Part 1
Wanted 2
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Mumbai में मची अफरा-तफरी
25 August 1994 सुबह 10:00 बजे JD Alves society बांद्रा से वाइट कलर की एंबेसडर कार निकलती है तभी अचानक दो आदमी कार के सामने आ जाते हैं और ak-56 राइफल से ताबड़तोड़ गोलियां चलाना शुरु कर देते हैं। ambassador car driver बाहर निकल कर भागने की कोशिश करता है लेकिन घायल होकर नीचे गिर पड़ता है, ड्राइवर की साथ वाली सीट पर बैठे पुलिस गार्ड कांस्टेबल bhikru तड़वी भी अपनी गन से हमलावर को जवाब देने की कोशिश करते हैं और उसमें वह वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं और गाड़ी के पिछली सीट पर बैठे आदमी की भी मौत हो जाती है और सड़क से गुजर रहे 2 लोग भी घायल हो जाते हैं। चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है लोग इधर-उधर भागने लगते हैं और चिल्लाने लगते हैं और इस मौके का फायदा उठाते हुए दोनों हमलावर गायब हो जाते हैं यह सब मुंबई की सबसे व्यस्त सड़क पर दिनदहाड़े हुआ, दुकानदार अपनी दुकानें बंद कर रहे थे और यह खबर जंगल में आग की तरह फैल गई पुरे मुंबई शहर में। ये वो वक्त था जब मुंबई में अंडरवर्ल्ड शूटआउट होना आम बात थी, फिर इस घटना में ऐसा क्या हुआ जिसने पूरे मुंबई शहर को हिला कर रख दिया? ऐसा इसलिए क्योंकि मारा गया शख्स कोई आम आदमी नहीं बल्कि बीजेपी के शहर अध्यक्ष रामदास नायक थे. इस हमले के 15 मिनट के अंदर अंदर मुंबई पुलिस के कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर और डीसीपी समेत सभी बड़े पुलिस ऑफिसर मौके पर आ गए। यह वो टाइम था जब मुंबई में ऑलरेडी काफी टेंशन चल रहा था, एक तरफ 1993 के दंगे और धमाके से अभी मुंबई पूरी तरह से बाहर आई भी नहीं थी और दूसरी तरफ दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन की दुश्मनी ने अंडरवर्ल्ड में भी धर्म की दीवार खड़ी कर दी थी, यही वजह थी कि मुंबई पुलिस सारे हिंदू पॉलीटिशियन की सुरक्षा बढ़ाना शुरू कर देती है। रामदास नायक मुंबई के सबसे लोकप्रिय भाजपा नेता थे और वे विधानसभा के सदस्य भी थे। रामदास नायक की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नायक के बोलने से ही आडवाणी दिल्ली से मुंबई आ जाते थे, मतलब नायक मुंबई में बीजेपी के हीरो थे लेकिन 1994 में उनकी हत्या के बाद विपक्ष सरकार पर दबाव बना रहा था तो दूसरी ओर इधर, मीडिया भी इस मामले को लेकर मुंबई पुलिस को निशाने पर ले रहा था.
इस घटना के बाद महाराष्ट्र के उस वक्त के मुख्यमंत्री शरद पवार पुलिस कमिश्नर, डीसीपी और ज्वाइंट कमिश्नर को अपने वर्षा स्थित घर पर बुलाया और उन तीनों पर जमकर भड़ास निकालते है, जिसके बाद पुलिस कमिश्नर डीसीपी पर और डीसीपी अपने जूनियर्स पर भड़ास निकालते हैं। अपनी पूरी भड़ास निकालने के बाद डीसीपी अपनी टीम के साथ एक मीटिंग करते हैं और अपने ऑफिसर को इस केस के ऊपर जानकारी निकालने के लिए रात 10:00 बजे तक का समय देते हैं। 8:00 बजे के आसपास मारिया के सबसे अनुभवी ऑफिसर उनके ऑफिस में दाखिल होते हैं और कहते हैं, हमने सेक्शन गर्म कर दिया है, मुंबई पुलिस की भाषा में इसका मतलब यह था कि इनफॉर्मर को एक्टिव कर दिया गया है और इलाके के सभी नामी-गिरामी गुंडे और शार्प शूटर की धरपकड़ भी शुरू हो गई है, जिसके बाद राकेश मारिया अपने ऑफिसर से पूछते हैं इन सब का कोई फायदा हुआ या नहीं? तो ऑफिसर उत्तर देता है हां सर उन लोगों का मैसेज आया है वह लोग शूटिंग में इस्तेमाल हुआ हथियार और डमी आरोपी को पुलिस के हवाले करना