भगवत गीता मे भी ये लिखा गया है की गलत इंसान को मरना कोई पाप नहीं है। कुछ काम ऐसे होते हैं जो गलत होते हुए भी गलत नहीं होते अपने client से यह सारी बातें सुनकर वकील भी सोच में पड़ गए क्योंकि एक तरफ criminal गीता की बातें कर रहा था और दूसरी तरफ उसी इंसान ने 40 साल की उम्र में 40 लोगों को एकदम बेरहमी से मारा था। पत्थर दिल इंसान भी खून और लाश जैसी चीजों को देखकर डर जाए लेकिन यह इंसान शिकार करता है उसी कमरे में अपना खाना बन कर खाता। उसके चेहरे पर थोड़ी सी भी शिकंद नहीं थी।
इस कहानी की शुरुआत हुई अक्टूबर 20 2006 को जब तिहाड़ जेल में एक आदमी का call आया और call के दूसरी तरफ से इंसान ने यह कहा कि तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 पर एक टोकरी में एक लाश को रखा गया है । यह सुनकर सब के पैरों से जमीन खिसक गई क्योंकि तिहाड़ जेल जो दिल्ली का जाना माना जेल है उसके बाहर लाश को रखना ऐसा काम वही इंसान कर सकता है जिसको किसी भी चीज का डर ना हो ।
जब बाहर जाकर देखा गया तो फुटपाथ पर एक टोकरी रखी गई थी जिसमें लाश को बांधे रखा गया था और उसके नीचे एक letter था । इस letter में पूरे judicial system को बहुत सारी गालियां दी गई थी इस letter के जरिए killer यह बताना चाहता था कि वह अपने काम में कितना माहिर है पुलिस कैसे अपना काम नहीं कर पा रहे। Investigation में सबसे पहले उस call को trace किया गया जो पुलिस को 20 अक्टूबर को आया और उसने पुलिस के होश उड़ा दिए और यह पता चला कि वह call किसी call booth से आया था। Booth के बाहर उसकी पहरेदारी करने वाले से जब पूछा गया तो उसने कहा कि वहां पर सिर्फ एक ही इंसान आया था । यह से letter लिखने वाले की accent के बारे में पता चला की वह bihari accent का है।
पच्चीस november ko फिर एक बार पुलिस की घंटी बजी । वही आवाज वही stone cold tone इशारा उसी तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 के बाहर फिर एक बार उसी जगह पर एक लाश रखी गई थी। Body को इतना tightly बंधा गया था की इतने सारे पुलिस वाले होने के बावजूद एक भी पुलिस उसे खोल नही पा रहा था । तभी भीड़ में से एक आदमी ने आकर यह कहा कि वह इस body को खोल सकता है और उसने अपने चाकू से इस body को खोल दिया। तो बात ही है कि पुलिस और इतने सारे लोग होने के बावजूद ये कोई नही पहचान पाया की जिसने के body खोली वह खुद killer था। Body का केवल निचला हिस्सा छोड़ा गया था। बाकी सारे body parts हजारी court के बहार थे। Police की एक special unit बनाई गई। ताकि ये case investigate किया जाए क्योंकि criminal justice system को यह पता चल चुका था की यह कोई साधारण murder नहीं है लेकिन यह psychopathic serial killer था जिसे कानून व्यवस्था से दिक्कत थी। Case को solve करना और ज्यादा मुश्किल होता जा रहा था क्युकी body की पहचान नहीं हो पा रही थी। दोनों ही body जब तिहाड़ जेल पर रखी गई थी उनका सर नहीं था। पुलिस को कोई भी idea नहीं था कि यह bodies किसकी थी और उनकी जान कहां ली गई थी । अब पूरे दिल्ली में killer की तलाश शुरू हो गई थी और तभी पुलिस को और एक call आई जिसमें बताया कि तिहाड़ जेल के गेट नंबर 3 पर फिर से 1 सर कटी लाश मिली है एक