Soldier जो Grenade से खेल गया!

1971 का समय था, पूर्वी पाकिस्तान के नेता शेख मुजीब उर रहमान चुनाव जीत गए थे लेकिन पश्चिमी पाकिस्तान को उनका प्रधानमंत्री बनना स्वीकार नहीं था और उस समय पश्चिमी पाकिस्तान वाले पूर्वी पाकिस्तान पर काफी ज्यादा जुल्म किया करते थे फिर पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति वाहिनी नामक सेना का उद्भव होता है ।

मुक्ति वाहिनी और पाकिस्तान आर्मी के बीच में काफी लंबा संघर्ष चल रहा था । इसी बीच पाकिस्तानी सेना ने भारतीय वायुसेना के 11 स्टेशनों पर हमला कर दिया फिर क्या था इसी के साथ भारतीय सेना भी युद्ध के मैदान में कूद पड़ी । और इस युद्ध का अंत 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी आर्मी के ढाका समर्पण, और बांग्लादेश के उद्भव के साथ में हुआ ।

लेकिन इस युद्ध में भारतीय सेना और पाकिस्तानी सेना के बीच में काफी लंबा युद्ध चला और इसी युद्ध में युद्धवीर बनकर उभरे भैरव सिंह राठौर ।

भैरव सिंह राठौर का जन्म 1941 में  जोधपुर जिले के सोलंकियातला गांव में हुआ था । उनका जन्म राजपूत परिवार में हुआ था । भैरव सिंह राठौर बचपन से ही बहुत हटे कट्टे, प्रतिभाशाली और बुद्धिमान चरित्र के व्यक्ति थे ।

भैरव सिंह राठौर जब बड़े हुए तो दिखने में बहुत ही अच्छे थे । उनको देखकर जोधपुर की लड़कियां कहती थी ” चौड़ी छाती घुंघराले बाल दूर से देखे तो लगे दिलीप कुमार

भैरव सिंह राठौर का विवाह प्रेम कनवर नामक लड़की से हुआ जिससे उनको एक बेटा सवाई सिंह हुआ ।

1963 में भैरव सिंह राठौर ने बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स ( BSF ) ज्वाइन किया । जॉइनिंग के 7 साल बाद पाकिस्तान का भारत के एयर हवाई अड्डे पर हमला हुआ । भैरव सिंह राठौर उस समय लांस नायक के तौर पर कार्यरत थे ।

5 दिसंबर, 1971. जंग के दौरान थार रेगिस्तान में बनी लोंगेवाला पोस्ट पर भैरों सिंह राठौड़ BSF की एक छोटी टुकड़ी की कमान संभाल रहे थे. उनके साथ सेना की 23 पंजाब रेजिमेंट के 120 जवानों की कंपनी भी थी. पाकिस्तानी सैनिकों की ब्रिगेड और टैंक रेजिमेंट ने हमला कर दिया. कोई तत्काल सपोर्ट मुमकिन नहीं था, तो सैनिकों को पीछे हटने के लिए कहा गया. वो नहीं माने और 125-26 जवानों ने 2000 पाकिस्तान सैनिकों और टैंक रेजिमेंट की पूरी कंपनी से भिड़ गए ।

भारत माता की जय और जय भवानी जयघोष के साथ में भारतीय सेना ने युद्ध आरंभ किया । दोनों तरफ से लगातार फायरिंग हो रही थी रात का समय हो गया था अब समझ में नहीं आ रहा था कि दुश्मन कहां छिपा बैठा है लेकिन फायरिंग अभी तक हो रही थी। जहां पाकिस्तानी अपनी पूरी सेना और पूरी ताकत के साथ आए थे वहां भारतीय सैनिक नाम मात्र के ही थे लेकिन भारतीय सैनिकों ने अपनी वीरता और बुद्धिमानी का परिचय दिया । लगातार दोनों तरफ से गोलियों की बौछार हो रही थी समझ नहीं आ रहा था कि कितने पाकिस्तानी सैनिक मरे और कितने भारतीय । लेकिन इतना तो अंदाजा हो गया था कि पाकिस्तान को आसानी से जीत नहीं मिलने वाली थी ।

इस युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका पाकिस्तान के साथ खड़ा था । अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना को कई सारे टैंक, हथियार और रात में मार कर सकने वाली लड़ाकू विमान दिए थे । जबकि भारतीय वायु सेना के पास में ऐसा कोई हथियार नहीं था भारतीय वायु सेना का लड़ाकू विमान केवल दिन में ही हमला करने में सक्षम था ।

