ्तारी के डर से, वो 1977 में घर से गायब हो गए और उसके बाद उनका कभी पता नहीं चला। हालाकी कुछ वक्त बाद पता चला कि सोनी Canada चला गया था।
अशोक साठे, मंगोलिया में उलन बाटर (Ulan Bator) और ईरान के खुरमशहर में अकेला indian counsellor था। जब Ashok गायब हुआ तो उसके मालिक भी बहस कर रहे थे, कि क्या वो CIA के लिए काम कर रहा था, या नही कर रहा था?। Ashok Sathe पर खुरमशहर (Khuramshahar) के RAW Office को जलाने का भी आरोप लगाया गया था, जिसमें सभी crucial papers को destroy कर दिया गया था।
Senior field Ashok Sathe तो CIA ने recruit किया था। Ashok china के operations को कवर कर रहा था और बाद में उसे ईरान में transfer कर दिया गया। वहां काम करते समय, Ashok को secret funds embezzling करते हुए पकडा गया, तो उसे Iran ये वापस बुला लिया गया। तो Ashok sathe ने अपने officer में आग लगाई, जाने से पहले सभी secret documents को destroy कर दिया और बाद में 1977 में RAW से retire हो गए।
Ashok Sathe के अलावा रबिंदर सिंह, जिसने RAW Agency को हिला दिया था। Rabinder Singh एक RAW Agent जो CIA के लिए जासूसी कर रहा था, और जो गिरफ्तार होने से पहले ही भाग गया था।
Rabinder Singb उस वक्त RAW में joint secretary थे। उसने 7 मई, 2004 को कथमांडू से अमेरिका जाने के लिए, Mr. और Mrs. राजपाल प्रसाद शर्मा के नाम पर एक नकली identity का इस्तेमाल किया। काठमांडू में RAW यूनिट ने Rabinder के Escape plan के बारे में पता होने के बावजूद कुछ भी नहीं किया। RAW भी उनके वीजा और embark कार्ड, यानी जहां वो उतरेंगे, उनकी Copies हासिल करने में कामयाब रहे।
और जब उन Documents investigation से तो पता चलता है कि 7 अप्रैल, 2004 को CIA ने उन्हे पासपोर्ट नंबर दिया। दीप कुमार शर्मा के नाम पर उसी दिन उनकी पत्नी परमिंदर कौर को भी एक अमेरिकी पासपोर्ट दिया गया था।
दोनों को 7 मई, 2004 को काठमांडू से ऑस्ट्रियाई एयर फ्लाइट नंबर 5032 पर चढ़ाया गया। Rabinder को CIA Operator, David M Vacala (डेविड एम वैकला) से मदद मिली थी।
भारत के बाहर इंदिरा गांधी के political adversaries (विरोधियों) के आंदोलन पर नजर रखने के लिए जून 1975 में एक special desk, Front Organization (FO) को बनाया गया था। RAW Operators ने उनके टेलीफोन कॉल और postal letters पर निगरानी रखी।
Indian missions Abroad के basis पर अंडरकवर RAW officers ने Leaders और उनके परिवार के सदस्यों पर भी निगरानी रखी।
हथियार के dealings के बारे में भी यादव ने अपनी book में लिखा है कि 1998 में कुछ समय, लंदन में एक Main हथियार डीलर जो जो की काफी High profile dealer था, उसने स्टेशन chief को हथियारो की Dealing की facility में दो main political dealers का नाम दिया था।
तो Pathaan movie जिसमें Shahrukh khan के एक RAW Field Agent होने की बात सुनने में आ रही है, उसके हिसाब से हो सकता है कि Pathaan movie में हमें ये Agents के गायब होने वाले cases की भी एक झलक देखने को मिल जाए।
हो सकता है कि Sahahrukh Khan खुद एक ऐसे Spy का रोल करें जो CIA के साथ भी काम करें। एक तरह से Shahrukh भी हमें एक Double Agent के किरदार में दिखाई दे सकते है, जिसमें और भी कई धोखेबाज RAW Agents का खुलासा किया जाएगा, जिनकी inspiration इन RAW Agents की Real कहानियों से ली जा सकती है और end में पता लगेगा कि, Double Agent बनना Shahrukh khan का उसके mission को accomplish करने का सिर्फ एक cover था, जिसमें उसने असल में CIA को धोखा दिया होगा। तो कुछ इस तरह का plot हमे Shahrukh की आने वाली blockbuster pathaan movie में देखने को मिल सकता है।