लेटर के साथ letter । Letter में किलर ने यह लिखा था कि पुलिस killer के सर पर एक बहुत बड़ा इनाम रखे क्योंकि उसे इस बात पर गुरूर है अब तक पुलिस से बच पा रहा है। उसने यह भी लिखा कि वह 7 से 8 सालों से murder करते हुए आ रहा है और अगर नहीं करता तो उसका दिमाग खराब हो जाता है । पुलिस पर इस case का तनाव बढ़ते जा रहा था की i तभी उन्हें याद आया कि 1998 में एक ऐसा ही सिमिलर केस हुआ था जब तिहाड़ जेल के बाहर एक सर कटी लाश मिली थी और बाकी के body parts सारी जगह फैलाए गए थे । इस case में एक suspect को arrest किया गया था। लेकिन यह के सिर्फ 3 साल तक की चला क्योंकि पुलिस को कोई भी evidence नहीं मिला था। तो मजबूरन इस case को बंद करना पड़ा । तभी पुलिस के जासूस ने पुलिस को खबर दी थी उसी को लेकर एक इंसान आदर्श नगर में doctor ke clinic पर आया करता था। पुलिस की team टीम नरेंद्र पहलवान की leadership में आगे बढ़ रहे थे। Enquiry करने के बीच ही उस serial killer का call आया था। Doctor से पता चला की उस इंसान का नाम चंद्रकांत है उसकी 5 बेटियां थी जिनकी delivery इसी hospital में doctor के हाथों हुई थी । doctor से पता चला कि चंद्रकांत dpctor के भाई को भी मारने की कोशिश कर रहा था और investigation करने पर पुलिस को पता चला कि चंद्रकांत के पास एक motor cart है । इसके बाद पुलिस को चंद्रकांत का घर मिल गया और से जल्दी arrest कर लिया गया। Investigation में बाद में पता चला कि चंद्रकांत झा haiderpur में एक घर लिया था । चंद्रकांत ने बताया कि वह काम की तलाश में दिल्ली आया था तब से सब्जी मंडी में काम करने लगा । सब कुछ ठीक ही जा रहा था जब एक बार उसने एक गुंडे के खिलाफ आवाज उठाई क्योंकि वह गुंडा एक मासूम इंसान को मार रहा था। आवाज उठाने पर गुंडे ने चंद्रकांत को ही मार दिया और चंद्रकांत मौत के मुंह से बचकर बाहर आया । वह किसी तरह बचकर पास के hospital में चला गया और उसकी जान बच गई । उसे पता चल गया था power सबसे ज्यादा important चीज है। ठीक होने के बाद चंद्रकांत में martial arts सीख ली। इसके बाद जहां चंद्रकांत काम करता था वहां की Union leader से भी चंद्रकांत की झड़प हो गई क्योंकि वहां का Union leader गलत तरीके से लोगों से पैसा इकट्ठा किया करता था। उसने उसको पैसे देने से इंकार कर दिया जिसके बाद उन दोनों के बीच हाथापाई हो गई। इसकी वजह से union leader के हाथ में cut लग गया जिसकी वजह से चंद्रकांत को पहली बार अरेस्ट किया गया। जेल में भी चंद्रकांत के साथ गलत व्यवहार हुआ । इसके बाद जेल से निकलते ही चंद्रकांत ने पंडित यानी कि जो Union leader था उसे सबसे पहले अपना शिकार बनाया और 1998 में जो body तिहार जेल के बाहर मिली थी वह उसी Union leader की थी। चंद्रकांत ने यह भी बताया कि उसने हाल ही में एक सर कटी लाश को यमुना नदी में डाला है और उसका कहना था कि वह इन सभी लोगों को दंड दे रहा है। उनके पापों को धोने के लिए ही उनका सर काटकर यमुना नदी में डाल देता था।
पर आखिरकार दिल्ली का serial killer पकड़ा गाया और लोगो को शांति मिली। ऐसे ही खौफनाक criminal की कहनी होने वाली है khalnayak।
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Apoorva।