Thumbnail : खतरे में है india? नई दिल्ली के पालम एयरबेस पर सामान्य से कहीं ज्यादा हलचल हो रही थी, इंडियन आर्मी की पैरा SF के कमांडोज कांगो जाने की तैयारी कर रहे थे, दसको से युद्ध भूमि बना हुआ एक आफ्रीकन देश, जहां इन भारतीय कमांडो को UN की peacekeeping force में surf करना था. कोगो में चल रहे दुनिया के सबसे महंगे पीसकीपिंग मिशन में लगभग एक चौथाई ट्रूप्स भारत से आते हैं और इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पैराशूट रेजीमेंट के 100 भारतीय कमांडो आज कांगो के नॉर्थ kivu province के लिए उड़ान भरने वाले हैं। खनिज और धातुओं से संपन्न कांगो का एक ऐसा इलाका जहां कोल्ड वॉर के चलते नदियों में बहने वाला पानी भी लाल हो चुका था। भारतीय SF के कमांडो अपने कांगो मिशन के लिए निकलने ही वाले थे कि तभी आसाम में स्थित Paras base से कॉल आती है और अगले 5 मिनट में इनके आर्डर पूरी तरह बदल जाते हैं, इस कॉल के बाद ही कमांडोज यहां खड़े प्लेन में सवार तो होते हैं, लेकिन अब इनका डेस्टिनेशन कांगो नहीं बल की मणिपुर होने वाला था और इंडियन वायु सेना का विमान दिल्ली और मणिपुर के बीच 350 किलोमीटर का सफर तय करना शुरू कर देता है और सिर्फ 5 मिनट में सब कुछ बदल गया था। थोड़ी देर पहले तक हंसी मजाक कर रहे कमांडो की आंखों में अब खून और सांसो में लावा उतर आया था। उस फोन कॉल से मिली जानकारी के अनुसार आज सुबह एक अलगाववादी हमले में डोगरा रेजीमेंट के 18 फौजी वीरगति को प्राप्त हो गए थे। जब यह न्यूज देश के सामने आई तो पूरे देश को काफी ज्यादा शौक लगा, लेकिन सेम टाइम पर पूरे देश में इस हमले पर जवाबी कारवाई करने की मांग उठने लगी और भारत सरकार भी इसे छोड़ने के मूड में नहीं थी, इसीलिए उन्होंने 5 min में location कांगो से मणिपुर कर दिया। 5 जून 2015 कि सुबह, मणिपुर में डोगरा यूनिट के काफिले को एक साथ तीन अलगाववादी संगठनों द्वारा निशाना बनाया गया था। भारतीय फौजियों के ऊपर अंधाधुंध गोलियां बरसाने के बाद यह बागी बॉर्डर cross कर म्यानमार के घने जंगलों में घुस गए थे और ऐसा पहली बार नहीं हुआ था भारतीय trops के ऊपर अटैक करने के बाद म्यानमार के अंदर जाकर छुपना इन आतंकियों के लिए एक रूटीन सा बन गया था। लेकिन इस बार इनसे एक बहुत बड़ी भूल हो गई थी, वो भूल गए कि 2015 का यह भारत एक नया भारत है, इन्हें जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि इस बार इंडियन आर्मी उस हाईवे पर बहाए गए उस खून के एक एक कतरे का गिन गिन के हिसाब लेगी। बदले की आग में जल रही भारतीय फौज एक ऐसे ऑपरेशन को अंजाम देगी जिससे दुश्मन की आत्मा कांप उठेगी। एक ऑपरेशन जिसके बाद बंदूक उठाना तो दूर की बात, पूरे नॉर्थ ईस्ट में कोई भारतीय फौजियों की तरह आंख तक नहीं उठा पाएगा। मणिपुर स्थित अपने बेस पर बैठे 35 वर्षीय लेफ्टिनेंट कर्नल ऑस्कर डेल्टा एक क्षण के लिए भी अपनी आंखें बंद नहीं कर पा रहे थे, जैसे ही वो ऐसा करने की कोशिश करते, उनके कानों में वही 3 शब्द बार-बार गूंजने लगते वह 3 शब्द जो थोड़ी देर पहले उन्हें अपने रेडियो पर सुनाई दिए थे, “18 फौजी शहीद”। मणिपुर की राजधानी से 100 किलोमीटर दूर जंगल के बीच गुजारिश हाईवे की हवा में आज की सुबह एक दिल दहला देने वाली गंध भरी हुई थी, गंध जो बुरी तरह जल चुके अठारह भारतीय जवानों के शरीर से आ रही थी, डोगरा रेजीमेंट के फौजि ऑपरेशन की ड्यूटी पूरी कर वापस अपने देश को लौट रहे थे और ठीक इसी समय चंदेल जिले के इस हाईवे पर हथियारबंद अलगाववादी घात लगाकर बैठे हुए थे, सुबह के ठीक 8:30 बजे एंबुश लोकेशन पर पहुंचते ही इस डोगरा काफिले में शामिल ट्रक के ऊपर एक सरप्राइज अटैक कर दिया जाता है। अटैक जो बहुत ज्यादा तेज होता है और काफी ज्यादा खतरनाक भी होता है, घटना के बाद ईखटा की गई जानकारी के अनुसार इसके पीछे राज्य में सक्रिय अलगाववादी संगठनों का हाथ था, संगठन