अमेरिका ने पाकिस्तानी सेना को उस समय की सबसे बड़ी पनडुब्बी मिसाइल ” गाजी ” दी थी । जिसको मौत का दूसरा रूप माना जाता था । 1971 के युद्ध के समय भारत का सबसे बड़ी विमान वाहक पोत INS विक्रांत थी । जिसे मारने के लिए पाकिस्तानी सेना ने विश्व की सबसे बड़ी लड़ाकू पनडुब्बी पी एन एस गाजी को भेजा था । जिसे आई एन एस विक्रांत के पास पहुंचने से पहले ही आई एन एस राजपूत ने डूबा दिया था । एक तरफ जहां भारतीय नौसेना पाकिस्तानी नौसेना और पी एन एस गाजी से लड़ रही थी वही भारतीय आर्मी की छोटी सी टुकड़ी लूंगी वाला में पाकिस्तानी आर्मी से युद्ध कर रही थी ।

थार के रेगिस्तान में लोंगे वाला पोस्ट पर धीरे-धीरे पाकिस्तान और भारतीय आर्मी दोनों की हालत गंभीर हो चली थी । जहां पाकिस्तानी आर्मी लगातार अमेरिका द्वारा दिए गए बमवर्षक विमानों से भारतीय टैंकरों को को ब्लास्ट कर रही थी । लगातार हो रही बमों की बारिश की वजह से भारतीय सेना के पास नाम मात्र के सैनिक और टैंक ही शेष रह गए थे । और पाकिस्तानी आर्मी के भी हौसले पूरी तरह से पस्त हो गए थे भारतीय सैनिकों के ऐसे पराक्रम को देखकर आधा से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक भाग खड़े हुए थे ।

धीरे-धीरे सुबह का समय नजदीक आ रहा था और भारतीय वायु सेना अपने विमान तैयार कर रही थी । सूरज की पहली किरण के साथ थी भारतीय वायु सेना ने भी युद्ध में अपने लड़ाकू विमान उधार दिए अब पाकिस्तान की बची कुची सेना भी धराशाई हो गई । और थार के रेगिस्तान में बने लोंगे वाला पोस्ट पर भारतीय झंडा फिर से लहराने लगा ।

कुछ लोग कहा करते हैं कि जब भारतीय सेना के पास एक ही ग्रेनेड बचा तो भारतीय सेना के नायक भैरव सिंह राठौर जी अपने हाथ में ग्रेनेड लेकर पाकिस्तानी आर्मी की गोली खाते हुए पाकिस्तानी टैंक पर जाकर कूद गए । लेकिन भारतीय सेना की ऑफिशियल रिपोर्ट किए माने तो भैरों सिंह राठौर जी उस युद्ध मे शहादत को नहीं प्राप्त हुए थे ।

भैरव सिंह राठौर के अदम्य साहस और वीरता को देखते हुए 1972 में उन्हें सेना पदक से भी सम्मानित किया गया । भारतीय सेना में अपनी सेवा देने के बाद में 1987 में भैरव सिंह जी सेवानिवृत्त हुए । दिल की लंबी बीमारी के चलते 18 दिसंबर 2022 को उनको एम्स में भर्ती कराया गया जहां उपचार के दौरान 20 दिसंबर 2022 को भारत के इस महान वीर ने अपनी अंतिम सांस ली ।

ऐसे ही कुछ स्टोरी Black Tiger Movie  में आ सकती है आप फिल्म के लिए कितने एक्साइटेड हैं हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं हम फिर मिलेंगे ऐसी ही एक और नई Movie की कहानी के साथ तब तक के लिए नमस्कार ।

Ritik Tiwari

 

Comment Your Thoughts.....

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments

Related Post

Dabangg 4,Salman Khan,Bollygrad Studioz bollygradstudioz.com

Dabangg 3

6 साल के भानू के माता-पिता दोनों ही पुलिस में थे। जब दोनों duty पर जाते तो भानु के दादा दादी के पास भानू को

Read More »
KGF 3, Yash, Sanjay Dutt, Bollygrad Studioz bollygradstudioz.com

KGF-3

Yeh kahani hai Underworld Don Tiger Memon ki, jiska janam 1960 me, Mumbai ke Ali road ilaake me Ibrahim Mushtaak Abdul Razaak Naadim Memon ke

Read More »
satyaprem ki katha

Rocky rani ki prem kahani

करण जौहर फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ से डायरेक्शन फील्ड में वापसी करने वाले हैं. फिल्म का टीज़र आ चुका है. जिसे मिक्स्ड

Read More »

Bollygrad Studioz

Get the best streaming experience

Contact Us

41-A, Fourth Floor,

Kalu Sarai, Hauz Khas,

New Delhi-16

 

011 4140 7008
bollygard.fti@gmail.com

Monday-Saturday: 10:00-18:00​