चाहते हैं जिससे कि आप यह केस आसानी से सॉल्व कर लो, कुछ सेकंड सोचने के बाद मारिया को समझ में आता है की अंडरवर्ल्ड पुलिस के साथ एक डील करना चाहता है, जिससे कि पुलिस और अंडरवर्ल्ड दोनों के ऊपर से ही दबाव कम हो जाए. अपने टॉप के शूटर्स को बचाने के लिए वह साधारण से शूटर देने को तैयार है और साथ ही इस केस में इस्तेमाल हुए हथियार भी जिससे कि फॉरेंसिक जांच के बाद मारिया के इन्वेस्टिगेशन के ऊपर कोई सवाल ना उठाए. थोड़ी देर सोचने के बाद मारिया ने अपने इस ऑफिसर से कहते हैं कि इस तरीके से डिटेक्शन करना है! मैं जानता हूं कि आप 25 साल से पुलिस में हो और मुझसे कई ज्यादा अनुभवी भी लेकिन एक बार मैंने ऐसे तरीके अपनाने शुरू कर दिए तो मैं अपनी नजरों में गिर ही जाऊंगा। लेकिन इसके साथ ही मैं अपनी पहचान हमेशा के लिए खो दूंगा और हम उनके हाथों की कठपुतली बन जाएंगे। नहीं, हम इस तरह से केस नहीं सुलझाना चाहते, हम केस को अपने आप सुलझा लेंगे, हम कोई समझौता नहीं करेंगे। रामदास नायक के अंतिम संस्कार के अगले दिन, राकेश मारिया और उनकी टीम अपना काम शुरू करती है जल्दी पुलिस को पता चलता है कि नायक के हत्यारे हिल रोड से बांद्रा स्टेशन की तरफ भाग्य थे और इसी रास्ते पर चौराहे के पास पुलिस को उनके द्वारा यूज़ की गई बाइक मिल जाती है। Bandra station के पास पुलिस को एक ऑटो मिलता है, जिसके अंदर पुलिस को हमलावर द्वारा यूज़ किए गए हथियार बरामद होते हैं। देखते ही देखते 20 दिन से ज्यादा का समय बीत जाता है, इस केस को creak करने में पुलिस पूरे जी-जान से लगी हुई थी, लेकिन अभी तो नायक के हत्यारों की पहचान करने के आसपास भी नहीं पहुंच पाई थी। सितंबर की एक दोपहर, राकेश मारिया अपने ऑफिस में बैठे कुछ पुरानी फाइल्स देख रहे होते हैं कि तभी उनका फोन रिंग करता है। राकेश मारिया फोन उठाते हैं तो उनका पिए उन्हें बताता है कि एक आदमी उन्हें कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहता है। मारिया तुरंत उसकी कॉल कनेक्ट करने को कहते हैं। फीर सामने से आवाज आती है साहब, आपको रामदास नायक केस में जानकारी चाहिए क्या? दूसरी तरफ से सांप हिंदी बोल रहे एक आदमी की आवाज सुनकर मारिया को अपने कानों पर यकीन नहीं होता और वह किसी तरह अपनी उत्सुकता छुपाते हुए कहते हैं हां हां बताओ क्या इंफॉर्मेशन है? नहीं साहब, ऐसे नहीं बताऊंगा, आपको मुझसे मिलने आना होगा। यह सुनते ही राकेश मारिया के रोंगटे खड़े हो जाते हैं और वह थोड़ी सी सावधानी बरतते हुए कहते हैं, क्या तुमसे मिलने आना होगा? वैसे कहां आना होगा? बिना एक पल भी गवाये वह आदमी कहता है, साहब मैं आपके लिए अपनी कार भेज दूंगा। अब तो राकेश मारिया एकदम चौकाने हो जाते हैं क्योंकि फोन पर एक अनजान आदमी मुंबई पुलिस के डीसीपी को गाड़ी भेज कर अपने पास आने को कह रहा है। मारिया सोचने लगते हैं यह कोई trap भी हो सकता है, लेकिन इस समय तक वह इतने ज्यादा परेशान हो चुके थे कि यह सब करने को भी वह तैयार थे, जिसके बाद वह बोलते हैं ठीक है, कब और कहां आना है, दूसरी तरफ से आंसर देते हुए कॉलर बताता है कि थोड़ी ही देर में आपके ऑफिस के सामने बादशाह कोल्ड ड्रिंक हाउस के बाहर। कुछ सेकंड सोचने के बाद मारिया कहते हैं ठीक है और वह आदमी खुदा हाफिज बोल कर फोन रख देता है।
अब वो अनजान आदमी क्या इंफॉर्मेशन देता है यह मैं आपको नेक्स्ट वीडियो बताऊंगा।और सलमान भाई की आने वाली wanted 2 की story भी ऐसी ही story पर based होने वाली है तो क्या होता है आगे जानने के लिए बने रहे हमारे साथ।
Divanshu