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DCP को लागा तगड़ा झटका

15 feb 1995 रात के 10:00 बजे क्राइम ब्रांच मुंबई जय हिंद सर वह सताया के एक आदमी को उठाया है आप एक बार प्लीज उससे पूछताछ कर लीजिए। क्राइम ब्रांच के डीसीपी राकेश मरिया और उनकी टीम काफी समय से डी कंपनी के गैंगस्टर सुनील सावंत उर्फ सत्या के पीछे पड़े हुए थे और अभी कुछ दिन पहले इंस्पेक्टर दिनेश कदम को उसके करीबी दोस्त के बारे में जानकारी मिली थी, इस जानकारी के अनुसार इस दोस्त ने बहुत कम समय में बहुत ज्यादा पैसा कमा लिया था। पैसा जिसे उड़ाने वह हर रात चेंबूर के एक डांस बार में आया करता था, इसी जानकारी के आधार पर इंस्पेक्टर कदम ने सत्या के इस आदमी को उठा लिया था और अब वो रंगीन डांस बार की जगह क्राइम ब्रांच के ब्लैक एंड वाइट लॉकअप में बैठा हुआ था, सत्या के सुपारी धंधे को ले डीसीपी मारिया के दिमाग में कई सवाल चल रहे थे उसके शार्प शूटर्स कौन है? उसके लिए फंड कौन हैंडल करता है? कौन सुपारी उठाता है? इत्यादि अभी डी सी पी मरिया इन सवालों के बारे में सोच ही रहे थे कि इंस्पेक्टर कदम उस आदमी के साथ उनके ऑफिस में प्रवेश करते हैं। डीसीपी राकेश मारिया उससे पूछते हैं बहुत पैसा कमाया है क्या? कॉन्ट्रैक्ट लेते हो या देते हो? चलो जल्दी बताओ पैसा कैसे बनाते हो… तो वह अपने दोनों हाथ जोड़कर कपती हुई आवाज में उत्तर देता है, ऐसी कोई बात नहीं है, मैं तो बहुत गरीब आदमी हूं, मां कसम, जैसे ही यह आदमी इन शब्द का इस्तेमाल करता है, इंस्पेक्टर कदम उसकी गर्दन पर एक जोर का तमाचा जड़ देते हैं, सर यह झूठ बोल रहा है इसके पास मर्सिडीज़ है। तो मर्सिडीज में घूमते हो, फिर तो तुम पक्का अंडरवर्ल्ड के साथ सुपारी धंधे में शामिल हो। देखो सब सच सच बता दो पता तो हम वैसे ही लगा लेंगे लेकिन फिर मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा, सड़ते रहना फिर जिंदगी भर जेल में, अपनी बात खत्म करते ही डी सी मरिया अपनी मेज पर पड़े कुछ कागजों के ऊपर साइन करने में लग जाते हैं. नहीं साहब, मैं कोई सुपारी नहीं लेता, मैं तो वो मैच फिक्सिंग से पैसे बनाता हूं, इस आदमी के मुंह से यह सुनते ही राकेश मारिया बहुत ज्यादा कंफ्यूज हो जाते हैं। मैच फिक्सिंग अपने जीवन में आज पहली बार वह शब्द सुन रहे थे क्या वो क्या होता है? तुम्हारा मतलब मैच मेकिंग तो नहीं? अरे लड़कियों का धंधा करते हो क्या? Sir, मां कसम मैं नहीं लड़कियों का धंधा करता हूं और ना ही कोई कॉन्ट्रैक्ट killer या मडरर हूं, मैं तो अनीस इब्राहिम और सत्य के लिए क्रिकेट के मैच फिक्स करता हूं। इधर इस आदमी की बात खत्म होती है और उधर राकेश मारिया के हाथों से उनका pen छूट कर नीचे गिर जाता है और हैरान चेहरे के साथ बिना कुछ बोले वह इंस्पेक्टर कदम को गुरने लगते हैं, यह क्या बकवास कर रहा है कदम क्रिकेट खेलने और देखने के बहुत बड़े शौकीन डीसीपी मरिया को अंडरवर्ल्ड के इस आदमी की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था या