जिनके नाम थे NSCNK, KCP और KYKL। जिस डोगरा रेजीमेंट के फौजियों को निशाना बनाया गया था वह मणिपुर में अपना 3 साल का कार्यकाल खत्म करके और अटैक के समय इस यूनिट का हर जवान अपने परिवार से मिलने के लिए एक-एक दिन गिन गिन कर काट रहा था और यही बात लेफ्टिनेंट कर्नल ऑस्कर डेल्टा को अंदर ही अंदर खाए जा रही थी। उनको एक क्षण के लिए भी आराम से बैठने नहीं दे रही थी, अपने पूरे फौजी करियर में उन्होंने अलगाववादियों द्वारा किया गया इतने बड़े स्तर का अटैक पहले कभी नहीं देखा था, lieutenant ऑस्कर parasis यूनिट के second hand command थे और इस हमले के लिए जिम्मेदार अलगाववादी संगठन उन्हें बहुत अच्छे से जानते थे। वह जानते थे कि कर्नल कैसे दिखते हैं, उनके साथ क्या-क्या हो चुका है और अगर अपनी पर आ जाए तो क्या क्या कर सकता है। आर्मी जॉइंट करें लेफ्टिनेंट को 15 साल हो चुके थे और इसमें ज्यादा समय उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के पहाड़ी जंगलों में अलगाववादियों का सामना करते हुए ही बिताए थे। लाइन ऑफ ड्यूटी में असामान्य साहस का परिचय देने के लिए, उनकी छाती पर अनेकों मेडल्स सजे हुए थे, जिनमें से एक शौर्य चक्र भी था जो उन्हे 2004 में उनकी ब्रेवरी के लिए दिया गया था। मणिपुर Attack से ठीक 10 साल पहले, उस समय कैप्टन रहे डेल्टा की कमांड में पोस्टेड एक युवा फौजी, एक रंगरूट जो उन्हें बहुत प्यारा था उनके दिल के बहुत करीब था, जो अलगाववादियों के हाथों वीरगति को प्राप्त हो गया था। ऑस्कर डेल्टा इस घटना से इतने ज्यादा परेशान हुए थे कि उन्होंने 24 घंटों के अंदर-अंदर अपने फौजी की मृत्यु का बदला लेने की प्रतिज्ञा ले ली थी। बस फिर क्या था वह कमांडो की एक टीम बनाते हैं और 24 घंटे पूरे होने से पहले, इस हमले के लिए जिम्मेदार 11 में से 8 अलगाववादियों को एक-एक करके ऊपर भेज देते हैं। यही कारण था कि लेफ्टिनेंट कर्नल आतंकवादी की लिस्ट में टॉप पर चल रहे थे, मणिपुर में एक्टिव pla or una जैसे संगठनों ने उन पर जिंदा या मुर्दा इनाम भी घोषित किया हुआ था। लेकिन इसके बावजूद भी अपने कंधे पर राइफल टांगे भारतीय फौज का यह कमांडो नॉर्थईस्ट की सड़कों के ऊपर बिल्कुल अकेले पेट्रोलिंग किया करता था, लेकिन ऐसा भी नहीं था अपनी एक बहादुरी की लेफ्टिनेंट कर्नल डेल्टा को कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी थी। उनके ऊपर घोषित इनाम के चलते उन्हें अपने परिवार से दूर रहना पड़ रहा था। 10 साल पहले उनके परिवार को ही क्लासिफाइड लोकेशन पर शिफ्ट कर दिया गया था और तब से लेकर आज तक उनका पुश्तैनी घर बंद पड़ा हुआ था। लेफ्टिनेंट कर्नल ऑस्कर डेल्टा जानते थे कि मणिपुर अटैक की जवाबी कारवाई के लिए उनसे संपर्क ज़रूर किया जाएगा क्योंकि बात जब नॉर्थ ईस्ट में अलगाववादियों को ढूंढने की आती थी तो उनका पैरा SF यूनिट ही सही था, इसीलिए पूरी तैयारी के साथ वो ऊपर से order आने का इंतजार करने लगते हैं और जल्दी ही वो orders आ भी जाते हैं, ”कुछ बड़ा होने वाला है तैयार रहिए आर्मी चीफ आ रहे हैं”. उधर नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने बांग्लादेश दौरे पर जाने की तैयारी कर रहे थे, NSA अजीत दोवाल को भी उनके साथ जाना था लेकिन अहम मौके पर वह अपना प्लान cancel कर देते हैं। आर्मी चीफ जनरल दलवीर सिंह को UK के दौरे पर निकलना था लेकिन वह भी अपना tour पोस्टपोनड कर देते हैं और ये साफ हो चुका था की कुछ बड़ा नहीं बहुत बड़ा होने वाला है। अब वह बहुत बड़ा क्या होने वाला है यह हम जानेंगे next video में और आपको बता दे कि टाइगर की आने वाली फ़िल्म rambo की story भी ऐसी ही story पर based होने वाली है, तो बने रहे हमारे साथ। Divanshu
Tridev 2
Dharam pal Singh ek aise neta hai jinhone jeb mein ek phuti kaudi nhi hotey huye bhi sapne bahut bade bade dekh rakhe the jinko