Artist बना RAW ऑफिसर!
एक बार की बात है अपने देश भारत में एक ऐसा भी इंसान था जो theatre artists था, RAW ऑफिसर था और बाद में जाकर वो पाकिस्तान आर्मी में मेजर भी बना । जी हां ये कहानी है भारत के महान स्पाई रविंद्र कौशिक के बारे में ।
कहानी भारत के आजादी के कुछ 20 साल के बाद की है , लखनऊ में एक रंगारंग कार्यक्रम चल रहा था । कार्यक्रम देश भक्ति से भरा हुआ था, और उसमें भारत के तमाम मंत्री और ऑफिसर आए हुए थे । कार्यक्रम में एक नवयुवक जासूस की भूमिका कर रहा था । उसकी उम्र कुछ 20-25 साल रही होगी , उसकी एक्टिंग स्किल इतनी वास्तविक मालूम हो रही थी कि वहां बैठे सभी लोग उस कार्यक्रम में खो से गए थे ।
कार्यक्रम के बाद RAW ऑफिसर उस कार्यक्रम के प्रबंधक से मिले , और उनसे पूछा की एक जासूस की भूमिका कौन अदा कर रहा था ? प्रबंधक ने उनको बताया कि रविंद्र नाम का यह युवक है जो राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले का निवासी है |
कुछ ही महीनों बाद दक्षिणी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी नामक समूह का उदय होता है जो उत्तरी पाकिस्तान से दक्षिणी पाकिस्तान को अलग कराना चाहते थे क्योंकि उत्तरी पाकिस्तान वाले दक्षिणी पाकिस्तान पर काफी ज्यादा जुर्म किया करते थे और शेख mujahiduddin Rahman के चुनाव में जीत के बावजूद उनको प्रधानमंत्री मानने को तैयार नहीं थे । अंततः उत्तरी पाकिस्तान और दक्षिणी पाकिस्तान का युद्ध होता है और दक्षिणी पाकिस्तान भारत से मदद की गुहार लगाता है । भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भारत की सेना दक्षिणी पाकिस्तान की सहायता के लिए भेज देते हैं । दक्षिणी पाकिस्तान आजाद हो जाता है और एक नया देश बनता है जिसे हम बांग्लादेश के नाम से जानते हैं और यहीं से शुरू होता है वह दौर जब पाकिस्तान भारत में काफी ज्यादा आतंकवादियों और जासूसों को भेजना शुरू कर देता है ।
भारत के RAW ऑफिसर्स को ऐसे व्यक्ति की तलाश थी जो पाकिस्तान में जाकर उनकी आर्मी में सम्मिलित होकर भारत के लिए काम करें । फिर उनको रविंद्र कौशिक की याद आती है ।
क्योंकि रविंद्र कौशिक को ना केवल एक्टिंग में निपुणता थी अपितु वे पंजाबी बोलने में भी निपुण थे ।
RAW officer बनने के बाद रविंद्र कौशिक को 2 साल के लिए दिल्ली में गहन प्रशिक्षण दिया गया था । उन्हें इस्लाम धर्म की धार्मिक शिक्षा दी गई और पाकिस्तान के बारे में वहां के दर्शनीय स्थलों के बारे में और पाकिस्तानी के इतिहास के बारे में पढ़ाया गया । उनको उर्दू लिखने, बोलने तथा पढ़ने में निपुण बनाया गया ।
अब समय आता है 1975 का जब उन्हें पाकिस्तान में भेजा गया और उनका बदला हुआ नाम नबी अहमद शाकिर रखा गया । उन्होंने कराची विश्वविद्यालय का एंट्रेंस एग्जाम पास किया और वहां पर दाखिला लेने में सफल रहे । उन्होंने वहां से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की । आगे जाकर वे आर्मी की तैयारी करने लगे और 2 वर्षों की गहन मेहनत के बाद में हो पाकिस्तानी सेना में शामिल हो गए । अब धीरे-धीरे अपनी काबिलियत की वजह से वह सेना में प्रोन्नति को प्राप्त करते रहें और मेजर बन गए । उन्होंने पाकिस्तान की ही एक लड़की अमानत खान से शादी की तथा 1 वर्ष पश्चात उनको एक बेटा हुआ ।