फिर यूं कहें कि वह विश्वास करना ही नहीं चाहते थे। वो सारे 4,6 जिन पर मैं अपनी कुर्सी से उछलने लगता हूं, वो सारी डक्स, व्हाइट बॉल्स और no बॉल्स जिन पर मैं अपने खिलाड़ियों को गालियां बकता हूं, वो सारे लास्ट ओवर वाले थर्लर match जिन्हें देख मेरे दिल की धड़कन रुक जाती है, क्या वह सब एक झूठ है? एक छलावा है, क्या मेरी क्रिकेट टीम के हीरो हीरो नहीं फ्रॉड है, देश के तिरंगे को अपनी छाती पर लगाने वाले खिलाड़ी कहीं करोड़ों लोगों की भावनाओं के साथ कोई खिलवाड़ तो नहीं कर रहे हैं? sir agar आप को मुजपर विश्वास नहीं है तो मैं ये बात साबित कर सकता हूं अभी डीसीपी मरिया एक सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे थे कि तभी सोतेया का आदमी उन्हें दूसरा झटका दे डालता है, sir कल सवेरे इंडिया न्यूजीलैंड का मैच है मैं आपको कल ही दिखा सकता हूं कि फिक्सिंग कैसे होता है। न्यूजीलैंड क्रिकेट की स्थापना 27 दिसंबर 1894 के दिन क्राइस्टचर्च में की गई थी और इसके 100 साल पूरा होने के अवसर पर न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ एक odi टूर्नामेंट खेल रहा था। उधर नेपियर में इंडिया और न्यूजीलैंड का मैच शुरू होने में केवल कुछ ही घंटे रह गए थे और इधर मुंबई क्राइम ब्रांच के ऑफिस में बैठा अंडरवर्ल्ड का एक आदमी मैच के फिक्स होने का दावा कर रहा था, जिसके बाद डीसीपी मरिया उसे बोलते हैं ठीक है तुम मेरे फोन से अपना काम चालू करो हम सिर्फ ऑब्जर्व करेंगे, नहीं सर वह outer मुंबई में एक pco है मैं बस वहीं से कॉल कर सकता हूं और वापस रिप्लाई भी उसी फोन पर आता है किसी और नंबर से कॉल किया तो उसको शक हो जाएगा साहब, साहब में उस pco से players को कॉल करूंगा आप व्ही मेरे साथ खड़े रहना कोई और रास्ता ना देख डीसीपी मरिया इंस्पेक्टर दिनेश कदम और उनकी टीम को इस fixer के साथ उस पीसीओ पर जा फिक्सिंग का प्रोसेस अच्छे से observer करने को कहते हैं, और खुद मैच शुरू होने के इंतजार में अपनी टीवी के सामने बैठ जाते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि उस fixer का यह दावा गलत साबित हो, इंडिया न्यूजीलैंड के बीच ये odi match 16 feb 1995 की l सुबह mclean ground Napier ग्राउंड में खेला जाना था। भारतीय समय अनुसार इस मैच को सुबह के 4:00 बजे शुरू होना था और उससे कोई आधे घंटे पहले डीसीपी राकेश मारिया के पास इंस्पेक्टर कदम की कॉल आती है sir, उन लोगो ने डिसाइड किया है कि इंडिया यह मैच हार जाएगा, अपनी आवाज में एक उदासी लिए इंस्पेक्टर कदम यह कहते हैं और इधर हताश हो रहे डीसीपी मरिया अपना फोन नीचे रख देते हैं। मैच शुरू हो जाता है और न्यूजीलैंड टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का निर्णय करता है। भारतीय पारी का आगाज करने अजय जडेजा और सचिन तेंदुलकर पिच पर उतरते हैं। 5 ओवर के बाद भारत का स्कोर बिना किसी नुकसान के 20 रन पर पहुंच चुका था कि तभी न्यूजीलैंड के कैप्टन ken Rutherford अपने left arm फास्ट बॉलर murphy su’a को बोल देते है। बैकफुट पर डिफेंस करने के बाद सचिन तेंदुलकर सिंगर लेने के लिए दौड़ते हैं और बड़े ही आराम से क्रीज के अंदर पहुंच जाते हैं, लेकिन दूसरे छोर पर अजय जडेजा मूवीग पोजीशन में होने के बावजूद भी ऐसा नहीं कर पाते और 21 गेंदों में मात्र 7 रन बना पवेलियन वापस लौट जाते हैं। मैच से पहले कमेंटेटर भारतीय टीम को फेवरेट बता रहे थे, वह 45.5 ओवर में महज 160 के स्कोर पर ऑल आउट हो गई। बेहद कम लक्ष्य के जवाब में न्यूजीलैंड की टीम ने इस टूर्नामेंट का दूसरा मैच केवल 32 ओवर में 6 विकेट खोकर जीत लिया. हजारों मील दूर अपने ऑफिस में लाइव मैच देख रहे डीसीपी मार्या को कुछ समझ नहीं आ रहा था, टूटे दिल से उन्होंने टीवी बंद कर दिया और इंस्पेक्टर कदम को मिलने के लिए बुला लिया. फिर इंस्पेक्टर कदम उनको मैच फिक्सिंग का यह पूरा प्रोसेस विस्तार से समझाते हैं। पहले से फिक्स टाइम पर सताया के fixer ने इंडियन टीम के एक बड़े खिलाड़ी को फोन किया था, जो अपने साथ साथ दो और खिलाड़ियों के लिए जिम्मेदार था। भारतीय टीम के तीनों खिलाड़ी दाऊद गैंग के लिए तो फिक्सिंग कर ही रहे थे, लेकिन और ज्यादा कमाई करने के लिए अपने खुद के पैसों से भी bet लगाया करते थे। इंडियन टीम के सपोर्ट स्टाफ के सीनियर मेंबर को bag men का जिम्मा सौंपा गया था, मतलब fixer से पैसे कलेक्ट कर इन खिलाड़ियों तक उनके हिस्से पहुंचाना इसी आदमी की जिम्मेदारी थी, क्योंकि इन तीनों खिलाड़ियों को मैच का नतीजा पहले से ही पता होता था इसलिए फिक्सिंग के साथ-साथ यह बैटिंग से भी एक मोटी कमाई कर रहे थे। 16 फरवरी 1995 के दिन हुए इस मैच से मात्र कुछ ही घंटों में बुकीज ने 43 करोड रुपए की कमाई कर ली थी। आज के टाइम पर कैलकुलेट करु तो होता है 245 cr। इंस्पेक्टर कदम से यह सारी बातें सुन डीसीपी राकेश मारिया का दिल बहुत बुरी तरह टूट चुका था। क्रिकेट से बेइंतहा प्यार करने वाले इस भारतीय नागरिक को अभी इस खेल से नफरत सी होनी शुरू हो गई थी। डीसीपी मारिया बहुत बुरी तरह टूट चुके थे क्रिकेटर के तौर पर तो उन्हे दुख हो ही रहा था, लेकिन एक पुलिस ऑफिसर के तौर पर वह और भी ज्यादा परेशान हो गए थे। क्राइम ब्रांच के डीसीपी होने के नाते उन्हें जो जिम्मेदारियां मिली हुई थी, उनमें अंडरवर्ल्ड पर लगाम कसने के साथ-साथ आतंकवाद पर नजर बनाए रखना भी शामिल था। अंडरवर्ल्ड और सीमा पार से स्पॉन्सर होने वाले आतंकवाद के कनेक्शन को डीपीपी मारिया से बेहतर शायद ही कोई समझ सकता था, और

 यही कारण था मैच फिक्सिंग के खुलासे से उनका मन बहुत ज्यादा टूट गया था। वह जानते थे कि इंडिया न्यूजीलैंड के इस मैच से कमाए गए करोड़ों रुपए का एक मोटा हिस्सा दाऊद से होता हुआ पाकिस्तान की आईएसआई तक जरूर पहुंचेगा और फिर इसी पैसे का इस्तेमाल कर आईएसआई भारत के अंदर आतंकी घटनाओं को अंजाम देगी।

अब पुलिस इस मैच फिक्सिंग के स्कैंडल को कैसे रोकती है यह मैं आपको नेक्स्ट वीडियो में बताऊंगा।

Divanshu

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