1979 से 1983 तक उन्होंने पाकिस्तानी सेना के काफी सारे राज भारतीय सेना को बताएं जिसकी वजह से भारत ने पाकिस्तान के काफी सारे घुसपैठियों को पकड़ा और पाकिस्तान के काफी सारे नापाक मंसूबों का सफाया किया । उन्हें भारत के तत्कालिक गृह मंत्री एसबी चौहान द्वारा ब्लैक टाइगर ऑफ़ इंडिया का खिताब दिया गया उन्होंने पाकिस्तानी सेना में रहकर भारती सेना के लिए जो काम किया को अभूतपूर्व व अतुलनीय है ।
कहानी 1983 की है जब भारत की एक एजेंट इनआयात मसीहा पाकिस्तान गई थी । लेकिन उसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने पकड़ लिया । और काफी यातनाएं सहने के बाद में हिम्मत हार गई और वह RAW ऑफिसर है , यह बात कबूल दिया । फिर क्या था यातनाएं बढ़ती गई और इनायत मसीहा एक के बाद एक ऑफिसर्स के नाम को बोल दी गई । फिर पाकिस्तानी आर्मी को एक ऐसे RAW ऑफिसर्स के बारे में पता चला, जो उनके ही सेना में मेजर था और उनके ही खिलाफ काम करता था । फिर क्या था पाकिस्तानी आर्मी ने इनायत मसीहा को रविंद्र कौशिक को एक पार्क में मिलने के लिए बुलाने पर मजबूर कर दिया और जब रविंद्र कौशिक वहां पर आए तो पाकिस्तानी आर्मी ने उन्हें धर दबोचा ।
1985 का वह समय था जब पाकिस्तान के सियालकोट ने रविंद्र कौशिक को सजा ए मौत की सजा सुनाई । बाद में रविंद्र कौशिक को यातनाएं देने के लिए उनकी सजा ए मौत की सजा आजीवन कारावास में तब्दील कर दी गई । रविंद्र कौशिक को 16 साल तक सियालकोट ,लखपत और मियां बनती जेल सहित विभिन्न जिलों में रखा गया । जेल में रहते हुए रविंद्र कौशिक जी ने बहुत सारी यात्राएं सही और यातनाएं चाहते चाहते वह दमा और टीवी की बीमारी से बीमार पड़ गए लेकिन अपने जासूसी दिमाग की क्षमता से और कई बार अपने पत्र अपने परिवार को भेजने में कामयाब रहे जहां पर उन्होंने पाकिस्तान में होने वाली यात्राओं के बारे में लिखा और अपनी तबीयत खराब होने की बात कही । लेकिन क्योंकि RAW भारत की एक खुफिया एजेंसी है और खुफिया एजेंसी की बातें हमेशा गुप्त ही रहती है इसीलिए भारत सरकार ने उन्हें छुड़ाने के लिए कोई कोशिश नहीं की ।
अंततः नवंबर 2001 में भारत का वीर सपूत जो फेफड़े और दिल की बीमारी से जूझ रहा था , भारत मां को अलविदा कहा गया है ।
रविंद्र कौशिक जी चले गए लेकिन उनकी इस वीरता भरी जीवन की वजह से काफी सारे नौजवान भारतीय सेना और RAW में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए ।
ऐसे ही कुछ स्टोरी Black Tiger Movie में आ सकती है आप फिल्म के लिए कितने एक्साइटेड हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं हम फिर मिलेंगे ऐसी ही एक और नई Movie की कहानी के साथ तब तक के लिए नमस्कार ।